वैलेंटाइन डे के बहाने ……….

 हर्षवर्धन पाण्डे

बाजार आज के दौर में प्रेम से गुलजार हो गया है……..हर तरफ प्रेम की महक नजर आती है……. गिफ्ट सेन्टरों में युवक युवतियों का सैलाब देखा जा सकता है जो प्रेम दिवस से पहले खरीदारी करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता …..भारत में भी पश्चिमी देशो की तर्ज पर १४ फरवरी को १०० करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हर साल होता है जहाँ लोग अपने प्रेमी को खुश करने के लिए उपहार देने से लेकर मौज मस्ती करने में जेब गर्म करने में आगे रहते है………… फरवरी को मनाया जाने वाला वैलेंटाइन डे अब महानगरो के साथ कस्बो में भी मनाया जाने लगा है… यह आज की एक हकीकत है… देश के कोने कोने में कमोवेश यही माहौल होगा… चाहे आप दिल्ली की चाँदनी चौक में हो या कनाट पैलेस में, या फिर इनके जैसे किसी भी महानगर या कसबे में … हर जगह आप ऐसे दृश्यों को देख सकते है

 

आज का युग बदल गया है… संस्कृति गई भाड में…. तभी तो हर जगह विदेशी संस्कृति पूत की भांति पाव पसारती जा रही है ….. हमारे युवाओ को लगा वैलेंटाइन का चस्का भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है… विदेशी संस्कृति की गिरफ्त में आज हम पूरी तरह से नजर आते है … तभी तो शहरों से लेकर कस्बो तक वैलेंटाइन का जलवा देखते ही बनता है…आज आलम यह है यह त्यौहार भारतीयों में तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है…

 

 

वैलेंटाइन के चकाचौंध पर अगर दृष्टी डाले तो इस सम्बन्ध में कई किस्से प्रचलित है… रोमन कैथोलिक चर्च की माने तो यह “वैलेंटाइन “अथवा “वलेंतिनस ” नाम के तीन लोगो को मान्यता देता है ….जिसमे से दो के सम्बन्ध वैलेंटाइन डे से जोड़े जाते है….लेकिन बताया जाता है इन दो में से भी संत ” वैलेंटाइन ” खास चर्चा में रहे …कहा जाता है संत वैलेंटाइन प्राचीन रोम में एक धर्म गुरू थे …. उन दिनों वहाँपर “कलाउ डीयस” दो का शासन था …. उसका मानना था अविवाहित युवक बेहतर सेनिक हो सकते है क्युकियुद्ध के मैदान में उन्हें अपनी पत्नी या बच्चों की चिंता नही सताती …अपनी इस मान्यता के कारण उसने तत्कालीन रोम में युवको के विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया…

 

किन्दवंतियो की माने तो संत वैलेंटाइन के क्लाऊ दियस के इस फेसले का विरोध करने का फेसला किया … बताया जाता है की वैलेंटाइन ने इस दौरान कई युवक युवतियों का प्रेम विवाह करा दिया… यह बात जब राजा को पता चली तो उसने संत वैलेंटाइन को १४ फरवरी को फासी की सजा दे दी….कहा जाता है की संत के इस त्याग के कारण हर साल १४ फरवरी को उनकी याद में युवा “वैलेंटाइन डे ” मनाते है…

 

 

कैथोलिक चर्च की एक अन्य मान्यता के अनुसार एक दूसरे संत वैलेंटाइन की मौत प्राचीन रोम में ईसाईयों पर हो रहे अत्याचारों से उन्हें बचाने के दरमियान हो गई ….यहाँ इस पर नई मान्यता यह है की ईसाईयों के प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले इस संत की याद में ही वैलेंटाइन डे मनाया जाता है…एक अन्य किंदवंती के अनुसार वैलेंटाइन नाम के एक शख्स ने अपनी मौत से पहले अपनी प्रेमिका को पहला वैलेंटाइन संदेश भेजा जो एक प्रेम पत्र था …. उसकी प्रेमिका उसी जेल के जेलर की पुत्री थी जहाँ उसको बंद किया गया था…उस वैलेंटाइन नाम के शख्स ने प्रेम पत्र के अन्त में लिखा” फ्रॉम युअर वैलेंटाइन” …. आज भी यह वैलेंटाइन पर लिखे जाने वाले हर पत्र के नीचे लिखा रहता है …

 

 

यही नही वैलेंटाइन के बारे में कुछ अन्य किन्दवंतिया भी है … इसके अनुसार तर्क यह दिए जाते है प्राचीन रोम के प्रसिद्व पर्व “ल्युपर केलिया ” के ईसाईकरण की याद में मनाया जाता है ….यह पर्व रोमन साम्राज्य के संस्थापक रोम्योलुयास और रीमस की याद में मनाया जाता है … इस आयोजन पर रोमन धर्मगुरु उस गुफा में एकत्रित होते थे जहाँ एक मादा भेडिये ने रोम्योलुयास और रीमस को पाला था इस भेडिये को ल्युपा कहते थे… और इसी के नाम पर उस त्यौहार का नाम ल्युपर केलिया पड़ गया… इस अवसर पर वहां बड़ा आयोजन होता था ॥ लोग अपने घरो की सफाई करते थे साथ ही अच्छी फसल की कामना के लिए बकरी की बलि देते थे…. कहा जाता है प्राचीन समय में यह परम्परा खासी लोक प्रिय हो गई…

 

एक अन्य किंदवंती यह कहती है १४ फरवरी को फ्रांस में चिडियों के प्रजनन की शुरूवात मानी जाती थी…. जिस कारण खुशी में यह त्यौहार वहा प्रेम पर्व के रूप में मनाया जाने लगा ….प्रेम के तार रोम से सीधे जुड़े नजर आते है … वहा पर क्यूपिड को प्रेम की देवी के रूप में पूजा जाने लगा …जबकि यूनान में इसको इरोशके नाम से जाना जाता था… प्राचीन वैलेंटाइन संदेश के बारे में भी एक नजर नही आता ॥ कुछ ने माना है की यह इंग्लैंड के राजा ड्यूक के लिखा जो आज भी वहां के म्यूजियम में रखा हुआ है…. ब्रिटेन की यह आग आज भारत में भी लग चुकी है… अपने दर्शन शास्त्र में भी कहा गया है ” जहाँ जहाँ धुआ होगा वहा आग तो होगी ही ” सो अपना भारत भी इससे अछूता कैसे रह सकता है…?

 

युवाओ में वैलेंटाइन की खुमारी सर चदकर बोल रही है… १४ का सभी को बेसब्री से इंतजार है… इस दिन के लिए सभी पलके बिछाये बैठे है… प्रेम का इजहार जो करना है ?…….वैलेन्टाइन प्रेमी १४ फरवरी को एक बड़े त्यौहार से कम नही समझते है…. अभी का समय ऐसा है जहाँ युवक युवतिया प्यार की सही परिभाषा नही जान पाये है… वह इस बात को नही समझ पा रहे है कि प्यार को आप एक दिन के लिए नही बाध सकते… वह प्यार को हसी मजाक का खेल समझ रहे है…. सच्चे प्रेमी के लिए तो पूरा साल प्रेम का प्रतीक बना रहता है … लेकिन आज के समय में प्यार की परिभाषा बदल चुकी है … इसका प्रभाव यह है आज १४ फरवरी को प्रेम दिवस का रूप दे दिया गया है… इस कारण संसार भर के “कपल “प्यार का इजहार करने को उत्सुक रहते है…

 

 

१४ फरवरी का कितना महत्व बढ गया है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है इस अवसर पर बाजारों में खासी रोनक छा जाती है …. गिफ्ट सेंटर में उमड़ने वाला सैलाब , चहल पहल इस बात को बताने के लिए काफी है यह किस प्रकार आम आदमी के दिलो में एक बड़े पर्व की भांति अपनी पहचान बनने में कामयाब हुआ है… इस अवसर पर प्रेमी होटलों , रेस्ताराओ में देखे जा सकते है… प्रेम मनाने का यह चलन भारतीय संस्कृति को चोट पहुचाने का काम कर रहा है… यूं तो हमारी संस्कृति में प्रेम को परमात्मा का दूसरा रूप बताया गया है ॥ अतः प्रेम करना गुनाह और प्रेम का विरोधी होना सही नही होगा लेकिन वैलेंटाइन के नाम पर जिस तरह का भोड़ापन , पश्चिमी परस्त विस्तार हो रहा है वह विरोध करने लायक ही है ….वैसे भी यह प्रेम की स्टाइल भारतीय जीवन मूल्यों से किसी तरह मेल नही खाती….. आज का वैलेंटाइन डे भारतीय काव्य शास्त्र में बताये गए मदनोत्सव का पश्चिमी संस्करण प्रतीत होता है…

 

 

लेकिन बड़ा सवाल जेहन में हमारे यह आ रहा है क्या आप प्रेम जैसे चीज को एक दिन के लिए बाध सकते है? शायद नही… पर हमारे अपने देश में वैलेंटाइन के नाम का दुरूपयोग किया जा रहा है … वैलेंटाइन के फेर में आने वाले प्रेमी भटकाव की राह में अग्रसर हो रहे है…. एक समय ऐसा था जब राधा कृष्ण , मीरा वाला प्रेम हुआ करता था जो आज के वैलेंटाइन प्रेमियों का जैसा नही होता था… आज लोग प्यार के चक्कर में बरबाद हो रहे है… हीर_रांझा, लैला_ मजनू के प्रसंगों का हवाला देने वाले हमारे आज के प्रेमी यह भूल जाते है मीरा वाला प्रेम सच्ची आत्मा से सम्बन्ध रखता था …

 

आज प्यार बाहरी आकर्षण की चीज बनती जा रही है…. प्यार को गिफ्ट में तोला जाने लगा है… वैलेंटाइन के प्रेम में फसने वाले कुछ युवा सफल तो कुछ असफल साबित होते है …. जो असफल हो गए तो समझ लो बरबाद हो गए… क्युकि यह प्रेम रुपी “बग” बड़ा खतरनाक है …. एक बार अगर इसकी जकड में आप आ गए तो यह फिर भविष्य में भी पीछा नही छोडेगा…. असफल लोगो के तबाह होने के कारण यह वैलेंटाइन डे घातक बन जाता है…

 

 

वैलेंटाइन के नाम पर जिस तरह की उद्दंडता हो रही है वह चिंतनीय ही है… अश्लील हरकते भी कई बार होती देखी जा सकती है…संपन्न तबके साथ आज का मध्यम वर्ग और अब निम्न तबका भी इसके मकड़ जाल में फसकर अपना पैसा और समय दोनों ख़राब करते जा रहे है… वैलेंटाइन की स्टाइल बदल गई है … गुलाब गिफ्ट दिए ,पार्टी में थिरके बिना काम नही चलता …. यह मनाने के लिए आपकी जेब गर्म होनी चाहिए… यह भी कोई बात हुई क्या जहाँ प्यार को अभिव्यक्त करने के लिए जेब की बोली लगानी पड़ती है….?

 

कभी कभार तो अपने साथी के साथ घर से दूर जाकर इसको मनाने की नौबत आ जाती है… डी जे की थाप पर थिरकते रात बीत जाती है… प्यार की खुमारी में शाम ढलने का पता भी नही चलता ….आज के समय में वैलेंटाइन प्रेमियों की तादात बढ रही है …. साल दर साल … इस बार भी प्रेम का सेंसेक्स पहले से ही कुलाचे मार रहा है…. वैलेंटाइन ने एक बड़े उत्सव का रूप ले लिया है… मॉल , गिफ्ट, आर्चीस , डिस्को थेक, मेक डोनाल्ड आज इससे चोली दामन का साथ बन गया है… अगर आप में यह सब कर सकने की सामर्थ्य नही है तो आपका प्रेमी नाराज …. बस बेटा ….प्रेम का तो दी एंड समझ लो….

 

वैलेंटाइन मनाना सबकी नियति बन चुका है…. आज प्यार की परिभाषा बदल गई है …. वैलेंटाइन का चस्का हमारे युवाओ में तो सर चदकर बोल रहा है , लेकिन उनका प्रेम आज आत्मिक नही होकर छणिक बन गया है… उनका प्यार पैसो में तोला जाने लगा है …. आज की युवा पीड़ी को न तो प्रेम की गहराई का अहसास है न ही वह सच्चे प्रेम को परिभाषित कर सकते है… उनके लिए प्यार मौज मस्ती का खेल बन गया है ……

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