नालायक औलादो सरकार का चाबुक जल्द

वरिष्ट नागरिक भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत अब बहुत जल्द बेटा अथवा बेटी पर अपने माता पिता व दादा दादी के भरण पोषण की अनिवार्य रूप से जिम्मेदारी होगी। इसे अमल में लाकर उ0 प्र0 प्रदेश सरकार इस पर कार्यवाही के लिये प्रत्येक जिले में एक एक ट्रिब्युनल व अपीलिएट ट्रिब्युनल गठित किया जायेगा। जिस में उपेक्षित मॉ बाप अथवा दादा दादी को अपनी अपेक्षा के बारे में ट्रिब्युनल को एक प्रार्थना पत्र देना होगा। जिस के प्राप्त होते ही ट्रिब्युनल कमाऊ पूतो और उन के न होने कि दशा में इन लोगो के पुत्रपुत्रियो का पक्ष सुनकर उन्हे उन के माता पिता अथवा दादा दादी व नाना नानी के लिये 10000 हजार रूपये महीना भरण पोषण का आदेश जारी कर सकता है इस कानून के तहत विदेश में रहने वाले पुत्र अथवा पुत्री भी नही बच पायेगे इस परिधि में  रिश्तेदार भी आयेगे जो अपने बुजुर्ग की सम्पत्ती पर हक तो जताते है पर रोटी कपडा देने के नाम पर इन बूे लोगो की उपेक्षा कर उन्हे दर दर भटकने पर मजबूर कर देते है। सरकार द्वारा उप जिलाधिकारियो को इन ट्रिब्युनल का अध्यक्ष बनाने की योजना है। सरकार ने इस के लिये जल्द ही समाज कल्याण विभाग व राजस्व परिषद से सहमति प्रदान करने को कहा गया है। परिषद की सहमति मिलते ही एक ट्रिब्युनल का गठन उ0 प्र0 सरकार के शासनादेश के अनुसार जल्द ही कर दिया जायेगा अन्यथा अध्यक्ष पद पर सेवानिवृत्त ऐसे अधिकारियो की नियुक्ति का प्रस्ताव भी मंत्रीमंडल के समक्ष पेश किया जायेगा जो कम से कम उप जिलाधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हो। इस विधेयक को अमल में लाने के लिये थोडा समय जरूर लग सकता है क्यो कि इस की औपचारिकताओ को पूरा करने में कुछ अधिक वक्त जरूर लगेगा।
लखपति, करोडपति बनते ही बेटी, बेटे और पोती पोते अपने बूे मॉ बाप दादा दादी को भूल जाते है। जब कि मॉ बाप औलाद की तरक्की के लिये एक वक्त रोटी खाकर एक वक्त भूखा रहकर उन के लिये स्कूल की फीस किताबे, कापिया जुटाते है। मेहनत मजदूरी कर के बच्चो को डाक्टर, इन्जीनियर, आईएस, पीसीएस बना कर समाज में मान सम्मान देते है। उन्ही बच्चो में से अधिकतर बच्चे सरकारी नौकरी पाने के बाद हाई सोसायटी से जुडते ही अपने गरीब मॉ बाप को धीरे धीरे भूलने लगते है। अपना सारा जीवन बच्चो पर निछावर करने वाले लोग बूपे में खुद को उस वक्त और ठगा सा महसूस करते है। जब औलाद नौकरी के कारण अपने इन बूे मॉ बाप को पडोसियो अथवा गॉव वालो के सहारे छोड कर शहरो में जा बसते है। और बूे मॉ बाप गॉवो कस्बो में पडे रोटी के एक एक निवाले को मोहताज हो जाते है हद तो तब हो जाती है जब मरते वक्त कोई अपना इन के मुॅह में पानी डालने वाला भी नही होता।
अब इस विषय में हम सोचे या न सोचे पर हमारे प्रदेश कि सरकार ने गम्भीरता से सोचना शुरू कर दिया है। मातापिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण अधिनियम 2007 को उत्तर प्रदेश सरकार इसी वर्ष प्रदेश में लागू कर देना चाहती है। एक ओर जहॉ इस अधिनियम से घर परिवार बेटे बेटी पोते पोती चल अचल सम्पत्ती होने के बावजूद बुापे में घरो से निकाले गये बूे लोगो को कानूनी हक मिलेगा वही जिन लोगो का कोई नही है ऐसे वृद्वजनो को सरकार की ओर से प्रतिमाह 1500 रू0 मदद मिलेगी। माता पिता, वरिष्ट नागरिक भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत बेटा अथवा बेटी पर अपने माता पिता व दादा दादी के भरण पोषण की अनिवार्य रूप से जिम्मेदारी होगी। पीडित मॉ बाप या दादा दादी को भरणपोषण न मिलने कि दशा में सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में बनाई गई ट्रिब्युनल कोर्ट के समक्ष प्रार्थना पत्र देने का अधिकार होगा। पक्षकार को सामान्य तौर पर नोटिस जारी होने के 90 दिन के भीतर ट्रिब्युनल मामले का निस्तारण करना होगा। बगैर पर्याप्त कारण के माता पिता दादा दादी के भरण पोषण के आदेश का उल्लंघन करने पर राशि की वसूली के लिये ट्रिब्युनल को वारंट जारी करने, जुर्माना लगाने और एक माह तक की सजा का अधिकार होगा। वही एक से अधिक बेटे अथवा बेटी में से किसी एक की मृत्यू हो जाने पर दूसरे की भरण पोषण कि जिम्मेदारी समाप्त नही होगी। अधिकतम भरण पोषण भत्ते का निर्धारण राज्य सरकार करेगी लेकिन ये राशि किसी भी दशा में 10000 हजार रूपये प्रति महीने से अधिक नही होगी।
ट्रिब्युनल के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिये जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक एपीलिएट अर्थारिटी का गठन भी किया जायेगा। इस के साथ ही वे गरीब जिन का इस दुनिया में कोई नही या ऐसे बेटाबेटी व नातीपोते है जो अपनी पत्नी और बच्चो का ही पालन पोषण सही ग से नही कर पा रहे उन के ऐसे वृद्वो के भरण पोषण के लिये प्रत्येक माह करीब 1500 सौ रूपये सरकार खर्च करेगी। सरकार के द्वारा निसंतान बूे लोगो के ऊपर प्रत्येक माह खानपान पर 1200 रूपये, 150 रूपये चिकित्सा पर और 100 रूपये जेब खर्च तथा 50 रूपये महीना अन्य मदो पर व्यय किया जायेगा। इस विधेयक में सरकार द्वारा ऐसा प्रस्ताव भी रखा गया के जिन वृद्वजनो के पास रहने के लिये मकान नही होगे सरकार उन के रहने के लिये प्रत्येक जिले में आश्रमो का निर्माण अपने खर्च पर करायेगी। प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव से केन्द्र सरकार काफी उत्साहित है तथा इन वृद्वजनों के आवास व अन्य सुविधाओ पर आने वाले खर्च के सम्बंध में केन्द्र सरकार कुल खर्च का 75 फीसदी खुद वहन करने को तैयार भी हो गई है। केन्द्र सरकार ने योजना आयोग से इस सम्बन्ध में मंजूरी भी मांगी है। यदि समय रहते यह विधेयक पास हो जाता है तो अपने मॉ बाप, दादा दादी, नाना नानी को नजर अंदाज करने वाले देश के तमाम नालायको पर सरकार का चाबुक बहुत जल्द चल जायेगा और सब कुछ होने के बावजूद समाज में हीन दृष्टि से जीवन जी रहे बूे लोग भी अब पूरे आत्म समान से जीवन जी सकेगे।

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