बिन पानी सब सून... - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रकृति की मूल रचना के साथ जब भी छेड़-छाड़ होती है तब वही चीजें इंसानों के लिए विनाश का सबब बन जाती हैं। इंसान अक्सर अपने ही बुने जाल में फंसकर तड़फड़ाता नजर आता है और जब उसे होश आता है तो बहुत देर हो चुकी होती है। कुछ यही…