विकीलीक और अमेरिकी साम्राज्यवाद -1

अंग्रेजी लेखक लेखक जेफ्री आर्चर ने ‘टाइम्स ऑफ इण्डिया’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा है विकीलीक ने ‘समाचार’ को नए रूप में जन्म दिया है। यह समाचार के नए रूप की शुरूआत है। इस बयान में एक हद तक सच्चाई है .लेकिन विकीलीक के बारे में कोई भी समझ ‘नयी विश्व व्यवस्था’ के अमेरिकी फतवे को दरकिनार करके नहीं बनायी जा सकती। शीतयुद्ध की समाप्ति के साथ अमेरिकी रणनीति क्या रही है और वह किन

लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास करता रहा है इसे जानने के लिए विकीलीक के दस्तावेज प्रामाणिक सामग्री मुहैय्या कराते हैं। यह समाचार का नया विचारधारात्मक पैराडाइम है।

अमेरिका ने नयी विश्व व्यवस्था में एकमात्र महाशक्ति के नाम पर किस नरक की सृष्टि की है वह सब विकीलीक ने उदघाटित किया है। अमेरिका का नयी विश्व व्यवस्था के संदर्भ में प्रधान लक्ष्य है यूरोप से लेकर एशिया तक,लैटिन अमेरिका से लेकर पूर्व सोवियत गुट के समाजवादी देशों तक किसी भी क्षेत्र में कोई भी महाशक्ति पैदा नहीं होनी चाहिए। सन् 1992 में कारनेगी इंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के द्वारा जारी एक दस्तावेज में कहा गया है कि मानव अधिकारों की रक्षा के नाम पर अमेरिका और उसके सहयोगी राष्ट्रों को सैन्य हस्तक्षेप करना चाहिए। इसके लिए सबसे प्रभावी माध्यम है नाटो जिसका हमें इस्तेमाल करना चाहिए। नयी विश्वव्यवस्था का यही वह बुनियादी लक्ष्य है जिसके विध्वंसक स्वरूप का विकीलीक ने रहस्योदघाटन किया है।

विकीलीक का मामला इंटरनेट और मीडिया में अब ठंडा पड़ गया है। लेकिन उसने जिस तरह अकस्मात सबका ध्यान खींचा और अचानक क्षितिज से गायब हो गया इस पर हमें सोचना चाहिए। हम सब जानते हैं कि यह हाइपर रियलिटी का जमाना है और इसमें सच और झूठ में फर्क करना बेहद मुश्किल होता है। विकीलीक के रहस्योदघाटन ने भी यही स्थिति पैदा की है कि आप तय नहीं कर सकते कि सच क्या है और झूठ क्या है।

विकीलीक की प्रस्तुतियों का आधार है उपभोक्ता की कम जानकारी और सनसनी की भावना। दूसरी ओर लीक दस्तावेजों में सुसंगत विवेचन का अभाव है। ये दस्तावेज व्याख्या के बिना सीधे परोसे गए हैं। ये लीक मूलतः उत्तर आधुनिक प्रस्तुति हैं। यह हाइपररीयल प्रस्तुति है। इसमें अंशतः सत्य,अंशतः अमेरिकी राष्ट्रवाद,अंशतः अमेरिकी शैतानियां, अंशतःसीआईए की कारस्तानियां,अंशतः भारत की सच्चाई, अंशतः दुनिया के अनेक देशों की सच्चाईयां चली आई हैं। यानी सच्चाई का अंश ही इसकी धुरी है। समग्रता में लीक को पढ़ना संभव नहीं है। अंश में सच को कारपोरेट मीडिया भी पेश करता है और इंटरनेट पर विकीलीक ने भी यही काम किया है फलतः मीडिया फ्लो के उत्तर आधुनिक वातावरण का उसे अधिकांश देशों में सहारा मिला और कारपोरेट मीडिया ने उसे खूब प्रचारित किया।

विकीलीक के खुलासे का अमेरिकी साम्राज्यवाद को समझने के लिहाज से महत्व है। अमेरिकी अभिजन,अमीर,कारपोरेट घराने,सीआईए, पेंटागन,विदेश विभाग,राजनेता आदि की मनोदशा और विचारधारा में निहित अलोकतांत्रिक भावबोध को समझने में इससे मदद मिल सकती है। अमेरिकी तंत्र किस तरह के नायकों-खलनायकों और विचारों से चालित है यह भी विकीलीक से पता चलता है।29 नवम्बर 2010 को विकीलीक ने 251,287 अमरीकी दस्तावेज और केबल संदेशों को इंटरनेट पर जारी किया। इनमें केबल संदेश 1966 से लेकर फरवरी 2010 तक के हैं। इनमें 274 एम्बेसियों के गुप्त संदेश हैं। इसके अलावा अमरीका के गोपनीय 15,652 केबल संदेश भी हैं। इन संदेशों और दस्तावेजों में एक बात साफ है कि अमरीका विभिन्न देशों में जासूसी करता रहा है। खासकर मित्र देशों के यूएनओ मिशनों की जासूसी करता रहा है।

यह कानूनन गलत है। साथ ही इन संदेशों ने अमरीकी लोकतंत्र की नीतियों की पोल खोलकर रख दी है। जो अमरीका को आदर्श लोकतंत्र मानते हैं वे जरा इन दस्तावेजों के आइने में नए सिरे से अमरीका को परिभाषित करें ?

अमेरिका राजनयिक कामकाज की आड़ में किस तरह दूसरे देशों की संप्रभुता का अपहरण करता रहा है,जासूसी करता रहा है, हस्तक्षेप करता रहा है, और अमेरिकी संविधान में जो वायदे किए गए हैं उनका अमरीकी सत्ता पर बैठे लोग कैसे उल्लंघन करते रहे हैं, यह सब इससे साफ पता चलता है। यह भी पता चलता है कि अमेरिका दुनिया का भ्रष्टतम देश है।

तकरीबन 251,287 दस्तावेज जारी किए गए हैं जिनमें 261,276,536 अक्षर हैं। यानी इराक युद्ध के बारे में जितने दस्तावेज जारी किए थे उससे सातगुना ज्यादा । इसमें 274 दूतावासों और कॉसुलेट्स के केबल संदेश हैं। इसमें 15,652 सीक्रेट हैं,101,748 कॉन्फीडेंशियल और 133,887 अनक्लासीफाइड हैं। इनमें सबसे ज्यादा इराक पर चर्चा है। तकरीबन 15,385 केबल संदेशों में 6,677 केबल संदेश इराक के हैं।अंकारा,तुर्की से 7,918 केबल हैं।

अमरीका के स्टेट ऑफिस सचिव के 8017 केबल संदेश हैं। अमरीका के वर्गीकरण के अनुसार विदेशी राजनीतिक संबंधों पर 145,451 ,आंतरिक सरकारी कार्यव्यापार पर 122,898,मानवाधिकार पर 55,211, आर्थिकदशा पर 49.044,आतंकवाद और आतंकियों पर 28,801 और सुरक्षा परिषद पर 6,532 दस्तावेज हैं। मोटे तौर पर विकीलीक ने जुलाई 2010 में अफगानिस्तान से भेजी 92,000 सैन्यमोर्चे की लीक प्रकाशित कीं जिनमें बताया गया था कि अफगानिस्तान में 20 हजार निर्दोष नागरिक सैन्य हमलों में मारे गए हैं।

सन् 2010 के अक्टूबर में इराक के बारे में चार लाख दस्तावेज प्रकाशित किए गए जिनमें बताया गया कि अमेरिका और मित्रदेशों के हमलों में हजारों निर्दोष इराकी नागरिकों की मौत हुई है।साथ ही बड़े पैमाने पर यातनाशिविरों में भी इराकी नागरिकों का उत्पीड़न हो रहा है।

इस लीक के दो आयाम है पहला आयाम है सूचनाओं का उदघाटन और दूसरा आयाम है इंटरनेट नियंत्रण। पहले का संबंध सत्य की भूख से है ,दूसरे का संबंध सत्य के दमन से है। यह नए युग का बड़ा अन्तर्विरोध है जिसे हम सत्य की चाह और दमन के अन्तर्विरोध के रूप में जानते हैं। यह अमेरिका नियंत्रित नयी विश्व व्यवस्था का प्रधान अन्तर्विरोध है।

असल में विकीलीक के बहाने से अमरीकी प्रशासन इंटरनेट पर अंकुश लगाना चाहता है। वे इंटरनेट पर उन तमाम राजनीतिक खबरों को सेंसर करना चाहते हैं जो अमेरीकी प्रशासन को नागवार लगती हैं। स्थिति का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि ओबामा प्रशासन ने सभी सरकारी कर्मचारियों के नेट पर विकीलीक पढ़ने पर पाबंदी लगा दी है। कई कांग्रेस सदस्य और ज्यादा व्यापक पाबंदी की मांग कर रहे हैं,कुछ ने

विकीलीक के संस्थापक की गिरफ्तारी की मांग की है। लाइब्रेरी आफ कांग्रेस ने अपने सभी कम्प्यूटरों पर इस लीक को पढ़ने से रोक दिया है। यहां तक कि रीडिंग रूम में नहीं पढ़ सकते। कोलम्बिया विश्वविद्यालय के डिप्लोमेटिक छात्रों को इस लीक को पढ़ने से वंचित कर दिया गया है,उनके पढ़ने पर पाबंदी लगा दी गयी है। उन्हें कहा गया है कि इस रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी न करें। कई सीनेटरों ने ऐसे

कानून बनाने का आधिकारिक प्रस्ताव दिया है जिसके आधार पर गुप्त दस्तावेज प्रकाशित करना और पढ़ना अपराध घोषित हो जाएगा। अमरीकी कानून संरक्षकों ने कॉपीराइट के उल्लंघन का बहाना करके कुछ इंटरनेट डोमेन को बंद करा दिया है। ये सारी बातें अमरीका में अभिव्यक्ति की आजादी पर मंडरा रहे खतरे की सूचना दे रही हैं।

विकीलीक के बारे में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस तरह के लीक अमरीका में होते रहते हैं, खासकर जो व्यक्ति कल तक विदेश विभाग में राजनयिक की नौकरी कर रहा था वह ज्योंही सेवामुक्त होता है अपने साथ ढ़ेर सारे गुप्त दस्तावेज ले जाता है और उनका रहस्योदघाटन करने लगता है। इसी प्रसंग में न्यूयार्क स्थित राजनीतिविज्ञानी प्रोफेसर डेविड मिशेल ने महत्वपूर्ण बात कही है। डेविड ने लिखा है कि इसमें रहस्योदघाटन जैसा कुछ भी नहीं है। विकीलीक के दस्तावेज महत्वपूर्ण है लेकिन उतने नहीं जितने कहे जा रहे हैं। ये पेंटागन के रूटिन दस्तावेज हैं। ये महत्वपूर्ण इसलिए हैं कि इनमें अमरीकी सरकार की कथनी और करनी के भेद को साफ देखा जा सकता है। इस अंतर को ही ‘आकर्षक अमरीकी‘झूठ’ कहा जा सकता है।

विकीलीक की सूचनाएं सामान्य सूचनाएं नहीं है,यह महज गॉसिप नहीं है,यह एक्सपोजर मात्र नहीं है,यह कोई षडयंत्र भी नहीं है,बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत जारी की गयी राजनीतिक सूचनाएं हैं, कूटनीतिक सूचनाएं हैं। इनके गंभीर दूरगामी परिणाम होंगे। इसके बहुस्तरीय और अन्तर्विरोधी अर्थ हैं।

एक बात सामान्य रूप में कही जा सकती है कि विकीलीक के एक्सपोजर ने इंटरनेट स्वतंत्रता की परतें खोलकर रख दी हैं। इसने अमेरिका के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पाखण्ड को एकसिरे से नंगा कर दिया है। बुर्जुआ लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वहीं तक है जहां तक आप राज्य की सत्ता और संप्रभुता को चुनौती नहीं देते।

विकीलीक का दूसरा महत्वपूर्ण संदेश यह है संचार क्रांति ने अपना दायरा सीमित करना आरंभ कर दिया है। तीसरा संदेश यह है उत्तर आधुनिकतावाद का अंत हो गया है। विकीलीक ने संचार क्रांति के साथ आरंभ हुए उत्तर आधुनिकतावाद को दफन कर दिया है। यह नव्य उदारतावाद के अवसान की सूचना भी है।

 

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