हमें ऐसे नेता की जरूरत है जो हमारे देश का उत्थान करे

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-भगवंत अनमोल-     politics

कहा जाता है कि भारत देश के नागरिक अच्छे नौकर हैं। इसी कारण भारत में ही नहीं अपितु भारत के बाहर भी भारतीय प्रोफेशनलों की तादाद बहुत ज्यादा है। खैर, आते हैं अपनी बात पर। इस समय केजरीवाल जी अपनी जिंदगी के पीक पर है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जी ने दिल्ली की जनता से काफी वायदे किये और उनको पूरा करने का भरोसा दिया। जरा नजर डालते हैं उनके वायदों पर। बिजली का रेट कम करने का वायदा किया, मुफ्त पानी सप्लाई करने का वायदा किया। सबसे बड़ी बात जो उन्होंने कही कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण करेंगे। इन वायदों को ध्यान में रख दिल्ली की जनता ने उन्हें सर-आंखों पर बिठा लिया और उन्हें सरकार बनाने के लिए बहुमत से कुछ कम सीटें दीं। क्या भारत को सिर्फ इतनी ही जरूरत है? जरा सोचिये ।

खैर, आइये ले चलते हैं दूसरी ओर- मुलायम सिंह की सरकार ने लोगो को लैपटॉप देने के वायदे किये और उन लुभावने वायदो के सहारे उन्हें पूर्ण बहुमत दिया। इसी तरह कुछ वायदे कांग्रेस सरकार ने भी किये। मेरी नजर में ये सारे नेता भारतीयों की इस कमजोर मानसिकता को समझ गए हैं, इसीलिए ये लुभावने वायदे देकर इस देश पर राज कर रहे हैं। हमें अब दूसरे नजरिये से सोचना होगा, ऐसे लुभावने वायदे हमें कमजोर बनाते हैं।  हमारा मन कुछ काम करने के बाजय दूसरों कि दी गयी चीज़ों पर निर्भर होने लगता है। ये हमें कमजोर समझकर भीख की तरह चीज़ें बाटते हैं। क्या हम वास्तव में कमजोर हैं? नहीं, हम कमजोर नहीं, हमारी मानसिकता कमजोर है।

अगर हमें वास्तव में एक विकसित देश बनाना है तो ऐसे नजरियों पर बात नहीं करनी चाहिए जो हमें कमजोर बनाते हैं, हमें ऐसे नजरियों पर ध्यान देना चाहिए जो हमें विकसित बनाता है। हमें आज ऐसे नेताओ की जरूरत नहीं जो हमें भीख देकर कमजोर बनाये बल्कि हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है जो हमें मजबूत बनाकर कुछ देश हित और स्वयं के हित के लिए करने का रोजगार उपलब्ध कराये या फिर उसके लिए प्रेरित करे। आज हमें बेशक भ्रष्टाचार से उबरने की जरूरत है, पर क्या देश को विकसित बनाने के लिए इतना ही काफी है ? केजरीवाल जी ने बेशक बिजली के रेट कम और मुफ्त का पानी सप्लाई किया। पर क्या उन्होंने इस बात पर फोकस किया कि ऐसे रोजगार उपलब्ध कराये जिससे लोग २०० रुपए बिजली का बिल बचाने के बजाये २०,००० रुपए महीने कमाए ?

मैं किसी पार्टी से नहीं जुड़ा पर मोदी जी की यही बात मुझे अच्छी लगती है कि वे कभी कमजोर मानसिकता वाली चीज़ों को मुद्दे नहीं बनाते बल्कि वे रोजगार की बात करते है। मैं एक मोटिवेटर हूं और मैं समझता हूं कि हर व्यक्ति उतनी ही सफलता का हक़दार है जितना दूसरा कोई अगर उसे वैसा माहौल दिया जाए। अगर  हम किसी को कमजोर समझते रहेंगे, तब तक वह हमारे आश्रित ही रहेगा। अतः हमें ऐसे नेताओ कि जरूरत नहीं जो हमें कमजोर समझे, बल्कि आज हमें ऐसे नेता कि दरकरार है जो हमारे उत्थान और देश के विकास के बारे में सोचे और प्रेरित करे।

1 COMMENT

  1. नेता तो अब रहे ही कहाँ हैं ?नेताओं की तो फसल अब उगनी ही बंद हो गयी है.आज़ादी व स्वतन्त्रता के कुछ समय बाद जो पहले से चले आ रहे थे,उनके जेन के बाद अब तो राजनीति अपराधियों , धोखेबाजों, लम्पट,अवसर वादी लोगों का घर बन गयी है.और इनसे कोई उम्मीद करना फालतू ही होगा.

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