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कविता / मेरा मन - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
ई मेल के जमाने में पता नहीं क्यों आज भी मेरा मन ख़त लिखने को करता है। मेरा मन आज भी ई टिकट की जगह लाईन में लग कर रेल का आरक्षण करवाने को करता है। पर्व-त्योहारों के संक्रमण के दौर में मेरा मन बच्चों की तरह गोल-गप्पे खाने को…