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वंदे मातरम और इस्लाम
घटना 30 दिसंबर 1939 की है। पांडिचेरी में योगी श्रीअरविन्द संध्याकाल अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे। तभी किसी ने नए समाचारों की चर्चा करते कहा,