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विश्वविद्यालयों के लालरंग में दबा आम जनमानस का साहित्य - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
साहित्य यूँ तो समाज का दर्पण कहा जाता है लेकिन क्या हो जब यह दर्पण किसी ख़ास विचारधारा का मुखपत्र भर बन कर रह जाये ? क्या हो जब साहित्य के नाम पर विचारधारा का प्रचार किया जाने लगे .साहित्य की दुनिया में एक खास विचारधारा की तानाशाहियों पर खुलकर…