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विश्वास- विश्वशान्ति का - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हर दिशा से शान्ति की पुरवाइयाँ बहें । विश्व है परिवार सबका,यही जन जन कहें । प्रेम का जल द्वेष की ज्वाला बुझाए । विश्वप्रेम की प्रतिपल ज्योति जगाए।। हिंसा तो बस प्रतिहिंसा को है बढ़ा रही । जग को है भयभीत और अशान्त कर रही ।। है विश्वास यही…