आधी रात बीत गई

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

आठ लोरियां सुना चुकी हूँ,

परियों वाली कथा सुनाई|

आधी रात बीत गई बीत भैया,

अब तक तुमको नींद न आई|

 

थपकी दे दे हाथ थक गये,

कंठ बोल बोल कर सूखा|

अब तो सोजा राजा बेटा,

तू है मेरा लाल अनोखा|

चूर चूर मैं थकी हुई हूं,

सचमुच लल्ला राम दुहाई|

आधी रात बीत गई बीत भैया,

अब तक तुमको नींद न आई|

 

सोये पंख पखेरू सारे,

अलसाये हैं नभ के तारे|

करें अंधेरे पहरेदारी,

धरती सोई पैर पसारे|

बर्फ बर्फ हो ठंड जम रही,

मार पैर मत फेक रजाई|

आधी रात बीत गई बीत भैया,

अब तक तुमको नींद न आई|

 

झपकी नहीं लगी अब भी तो,

सुबह शीघ्र न उठ पाओगे|

यदि देर तक सोये रहे तो,

फिर कैसे शाला जाओगे|

समझा समझा हार गई मैं,

बात तुम्हें पर समझ न आई|

आधी रात बीत गई भैया

अब तक तुमको नींद न आई|

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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