उरी आतंकी हमला अलगाववादियों और पाकिस्तान की शह पर

uri-1पिछले दो महीनों से अलगाववादियों के उग्र प्रदर्शनों से जूझ रहे जम्मू कश्मीर में बारामूला के उरी सेक्टर में 18 सितम्बर की सुबह तड़के सेना के इनफैंट्री बटालियन कैंप पर बड़ा आतंकी हमला होना हिंदुस्तान के लिए चिंता कि बात है। इस हमले में हमारे 17 बहादुर जवान शहीद हो गए और कई घायल हो गए। यह हमला आत्मघाती था। कहा जाए तो पीछे से किया गया हमला था। जिसमे जवानों को पोजीशन लेने का भी मौका नहीं मिला। यह केवल देश विरोशी तत्वों के सहयोग से ही संभव हो सकता है। आठ जुलाई को सुरक्षाबलों द्वारा एक मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी को मार दिए जाने के बाद से पिछले करीब दो माह से अधिक समय से कश्मीर घाटी में अशांति बनी हुयी है। यह अशांति पकिस्तान कि शह पर अलगावादियोंध्देशविरोधी तत्वों द्वारा प्रायोजित है। इस दौरान सुरक्षाबलों और नागरिकों के बीच हुये संघर्ष में अब तक करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी है। अगर जल्द ही कश्मीर से इन अलगावादियों/देशविरोधी तत्वों पर कार्यवाही नहीं कि गयी तो यह आने वाले समय में भारत के लिए नुकसानदेह हो सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि उरी बेस पर घुसे आतंकियों ने 24 से 48 घंटे पहले ही घाटी में घुसपैठ की थी। घुसपैठ किये हुए आतंकी तड़के 3 बजे के आसपास आर्मी बेस पर पहुंचे। बताया जा रहा है कि आतंकियों ने जवानों की अदला-बदली के वक्त का फायदा उठाया और तार काटकर बेस के अंदर दाखिल हुए। जो कि दो हिस्सों में बंट गए। दो हिस्सों में बंटने के बाद आतंकियों ने सबसे पहले कैम्प के अंदर ग्रेनेड फेंका। आतंकियों का दूसरा गुट आर्मी बेस के एडमिनिस्ट्रेटिव बैरेक में घुसा। वहां उन्होंने फायरिंग की और ग्रेनेड फेंके। घुसपैठ किये हुए आतंकियों ने उन टेंटों को निशाना बनाया जहां जवान ड्यूटी खत्म कर सो रहे थे। आतंकियों ने लगातार ग्रेनेड फेंके। इससे टेंटों में आग लग गई। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इसी आग से झुलसकर ज्यादातर जवान शहीद हो गए। उनको आतंकियों के खिलाफ पोजिशन लेने का भी मौका नहीं मिला। जैसे ही सेना को इस हमले का पता चला बेस के अंदर हेलिकॉप्टर के जरिए पैराकमांडो उतारे गए। इन कमांडोज ने ही हमले के 6 घंटे के अंदर चार आतंकियों को मार गिराया। जो कि काबिलेतारीफ ह।ै शहीद हुए जवानों की शहादत की कोई कीमत नहीं है और उसकी पूर्ति किसी भी प्रकार से नहीं की जा सकती।

कहा जाए तो हमले का स्वरुप बिल्कुल पठानकोट हमले जैसा है। पठानकोट में भी पाकिस्तान से आए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने सुबह के वक्त जवानों की ड्यूटी की अदला-बदली के वक्त का फायदा उठाया था। पाकिस्तानी आतंकी पिछले कुछ सालों से लगातार आर्मी, एयरबेस या पैरामिलिट्री फोर्स के बेस को ही निशाना बना रहे हैं। 8 महीने पहले पठानकोट एयरबेस पर हमला हुआ था। उसमें 7 जवान शहीद हुए थे। उरी के सेना मुख्यालय पर हमला पठानकोट हमले के बाद ऐसा दूसरा हमला है। इसके लिए जरूरत है भारत के सुरक्षा रणनीतिकारों को अलग तरीके से योजना बनानी होगी। जिससे कि ऐसे हमलों का माकूल जवाब दिया जा सके। साथ ही साथ जरूरत है कि हमारी खुफिया एजेंसियों को भी अपनी सूचनाएं दुरुस्त करनी होंगी।

जिस प्रकार से पीएम नरेंद्र मोदी ने इस हमले की निंदा की है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि ‘‘उरी में हुए हमले की हम निंदा करते हैं। मैं देश को आश्वस्त करता हूं कि इस हमले के पीछे जो भी लोग हैं उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।’’ इससे लगता है कि जल्द ही मोदी सरकार सख्त कार्रवाही करेगी और देशविरोधी तत्वों और आतंकियों के मुँह पर तमाचा मारेगी। अगर ऐसा होता है तो पकिस्तान जैसे देश और उसकी गलत बातों का सहयोग करने वाले देशों के मुँह पर एक तमाचा होगा।

जम्मू कश्मीर में ऐसे आतंकी हमलों को रोकने के लिए म्यांमार जैसी कार्रवाई कि जरूरत है। जिस तरह से जून 2015 में उग्रवादियों ने म्यांमार बॉर्डर से सटे मणिपुर के चंदेल में आर्मी जवानों को ले जा रहे ट्रक पर हमला किया था। इसमें हमारे 18 बहादुर जवान शहीद हुए थे। हमले के दो दिन बाद मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के प्लान के तहत आर्मी ने सर्जिकल कमांडो ऑपरेशन चलाया और म्यांमार बॉर्डर के अंदर घुसकर उग्रवादियांे को मार गिराया था। आज मोदी सरकार द्वारा ऐसे ही योजना कि जरूरत जम्मू कश्मीर में है। जिस प्रकार से पकिस्तान अलगाववादियों के सहयोग से जम्मू कश्मीर बॉर्डर द्वारा आतंकियों कि घुसपैठ करता है। इसमें काफी हद तक रोक लगेगी। साथ ही साथ जरूरत है सरकार द्वारा अलगाववादियों को जितनी भी सेवाएं दी जा रहीं हैं उन पर बिल्कुल रोक लगे, जो लोग देश कि बर्वादी देखना चाहते हैं और पकिस्तान द्वारा घुसपैठ कराये गए आतंकियों कि सहायता करते हैं उनका खात्मा किया जाये।

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