हर दिशा से शान्ति की पुरवाइयाँ बहें ।
विश्व है परिवार सबका,यही जन जन कहें ।
प्रेम का जल द्वेष की ज्वाला बुझाए ।
विश्वप्रेम की प्रतिपल ज्योति जगाए।।
हिंसा तो बस प्रतिहिंसा को है बढ़ा रही ।
जग को है भयभीत और अशान्त कर रही ।।
है विश्वास यही मन में ,एक दिवस वह आएगा ।
आतंकी का भय न रहेगा,शान्ति का सुख छाएगा ।।
शान्ति सृजन के खोले द्वार ,
आतंक तो करता संहार ।।
आतंकमुक्त जग होगा निर्भय ,
सबका जीवन होगा सुखमय।।
विश्वशान्ति की होगी जय ,
सत्य की होगी विजय ।।