जन्मदिनों के बहाने प्रदेश में सजने लगी मिशन – 2017 की सियासत

mayawatiमृत्युंजय दीक्षित

विगत दिनों बहूजन समाजवादी पार्टी की नेता मायावती ने अपना जन्मदिन बेहद धूमधाम के साथ मनाया और खूब राजनैतिक वार्तालाप करके कार्यकर्ताओं तथा आम जनता के बीच मिशन 2017 की तैयारी के संकेत दे दिये हैं। इससे पूर्व जनवरी के प्रथम सप्ताह में ही राजस्थान के राज्यपाल व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भी अपना जन्मदिन काफी धूमधाम से मनाया। इस बार दोनों ही नेताओं के जन्मदिन पर एक अलग ही नजारा व उत्साह व उमंग देखा जा रहा था। पंचायत चुनावों में मिली सफलता से उत्साहित बसपा नेत्री मायावती पूरे मनोबल के साथ रंग में रंगी थीं। वहीं राज्यपाल कल्याण सिंह के जन्म दिन के अवसर पर प्रदेश के भाजपाईयों को उन्हीं के नेतृत्व व मार्गदर्शन की आस लगी हुई थी।  एक प्रकार से सभी भाजपाई कल्याण सिंह की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे थे।

सर्वाधिक उत्साह बसपा नेत्री मायावती के जन्मदिन समारोह में देखा गया।  वह पूरी तरह से आत्मविश्वास से लबरेज दिखलायी पड़ रहीं थीं। पांच हजार कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होनें केंद्र व राज्य सरकार पर सीधा हमला बोला जबकि बसपा के कई टिकटार्थी अतिउत्साह में कुछ अधिक ही बोल गये और अपनी मर्यादा को ही भूल बैठे। बसपा नेत्री मायावती ने अपने उदबोंधन में केंद्र सरकार और समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए अपने तेवरों को प्रकट किया है। मायावती ने अपने भाषण में मोदी सरकार को फेल सरकार बताया और कहा कि मोदी सरकार में देश के अच्छे दिन नहीं जबकि बुरे दिन आ गये हैं ।मुस्लिम वोटबैंक की चाहत रखने वाली मायावती का कहना है कि  मोदी जी की पाक नीति अस्थिर है। उन्होनें भाजपा पर झूठे वायदे करने का आरोप लगाया और प्रदेश की समाजवादी सरकार पर हमला बोलते हुए कहाकि  सपा राज्य के खजाने का दुरूपयोग करने में लगी हुई है। बसपा नेत्री ने कहाकि दलितों और पिछड़ांे के हित में बसपा सरकार द्वारा शुरू की गयी कई योजनायें जातिगत विद्वेष के कारण बंद कर दी गयी है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह के जन्मदिन मनाने के तौर तरीकों पर हमला बोलते हुए कहाकि यदि आज डा. लोहिया होते तो सपा मुखिया मुलायम सिंह को पार्टी से ही निकाल देते। उनके भाषण के बाद उनको सपा की ओर से उन्हीं की  शैली में जवाब भी मिला। बसपा नेत्री मायावती अपनी भाषणबाजी के दोरान बहुत सी बातें और दूसरे दलों के द्वारा किये गये तमाम उपकार भूल भी जाती हैं। बसपा नेत्री मायावती जिन पीएम मोदी को सारी मर्यादा भूलकर कोस रहीं हैं वह यह भूल गयी हैं कि बसपा नेत्री मायावती ने कभी पीएम मोदी के साथ गुजरात में चुनाव प्रचार एक ही मंच से किया था। यह वहीं मायावती है, जो भाजपा और समाजवादी पार्टी के सहयोग से ही प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और कभी भी गठबंधन धर्म को पूर्ण ईमानदारी के साथ नहीं निभाया।

यह बात अलग है कि बसपा सरकार का कार्यकाल कानून वयवस्था के लिहाज कुछ ठीकठाक था लेकिन जनता बहुत सी चीजों को समय के साथ भूल भी जाती हैं । बसपा नेत्री मायावती जनता की इसी भूलने की प्रवृत्ति का लाभ सपा सरकार के खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी लहर के रूप में उठाना चाह रही है। आमजनता यह भूल चुकी है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का पूर्ववर्ती शासन कितना निरकुंश और तानाशाही रवैये से परिपूर्ण था। प्रदेश की अफसरशाही में आतंक का वातावरण व्याप्त था। एनआरएचएम का महाघोटाला बसपा के ही शासनकाल में हुआ था और उसमें सीएमओ की सनसनीखेज मौतें भी हुई थीं। मायावती सरकार का स्मारक घोटाला आज भी अपनी कहानी कह रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि समाजवादी नेताओं ने तत्कालीन चुनावों में आम जनता से साइकिल यात्रा के दौरान यह वायदा किया था कि बसपा सरकार के दैारान हुए सभी घोटालों की जांच की जायेगी और उसमें दोषी पाये गये हर बड़े से बड़े व्यक्ति को जेल में डाला जायेगा। लेकिन आज समाजवादी नेता अपने वादे को भूल चुके हैं तथा एनआरएचएम का घोटालेबाज सपा सरकार में भी ऊंचे ओहदे पर कायम है।

वहीं आज देश के बदले हुए राजनैतिक वातवारण में यह कयास भी लगने शुरू हो गये हैं कि बिहार की तर्ज पर प्रदेश में भाजपा को रोकने के लिये सपा -बसपा का महागठबंधन का प्रयोग करवाया जा सकता है लेकिन फिलहाल यह ठंडे बस्ते में हैं। पूर्ववर्ती बसपा सरकार में सरकारी नौकरियों में भर्ती करवाने का बुरा आलम हो गया था कम से कम सपा सरकार में हालात इतने बुरे भी नहीं है। बसपा सरकार के दौश्रान बिजली का बुरा हाल हो गया था। सार्वजनिक तिवरण प्रणाली की हालत दयनीय हो चुकी थी। कम से कम समाजवादी  सरकार में बिजली की हालत बहुत अच्छी है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी ठीक ढंग से काम कर रही है। आज प्रदेश की जनता के लिये सपा और बसपा दोनो ही सांपनाथ आर नागनाथ है। दोनों ही दल भ्रष्टाचार और घोटालों में आकंठ डूबे हैं।

यह बात जगजाहिर है कि जब बसपा सुप्रीमो मायावती का प्रदेश में शासन था तब अफसरों से धन उगाही की जाती थी । प्रदेश का  बहुसंख्यक हिंदू जनमानस बसपा सरकार में भी असहनशीलता का शिकार था और सपा सरकार में भी है। आज प्रदेश का जनमानस बसपा सरकार की पूर्ववर्ती काली करतूतों को भूल चुका है इसलिये उस समय की काली करतूतों को बार- बार याद रखना जरूरी होता है। बसपानेत्री मायावती जिसप्रकार से पीएम मोदी और भाजपा को कोस रही हैं उसमें एक बात वह यह भूल गयी हैं कि विगत लोकसभा चुनावों में उन्होंने अपना  सारा अभियान मोदी केन्द्रित कर दिया था उसका परिणाम यह हुआ था कि बसपा को लोकसभा में शून्य मिल गया जिससे वह अभी तक उबर नहीं सकी हैं तथा उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि अभी विधानसभा चुनावों में एक साल और कम से कम तीन माह का समय बचा है। भाजपा और संघ परिवार इस बार उप्र को आसानी से हाथ से नहीं जाने देने वाला है। प्रदेश के लिये अभी भाजपा के पास तरकश के कई तीर हैं जिसमें राममंदिर का मुदद भी है। यदि कहीं पाकिस्तान आदि के साथ संक्षिप्त युद्ध हो गया तो फिर बसपा की हालत और खराब हो सकती है।अभी बसपा पूरा जोर लगा रही है।

बसपा नेत्री मायावती ने जन्मदिन के बहाने अपने मिशन- 2017 की शुरूआत कर दी है । बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बसपाके मीरगंज विधायक सुल्तान बेग तो यहां तक मर्यादा भूल गये और कह डाला कि पीएम मोदी देश के सबसे बड़े आतंकवादी है। बसपा सरकार अगर आ गयी तो प्रदेश का क्या हाल होने वाला है यह इसी बात से जगजाहिर हो रहा है। बसपानेत्री मायावती का कहना है कि अगर लोहियाआज होते तो सपा मुखिया को निकाल बाह कर देते लेकिन हमारा माना है कि यदि लोहिया जेसे मूर्धन्य नेता आज होते तो सा और बसपा जैसे दलों तथा मायावती जैसे नेताओं का   अस्तित्व ही नहीं होता। नहीं जातिवाद और मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति होती।

मृत्युंजय दीक्षित

 

1 COMMENT

  1. इस तरह से सरकारी खज़ाना लुटा कर जन्म दिन मनाने की परंपरा की शुरुआत तो मायावती ने ही की थी अब समाजवादी दल भी ऐसा ही कर रहे हैं तो वे परेशान क्यों होती हैं – आखिर लुटता तो सकरी खज़ाना है. अखिलेश जी कहते हैं की उन के जन्म दिन का खर्च उन के बेटे ने यानी अखिलेश जी ने ही उठाया है – लेकिन उन बेटे के पास इतना पैसा कहाँ से आया – क्या इस की जांच नहीं होनी चाहिए …….

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