विकीलिक्स केबल्स सच्चाई हैं, असांजे की पुष्टि

लालकृण आडवाणी

दि हिन्दू ने विकीलीक्स से लगभग 6 मिलियन शब्दों वाले 5100 भारतीय केबलों को चुनकर उन पर आधारित समाचारों और लेखों को अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत कर वास्तव में इतिहास बनाया है।

इन सभी महत्वपूर्ण रिपोर्टों के संदर्भ में दि हिन्दू के अत्यंत प्रतिष्ठित सम्पादक एन. राम ब्रिटेन के नारफॉक देश में गए और वहां विकीलीक्स के एडिटर-इन-चीफ जुलियन असांजे का एक घंटे का इंटरव्यू किया जिसमें असांजे ने देश को उस सैध्दान्तिक रूपरेखा की झलक दिखाई जिसके तहत विकीलीक्स विश्व के मंच पर अपनी भूमिका अदा कर रहा है और जिसने असांजे को यह सब करने के लिए प्रेरित किया।

यह इंटरव्यू दि हिन्दू में दो किश्तों में प्रकाशित हुआ है, पहला 12 अप्रैल और दूसरा 13 अप्रैल, 2011 को।

भारत से सम्बन्धित रहस्योद्धाटनों पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया के संदर्भ में असांजे द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री के बारे में की गई टिप्पणियां अपमानजनक हैं। दि हिन्दू और विकीलीक्स के सम्पादकों के बीच हुई सम्बन्धित बातचीत को मैं यहां शब्दश: उदृत कर रहा हूं:

एन. राम: भारत में, शुरूआती हैरानी भरी प्रतिक्रिया के बाद, हमारे द्वारा प्रकाशित भारतीय केबलों पर सरकारी प्रतिक्रिया का स्वर – प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केबलों और अमेरिकी दूतावास तथा कांसुलेट्स द्वारा अपने स्टेट डिपार्टमेंट को भेजी गई रिपोर्टों की सत्यता पर प्रश्न उठाने या उन्हें विवादित करार देने से तय कर दिया। लोकसभा, हमारे यहां के हाऊस ऑफ कॉमन्स में 13 मार्च को उन्होंने यह कहा। उन्होंने कहा कि ”सरकार ऐसे केबलों की सत्यता, विषय सामग्री या यहां तक कि इनकी मौजूदगी की पुष्टि नहीं कर सकती।” इससे लगता है कि भारतीय सरकार ने अन्य सरकारों से अलग, पूरी दुनिया से अलग यह रूख अपनाया है, क्या ऐसा नहीं लगता?

जुलियन असांजे: हां, ऐसा लगता है।

एन. राम: क्या आपको ऐसी प्रतिक्रिया कहीं और से भी मिली?

जुलियन असांजे: ऐसी प्रतिक्रिया कहीं और से देखने में नहीं आई, और इस प्रतिक्रिया ने मुझे परेशान किया। क्योंकि हिलेरी क्लिंटन दिसम्बर (2010) में भारतीय सरकार और अन्य अनेकों सरकारों को बताने में जुटी थीं कि ऐसी जानकारियां सामने आने वाली हैं। पिछले चार वर्षों में हमने जितने भी दस्तावेज प्रकाशित किये हैं उनकी विश्वसनीयता को लेकर कोई सवाल नहीं उठा, अमेरिकी दूतावास के केबलों को ही लें जिनकी पुष्टि, स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा हमारे और दुनियाभर के सर्वाधिक प्रतिष्ठित संस्थानों के सैकड़ों पत्रकारों के विरूध्द आक्रामक कार्रवाई करने से हुई है।

इसलिए मैंने कहा कि मैंने उस वक्तव्य को भारतीय लोगों को भ्रमित करने का जानबूझकर किया गया प्रयास बताया। और यही वह बात है जो चिंताजनक है। क्योंकि यह महज एक आरोप नहीं है। यह प्रधानमंत्री के मुख से सीधे निकला हुआ है, और वह अच्छी तरह से जानते हैं कि क्या करना है। यद्यपि मैंने सुना है – मेरे पास कोई प्रमाण नहीं है लेकिन आम सहमति दिखती है कि यह ठीक है – वह व्यक्तिगत रूप से भ्रष्ट नहीं हैं, यह दूसरे लोगों के संभवत: भ्रष्टाचार को छुपाने का सीधा प्रयास है। इससे सीधे-सीधे बचते हुए वह कह सकते थे कि ‘देखिए, ये आरोप हैं। ये गंभीर हैं और हम इनकी जांच करेंगे तथा सच्चाई का पता लगाएंगे और संसद को पूरी रिपोर्ट देंगे।”

मुझे लगता है यदि उन्होंने यह दृष्टि अपनाई होती तो उन्होने बड़ी सेवा की होती। अत: उन्होंने अपने हितों के विरूध्द काम किया और अपनी पार्टी के हितों के विरूध्द काम किया है जो उनके असंगत है। मैं इसका अर्थ यह सुझाऊंगा कि वह जो सोचते हैं उससे अलग काम करने की उनकी आदत है – और भ्रष्टाचार के आरोपों पर प्रतिक्रिया देने की आदत से उसे छुपाने की।

एन. राम: हालांकि एक वरिष्ठ विपक्षी नेता, पूर्व उपप्रधानमंत्री और भाजपा नेता, एल.के.आडवाणी – ने मुंबई में ‘प्रेस से मिलिए‘ कार्यक्रम में जहां मैं भी पैनल (सवाल पूछने वाले सम्पादकों का) में था – उन्होंने कहा कि ये (केबल) सत्य हैं। उन्होंने विकीलीक्स और हमारे द्वारा इन्हें प्राप्त करने की प्रशंसा की। लेकिन मुख्य रूप से उन्होंने कहा कि ये केबल तीन हिस्सों में बांटे जा सकते हैं। मुझे लगता है कि ऐसा कुछ आपने भी अपने साक्षात्कारों में कहा है लेकिन वह अपने निष्कर्षों पर स्वयं पहुंचे हैं। पहला, तथ्यात्मक है, तथ्यों पर आधारित। उन्होंने कहा है कि जहां तक मेरा मानना है ये सत्य हैं, क्योंकि ये उनके मुख्यालय के लिए थे न कि किसी और के लिए। अत: ये सत्य हैं। आगे उन्होंने कहा, कुछ व्याख्यात्मक हैं और तीसरा हिस्सा दूतावास द्वारा दी गई सलाह है।

जुलियन असांजे: हां, हां।

एन. राम: इसी प्रकार जब कांग्रेस इसके घेरे में आती है तो अन्य भाजपा नेता भी इसी स्वर में बोलते हैं। और दिलचस्प यह है कि अपनी एक चुनावी सभा में कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी ने विकीलीक्स का उपयोग किया जिसमें एक भाजपा नेता ने कहा कि ”हिन्दू राष्ट्रवाद अवसरवादी मुद्दा है”।

जुलियन असांजे: हां मैंने देखा था। दिलचस्प है।

एन. राम: और उन्होंने (सोनिया गांधी) इसका उपयोग किया। वे स्वयं ही अपने हाथ स्वयं बांध रही हैं। मुझे लगता था कि मुझे इस पर आपकी तरफ से और अंदर की जानकारी मिलेगी। लेकिन आप ने कहा कि दोनों मुद्दों पर आपका लक्ष्य अचूक है। पहला, विकीलीक्स में सार्वजनिक की गई सभी सामग्री में से एक भी ऐसी नहीं है जिसमें एकदम सही के सिवाय कुछ और दिखाया गया हो। दूसरा, ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है जिसमें किसी निर्दोष व्यक्ति को कोई हानि पहुंचाई गई हो।

जुलियन असांजे: हां, शारीरिक रूप से कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। और मैं एक भी ऐसा केस नहीं जानता जिसमें किसी निर्दोष व्यक्ति को गैर शारीरिक के अलावा भी कोई हानि पहुंचाई गई हो। अनेक राजनीतिज्ञों को त्यागपत्र देना पड़ा या राजदूतों को उन देशों को छोड़ना पड़ा जहां वे कार्यरत थे क्योंकि अपने प्रतिरुपों से वे जो झूठ बोलते रहे और वह उद्धाटित होने से उन देशों में उनका रहना असम्भव हो गया; सरकारें चुनाव हार गई हैं तथा मुबारक जैसे तानाशाहों को देश निकाला दे दिया गया। लेकिन हम ऐसी किसी घटना के प्रति अनजान नहीं हैं – और न ही अमेरिका के किसी अधिकारी या किसी दूसरे ने यह आरोप लगाया कि – हमारे प्रकाशन से किसी व्यक्ति को कोई हानि पहुंची है …

एन. राम: तो न्याय ने जुलियन असांजे और विकीलीक्स को प्रेरणा दी है। यह आपका लक्ष्य है, आपके न्याय की अवधारणा?

जुलियन असांजे: हां, इसके पीछे एक तरीका और एक लक्ष्य है। हमारा लक्ष्य न्याय है और विकीलीक्स तथा इसकी विभिन्न प्रकाशन गतिविधियों और सामग्री जुटाने की गतिविधियां वह तरीका है जिसका उपयोग हम करते हैं और एक अधिक न्यायसंगत समाज के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। और यदि आप पूछेंगे कि मैं इसमें क्यों दिलचस्पी ले रहा हूं, ठीक है अनेक ऐसे काम हैं जो मैं कर सकता हूं। मैं सौभाग्यशाली स्थिति में हूं जहां मैं अनेक चीजें कर सकता हूं और अनेक चीजें कर भी चुका हूं। लेकिन मैं देखता हूं कि यह दुनिया, मेरी दुनिया है और मैं अपनी दुनिया में अन्याय देखकर अप्रसन्न हूं। मैं समझता हूं कि यह दुनिया अपने में पूर्ण नहीं हैं और इसे देखकर मुझे दु:ख होता है। मैं खुश रहना चाहता हूं, इसलिए मैं दुनिया को और न्यायसंगत बनाना चाहता हूं।

***

जो लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं, वे जानते हैं कि विकीलीक्स एक नि:शुल्क एनसाइक्लोपीडिया है। विकीलीक्स और इसके एडिटर-इन-चीफ जुलियन असांजे के बारे में ज्यादा विस्तार से जानना चाहते हैं, उनके लिए विकीपीडिया में उपलब्ध थोड़ी जानकारी कुछ इस प्रकार है।

जुलियन असांजे (3 जुलाई, 1971) एक आस्ट्रेलियाई प्रकाशक और एक इंटरनेट एक्टिविस्ट हैं। विकीलीक्स एक विसलब्लोअर (भण्डा फोड़ने वाली) वेबसाइट है। वेबसाइट के साथ जुड़ने से पहले वह भौतिकी और गणित के विद्यार्थी तथा कम्प्यूटर प्रोग्रामर रहे हैं।

असांजे अनेक देशों में रह चुके हैं और पत्रकारों को बता चुके हैं कि वह लगातार घूमते रहते हैं। वह समय-समय पर प्रेस की स्वतंत्रता, सेंसरशिप और खोजपरक रिपोर्टिंग के बारे में बोलने के लिए सामने आते हैं।

सन् 2009 में, असांजे ने ‘केन्या में गैर-न्यायिक हत्याओं का पर्दाफाश करने‘ के लिए एमेनेस्टी इंटरनेशनल मीडिया एवार्ड जीता। ब्रिटिश पत्रिका न्यू स्टेट्समैंन ने उन्हें 2010 में दुनिया की 50 सर्वाधिक प्रभावशाली हस्तियों में शामिल किया।

 

घोटालेबाजों को सजा दो

भ्रष्टाचार को लेकर वास्तव में देश गुस्से में है। सामान्य रूप से यह माना जाता है कि भ्रष्टाचार इसलिए नहीं है कि आवश्यक कानूनों की कमी है, अपितु इसलिए है कि जो सत्ता में बैठे हैं उनमें घोटालेबाजों को दण्डित करने की इच्छा शक्ति नहीं है।

इसलिए, संसद के मानसून सत्र में जब अण्णा हजारे द्वारा हासिल की गई कमेटी द्वारा इन दिनों विचारे जा रहे लोकपाल विधेयक पर विचार हो, भ्रष्टाचार से निपटने में सरकार की गंभीता की असली कसौटी यह होगी कि पहले ही रहस्योद्धटित हो चुके तीन घोटालों – स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला और मुंबई के भूमि घोटाले में यह क्या कार्रवाई करती है।

जनता के लिए यह दूसरा कष्टप्रद तथ्य है कि पिछले वर्षों में अमेरिका और जर्मनी जैसे अधिक शक्तिशाली देश स्विटजरलैण्ड जैसे टेक्स हेवन्स के बैंकिंग गुप्त कानूनों में सेंध लगाकर अपनी सम्पत्ति वापस लेने में सफल रहे हैं, जबकि इस सम्बन्ध में भारत सरकार ने कोई गंभीर प्रयास नहीं किए हैं। इसने अभी तक सन् 2004 में पारित भ्रष्टाचार के विरूध्द यू. एन. कन्वेंशन की पुष्टि तक नहीं की है।

भारतीयों द्वारा विदेशों में ले जाए गए अथह काले धन को बिना किसी विलम्ब के वापस लाया जाए।

टेलपीस (पश्च लेख)

एन. राम के साथ एक घंटे के साक्षात्कार की समाप्ति पर जुलियन असांजे की अंतिम टिप्पणी काफी रोचक है। वह कहते हैं: ”एक बात मैं दि हिन्दू और सामान्य रूप से भारतीय लोगों को कहना चाहूंगा। वह यह कि, एक आस्ट्रेलियन होने के नाते, मैं आपको अंग्रेजीभाषियों से अच्छी अंग्रेजी बोलने के लिए धन्यवाद कहना चाहता हूं।”

1 COMMENT

  1. आदरणीय आडवानी जी का सादर अभिवादन! श्री एन राम का क्रान्तिकारी अभिवादन !जुलियन असान्ज और विकिलीक्स को धन्यवाद! द हिन्दू ‘ का आभार!
    विगत माह विकिलीक्स ने खुलासा किया था कि भारत में कौन मंत्री किस डिपार्टमेंट को सम्भालेगा यह अमेरिका तय करेगा? अभी खुलासा किया है की पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार को हटाकर ममता को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अमेरिका ने २००८ से ही रणनीति बनाई थी! आदरणीय आडवानी जी से निवेदन है की वे वामपंथ के प्रति अपने पूर्वाग्रह को अलग रखकर देश का मार्ग दर्शन करें की विदेशी मुल्कों की इस हरकत का समर्थन करें या विरोध!

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