शक के घेरे में ‘उड़ी आतंकी हमला’

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प्रमोद कुमारuri-1
कश्मीर के उड़ी में सेना पर हुए अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले से पूरा देश सहम गया है। इस हमले को अबतक का सेना पर हुए सबसे बड़ा हमला करार दिया है। हमले में 17 जवानों के शहीद होने की खबर है। ज्यादातर जवानों की मौत फायरिंग से नहीं अपितु जलने के कारण हुई है। इस आतंकी हमले से कहीं न कहीं साजिश की ‘बू’ उठती नजर आ रही है। मन ही मन बहुत से सवाल पैदा हो रहे हैं कि भारतीय सेना हमले के लिए तैयार पर मोदी सरकार ने क्यों किया ख़ारिज? गुरुदास पुर, पठानकोट, और उडी सेक्टर में पाकिस्तान के हमले से कई जवान हुवे है शहीद, मोदी सरकार क्यों है चुप? जनता का गुस्सा और दबाव सरकार पर बढ़ता जा रहा है। सरकार ने हमले के लिए क्यों किया मना? सरहद पार जा के हमले के लिए सेना तैयार पर मोदी सरकार ने उनकी अनुमति को किया ख़ारिज। सरकार के इस रवैया को देखकर लोगों के मन में मोदी की जो छवि बनी हुई थी वो फीकी पड़ती नजर आ रही है। इस पर लोगों के मन में मोदी सरकार के प्रति आक्रोष बढ़ता ही जा रहा है। इस मसले पर सरकार को जल्द ही गहनता से विचार विमर्ष करके और पूरी छानबीन कर उस भेडिय़े को निकाल सामने खड़ा करे जिसकी सह से ये आतंकी हथियारों से लदालद होकर सेना शिविर में प्रवेश कर वीर जवानों को निशाना बनाया। क्योंकि बिना किसी की सह से उनका प्रवेश करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। पाकिस्तना अलग अलग हथकण्डे अपना कर आतंकी हमले कर रहा है। पाक आए दिन भारत में आतंकी हमले करवाकर लोगों के मन में खौफ पैदा कर रहा है और भारत की सीमा सुरक्ष बल को कमजोर साबित करने पर तुला हुआ है। जनवरी में पठानकोट, जून में पंपोर, जुलाई और फिर अगस्त में कुपवाड़ा, अगस्त में ही श्रीनगर, पुलवामा, ख्वाजाबाग और श्रीनगर- बारामूला हाईवे, सितंबर में फिर से पुलवामा, पुंछ और अब उरी में सैन्य बल आतंकवादियों के निशाने पर आए हैं।

2016 के बीते 9 महीनों में बार— –बार पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी हमले हो रहे हैं और आम जनता के साथ-साथ सुरक्षा बलों को निशाने पर लिया जा रहा है, हमारे सुरक्षातंत्र में सेंध लगाने की कोशिश हो रही है। आज हमारे भारत देश में सुरक्षा बल ही महफूज नहीं है तो यहां आम जनता का क्या होगा, यह सोचकर लोग बहुत भयबीत हैं। कश्मीर समस्या को नजरंदाज करते का नतीजा है कि आज एक बार फिर जवानों को अपनी जान दांव पर लगानी पड़ी। बीते महीने आठ जुलाई को सुरक्षाबलों द्वारा एक मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी को मारे जाने के बाद से पिछले करीब दो माह से कश्मीर घाटी में अशांति बनी हुई है। इस दौरान सुरक्षाबलों और नागरिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष में अब तक करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी हैं, कई हजार लोग घायल हैं। कई इलाकों में तो कफ्र्यू की स्थिति जस की तस बनी हुई है। जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित है। युवाओं की नाराजगी किसी भी तरह से थमने का नाम नहीं ले रही है। और राज्य व केंद्र सरकार इस पर कोई ठोस कदम अभी नहीं उठा पाई है जिसका खामियाजा कश्मीर और पूरा देश भुगत रहा है।

उरी के सैन्य बेस पर हुए इस आतंकी हमले को दो दशकों का सबसे भीषण हमला माना जा रहा है। पंजाब के पठानकोट एयरफोर्स बेस पर पाकिस्तान से आए आतंकियों ने जो हमला किया था, उसमें सात सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। इस बार 17 जवानों के शहीद होने की खबर है। आतंकवादी तडक़े 4 बजे बेस के प्रशासनिक हिस्से में घुसे और बड़ी चालाकी व क्रूरता से उस वक्त बैरकों में आग लगा दी, जब बहुत से जवान सो रहे थे। खबरों के मुताबिक जिस वक्त यह हमला किया गया है, उस वक्त सुरक्षा का स्तर थोड़ा नीचे होता है, क्योंकि गार्ड बदलने का समय होने वाला होता है। माना जा रहा है कि आतंकवादी तार काट कर हेडक्वॉर्टर में घुसने में कामयाब हुए हैं। सूत्रों के अनुसार ज्यादातर जवानों की मौत फायरिंग से नहीं हुई बल्कि जलने की वजह से हुई है। हमले का आभास होते ही जवानों ने भी मोर्चा संभाला और अब तक 8 आतंकियों को मारे जाने की खबर आई है। लेकिन जिस तरीके से यह हमला हुआ है, उससे इस बात की आशंका बढ़ जाती है कि कश्मीर में चल रही अशांति को और भडक़ाने के लिए पाकिस्तानी सेना व खुफिया एजेंसी की शह पर आतंकी संगठन काम कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि उरी का यह आतंकी हमला जम्मू कश्मीर में अशांति फैलाने के पाकिस्तान का बड़ा गेम प्लान का हिस्सा हो सकता है। पाकिस्तान में बैठे आतंक के ठेकेदारों की ओर से कई बार भारत को धमकियां मिल चुकी हैं और जब ऐसे हमले होते हैं तो यह साबित हो जाता है कि वे गरजने वाले बादल नहीं है।

भारत को पाकिस्तान की हर गतिविधियों पर ध्यान रखना चाहिए और चौकन्ना रहना चाहिए। उड़ी में हुए भयानक आतंकी हमले से साजिश की गन्ध भी उठती नजर आ रही है। मन ही मन कई सवाल पैदा हो रहे हैं कि आतंकी सेना के आधार शिविर में घुसे तो घुसे कैसे? अगर सरकार इस पर गहनता से कोई कदम उठाये तो जरूर इसमें कोई न कोई हमारा ही रक्षक पाकिस्तना द्वारा भेजे गए भक्षकों में संलिप्त पाया जायेगा। क्योंकि जब आज हम किसी शॉपिंग मॉल या सिनेमा घरों में मूूवी देखने के लिए प्रवेश करते हैं तो वहां भी हर तरीके से चैकिंग की जाती है जिससे हम कोई भी छोटा से छोटा हथियार सहित प्रवेश न कर सके। जब हमारी प्राईवेट सिक्योरिटी ही इतनी सख्त है तो यह तो हमारी सरकारी सिक्योरिटी है। इसमें तो प्रवेश करना नामुमकिन है, वो भी बड़े- बड़े हथियारों से लदालद आतंकी बड़ी ही आसानी से सेना के आधार शिविर में प्रवेश कर जाएं। इसमें किसी वर्दी की आड़ में छुपे हुए भेडिय़े का हाथ हो सकता है। सरकार इस पर ध्यान दें ताकि आगे ऐसे होने वाले हमलों से बचा जा सके, और वहां पर रह रहे हजारों की संख्या में लोगों के हितों के बारे में भी सोचे, अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं कि जिस दिन पाकिस्तान भारत का दिल कहा जाने वाला शहर दिल्ली में घुसकर सांसद, में आतंकी हमला ना करवादे। मोदी जी को इस मसले पर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो पता नहीं आगे भी कितने वीर जवान अपने प्राणों की आहुति देते रहेंगे और हम हमेशा की तरह उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते रहेंगे। सरकार को अगर वीर जवनों को श्रद्धांजलि देनी ही है तो पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए या आर—– पार की लड़ाई करके ही जवाब दे और उसके भ्रम को खतम कर दिखाना चाहिए कि आज भी हमारे देश की सुरक्षा बल कमजोर नहीं मजबूत है।

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