हम दिल से काम करते हैं : रमन सिंह

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छत्तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री डा. रमन सिंह से बातचीत

अपने पिछले छः साल के कार्यकाल में अंजाम दिए विकास को मिले शानदार रिस्पांस के बाद छत्तीसगढ के मुख्‍यमंत्री डा. रमन सिंह की खुशी छिपाए नहीं रही। वे इस जनसमर्थन को अपने कार्यों का परिणाम मान रहे हैं। दूसरी पारी का एक साल पूरा करने के बाद अपने मिशन में आत्मविश्वास के साथ जुटे डा. सिंह पंकज झा के साथ खास मुलाकात में लेखा-जोखा प्रस्तुत कर रहे हैं.

किसी ने कहा है कि अच्छा जवाब, जवाब देने के बाद ही सूझता है। आप अभी-अभी अपने ग्राम-सुराज अभियान के दौरान जनता रूबरू हुए हैं। कुछ ऐसा कहना रह गया है जो कह नहीं पाए हों.

ज्यादातर सवालों के जवाब तो मैं यात्रा के दौरान दे चुका हूं। अपने दिल की बात भी आमसभाओं में लगातार कहता ही रहा हूं। कुछ बातें हैं जो यात्रा पूरी होने के बाद भी कहने की जरूरत महसूस होती है। इनमें से एक तो यह है कि ‘विकास’ चर्चा का मु्द्दा बना है। प्रदेश में एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण हुआ है। राजनीति में इसे एक नए दौर की शुरुआत कह सकते हैं जब विपक्षी दलों के सामने हमसे बेहतर करने, दिखने की चुनौती है। राजनीति में कीचड उछालने का दौर, मुझे लगता है कि बीते दिनों की बात हो गई। मुझे ऐसा लगता है कि यह बात बात पूरे देश के लिए माडल बन सकती है।

यानी आप अच्छाई के ब्रांड एंबेस्डर हो गए हैं?

(हंसते हुए) अच्छाई के ब्रांड एंबेस्डर तो नहीं, मगर ये है कि इन छः सालों में राजनीतिक सोच की दिशा बदली है, एक मापदंड स्थापित हुआ है। नकारात्मक सोच, चरित्र हत्या इसके बिना भी राजनीति का कोई स्वरूप हो सकता है क्या? इन सवालों का जबाब हमने अपने विभिन्न यात्राओं के दौरान ढूढने की कोशिश की है. और मुझे लगता है कि हमें जबरदस्त सफलता मिली है। हमें यह महसूस हुआ कि हम केवल विधानसभा में जवाब देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, वास्तव में जनता के बीच जाकर जनता के सवाल सुनें, उनके जवाब दें और ढूंढें भी।

पहले गांव चलो,घर-घर चलो अभियान, फिर विकास यात्रा और अब ग्राम सुराज….. ई-गवर्नेंस के इस जमाने में, जहां संवाद स्थापित करना इतना आसान हो गया है, व्‍यक्तिगत उपस्थिति अभी भी जरूरी है क्या ?

बिल्कुल…। बिल्कुल जरूरी है। मैं अपने आपको धन्य समझता हूं कि ईश्वर ने मुझे अपने लोगों के पास जाने का अवसर दिया है। जहां तक प्रौद्यौगिकी के इस्तेमाल और उसके द्वारा विकास का सवाल है, हम तेजी से इस दिशा में बढ रहे हैं और हमने इस क्षेत्र में कई उपलब्धियां भी हासिल की हैं। बहुत कम समय में हमने आईटी सेक्टर में दुनिया के नक्शे पर अपनी जगह बनाई है। लेकिन हमारा देश अमरीका नहीं है कि हम इतने मशीनी हो जाएं कि अपने लोगों का सामना कर ही नहीं पाएं या टेलीविजन पर डिस्कशन करके हम देश की राजनीति तय करें। हमें यह लगा कि जनता आज भी अपने प्रतिनिधि को अपने बीच देखना चाहती है और उनसे सीधा संवाद स्थापित करना चाहती है। वास्तव में मानवीय संबंधों की गरमाहट का कोई विकल्प नहीं हो सकता। प्रदेश की यात्राओं के बाद हमारी यह आस्था और मज़बूत हुई है। संबंधों की यह ऊष्मा हमने बस्तर से लेकर सरगुजा तक महसूस की है।

क्या इसी ऊष्मा को आप बार-बार वोट में बदल रहे हैं.

ऐसा कुछ नहीं है. अब तो फिलहाल कोई बड़ा चुनाव सामने है भी नहीं। हम सारे काम चुनाव के नजरिए से करते भी नहीं। दिमाग से ज्यादा सदा ही हमें दिल पर भरोसा रहा है और भाजपा दिल से ही राजनीति करना जानती है। हम अपनी भावनाओं को योजनाओं में बदलते हैं। एक रूपये तक किलो चावल, मुफ्त नमक, रियायती खाद्य तेल, मुफ्त चरण पादुका, छात्राओं के लिए साइकिल, मुफ्त पाठ्य् पुस्तकें, गणवेश, मिड-डे-मील …ऐसी ढेर सारी सफल योजनायें हमारी उसी भावना को व्यक्त करती हैं। चुनाव एक प्रक्रिया है, वह चलती रहेगी। लेकिन यह बात हम भरोसे के साथ कह सकते हैं कि हमने दिलों को जीता है। और निश्चित ही इसी भरोसे की जीत हमें बार-बार मिली है।

छत्तीसगढ की सबसे बडी चुनौती आप भी शायद नक्सलवाद को ही मानते होंगे.

निस्संदेह नक्सली आज भी सबसे बडी समस्या और चुनौती हैं, इस आतंक से छत्तीसगढ को मुक्त कराना हमारी प्राथमिकता है। पिछले छः साल में हमारा मनोबल मज़बूत ही हुआ है. हमें यह बार-बार महसूस हुआ है कि विशाल जनसमर्थन एवं नक्सलियों के विरुद्ध प्रबल जनाक्रोश के बूते हम इस पर भी काबू जरूर पा लेंगे। शांति और विकास के लिए लोग जुड रहे हैं। बस्तर की अभी तक की सभी सभाओं में इतनी बडी संख्या में लोग आए, विकास के प्रति एक सकारात्मक नजरिया विकसित हुआ है।

और यही आपकी सबसे बडी ताकत है शायद …….?

हमारी सबसे बडी ताकत प्रदेश में छिपी विकास की संभावना है। पूर्ववर्ती सरकारों की उपेक्षा के कारण अंचल ने अपनी क्षमताओं का अभी तक उपयोग ही नहीं किया । हमारी खनिज संपदा, हमारे मानव संसाधन और पूरा प्राकृतिक वैभव..यही हमारी ताकत है। इस ताकत को हम समृद्धि में बदलेंगे यह हमारा प्रयास है और रहा भी है, आगे भी यही करेंगे। अब आगे भी यही ध्यान रखेंगे कि तमाम सरकारी योजनाओं से सबसे पहले, अंतिम पंक्ति में खडे, अंतिम आदमी को लाभ पहुंचे।

एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि रुपए में मात्र पंद्रह पैसे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचते हैं।

हमने इन आंकडों को उलट दिया है। शत प्रतिशत सफलता का दावा तो हम नहीं कर सकते लेकिन बाकी बचे उन पंद्रह प्रतिशत संसाधनों का भी लाभार्थी वही अंतिम व्यक्ति हो यह हमारा ध्येय होगा।

आपने पिछली मुलाकात में कहा था कि लोगों का इतना प्यार देखकर डर लगता है…. कैसा डर?

हमने यह बार बार कहा है कि छत्तीसगढ की जनता ने जितना प्यार मुझे दिया, उससे कभी उऋण नहीं हो सकता। कई जनम लेकर भी उनका कर्ज नहीं चुका सकता। चिलचिलाती धूप में हजारों हजार लोगों का घंटों खडा रहना, घंटों इंतजार करना, इस स्नेह, सम्मान, प्यार ने जो जिम्मेदारियां बढाई हैं, वह महसूस करके डर जाना स्वाभाविक है। जन अपेक्षाओं पर खरा उतरने की जो चुनौती है, उससे डर लगता है। हालांकि यही प्यार हमारी ताकत भी है और हमें प्रेरणा भी देता है।

दूसरी पारी के पहले साल पूरे करने पर क्या लगता है….क्या खोया क्या पाया.

हां… अटलजी की कविता को याद कर रहा हूं …. क्या खोया क्या पाया जग में…। यदि उन्हीं के शब्दों में कहूं तो यादों की पोटली मैं भी टटोलने लगता हूं कभी कभार। मैं पाता हूं कि खोने को तो कुछ था ही नहीं अपने पास कभी। वार्ड पार्षद से शुरुआत की, ईश्वर की कृपा, वरिष्ठ जनों का आशीर्वाद, पार्टी के विचारों के प्रति निष्ठा और जनता के स्नेह से यहां तक पहुंचा हूं। एक स्वप्न लेकर आया था राजनीति में कि कुछ अलग करना है, कुछ कर दिखाना है। अपने लोगों के आंसू पोंछना है। कुछ हद तक सफल हुआ हूं। ढेर सारी चीजें करनी अभी बाकी हैं। हां, यह जरूर लगता है कि जब कुछ काम किया है तो लोग इतना सम्मान दे रहे हैं। यही सम्मान मेरा प्राप्य है। यही पाया है मैंने। खासकर ग्राम सुराज और विकास यात्रा की बात करें तो महीनों तक इतने लोगों से सीधे संवाद, लाखों लोगों का स्नेह, छत्तीसगढजनों का प्यार पाकर तो ऐसा लगता है कि खुद के लिए कुछ पाना जैसे शेष ही न रहा हो। जैसे एक ही जनम में कई जिंदगियां जी ली हों मैंने। प्रदेश के विकास की यह यात्रा अब बिना किसी अवरोध के चलती रहे, बस यही आकांक्षा शेष है।

17 COMMENTS

  1. आपका यह साक्षात्कार वास्तव में बहुत प्रवाहपूर्ण है. मुख्यमंत्री के जवाब भी बहुत सरल शब्दों में दिल की बात कहने वाले हैं. हालाकि मुझे यह भी लगता है इस साक्षात्कार में कुछ और प्रश्न होते तो यह समग्र बन जाता. लेकिन ऐसी बात तो किसी भी लेख या साक्षात्कार के लिए कही जा सकती है. आज की राजनीति में बने रहना भी अपने आप में किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसे खतरनाक माहौल में छः साल पद पर बने रहना किसी बड़ी उपलब्धि से कतई कम नहीं है. अंग्रेजी में एक कथन अक्सर राजनीति और सत्ता के लिए दोहराया जाता है- uneasy lies the head, that wears the crown. यह बात सभी नेताओं पर लागू होती है. डॉ रमण सिंह भी इससे अछूते नहीं है. राज्य में नक्सली समस्या बेहद विकाल रूप ले चुकी है. ऐसे में अगर डॉ सिंह अगले दो-तीन वर्षों में आंध्र प्रदेश की tarah यदि कुछ सार्थक कार्रवाई कर सके तो इसके लिए राज्य की जनता हमेशा के लिए उनके पति सहृदय रहेगी. इस्वर करे डॉ सिंह इस दिशा में कामयाब हों. हाल ही में मुझे भी एक पुरस्कार जीतने के बाद माननीय मुख्यमंत्री से सौजन्य भेंट में एकांत चर्चा का अवसार मिला था, तब मैंने भी उम्हे नक्सली समस्या पर कुछ सुझाव विनम्रतापूर्वक दिए थे. उन्होंने भी सुझावों को इत्मीनान से पढ़कर इस पर उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया था. कुछ बिन्दुओं पर तो तुरंत अमल दिखा भी. यही माननीय मुख्यमंत्री की सरलता है कि उन्होंने हम जैसे साधारण नागरिकों के सुझावों को भी गंभीरतापूर्वक पढ़ा और उस पर कुछ पहल की.
    आपने एक अच्छा साक्षात्कार पेश किया है. इसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं.
    –विभाष कुमार झा

  2. मुख्यमंत्रीजी सादर नमस्कार,
    आपका शासनकाल एक आदर्श प्रशासन के रूप में न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि सारे हिंदुस्तान में जाना जायेगा ,आपकी कर्मठता आपकी सादगी और कर्मनिष्ठ छवि के कारण इस प्रदेश की विकास की धारा को निर्बाध रूप से आपने प्रवाहित किया निश्चित ही मुझे गर्व है की मै छत्तीसगढ़ का नागरिक और भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता हूँ ,ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ की नक्सल समस्या से भी जल्द से जल्द छुटकारा मिले ताकि अपना छत्तीसगढ़ और तेज और तेज गति से आगे और आगे बढ़ता और बढ़ता ही रहे,वर्ष २०१३ के चुनाव में निश्चित ही दो तिहाई बहुमत से हमारी जीत होगी …विजय सोनी अधिवक्ता -दुर्ग -छत्तीसगढ़

    • ये सच है की छत्तीसगढ़ के डॉक्टर रमण सिंह जी के मुख्यमंत्रित्व काल में इस प्रदेश ने विकास की एक नई गाथा लिखी है …मुख्यमंत्री जी को बधाई ..सुमनलता सोनी दुर्ग

  3. sabse badhiya….chhattisgarhiya logon ke dwara chune gaye mukhya mantri raman singhji ka ye saakshatkaar behatreen laga.saral prawah mein jawab aur utni hi saralta se poochhe gaye mahatvapurn sawaal iski visheshta hai.
    “tola abbad shubhkaamna”

  4. शायद यह टिप्पणी सभीके लिए उपयोगी है।
    —-म.उवाच
    गिरीशजी– की चिंता के(प्रत्यक्ष जानकारी नहीं मुझे) उत्तरमें, मैं निम्न प्रकारकी एक पहल करनेका सुझाव श्री. रमनसिंहजी को विचारार्थ प्रस्तुत करता हूं। क्यों कि यदि” मुख्मंत्री के आदेशों को घटिया अफसर दरकिनार कर देते है.”
    —–> नरेंद्र मोदीकी “स्वागत” नामक अनूठी पहल, पढिए; जो, घटिया अफसरोंको ठीक करनेमें काम आयी है।
    ===================================
    “स्वागत” एक अनूठी पहल है जो गुजरात के नागरिकों एवं मुख्यमंत्री के बीच सीधे संवाद की सुविधा प्रदान करती है।
    गान्धीनगर में, प्रत्येक माह का चौथा गुरुवार स्वागत दिन होता है जिसमें प्रशासन का उच्चतम कार्यालय, आम जनता की शिकायतों के बारे में सुनता है और उनपर कार्यवाही करता है। सत्र के समयमें –
    * शिकायतें लॉगइन की जाती है, और सम्बद्ध अधिकारियों को ऑनलाइन प्रेषित कर उपलब्ध कराई जाती है, जिन्हें 3 से 4 घंटों में उत्तर तैयार करना होता है।
    * इसके बाद सम्बद्ध विभागों को दोपहर के तीन बजे से पहले उत्तरों के साथ तैयार रहना पडता है, जब मुख्यमंत्री, सम्बन्धित ज़िलों के साथ विडियो कॉन्फ्रेंस करते हैं।
    * अर्ज़ियां एक के बाद एक प्रस्तुत की जाती है, एवं, मुख्यमंत्री प्रत्येक शिकायत का विस्तार से परीक्षण करते हैं।
    * विभाग द्वारा भेजी गई जानकारी का पुनरावलोकन भी शिकायतकर्ता तथा जिलाधीश/ज़िला विकास अधिकारी/पुलिस अधीक्षक एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों की उपस्थिति में किया जाता है।
    * उचित एवं मान्य हल उसी दिन प्रदान किए जाने का प्रयास किया जाता है तथा आजतक कोई भी शिकायतकर्ता कभी भी उसकी शिकायत के प्रति ठोस जवाब के बिना नही लौटा है।
    ========================
    इस “स्वागत” से बहुत सुधार हुआ है, पूर्णतः शायद नहीं, पर विचार कर देखिए।

  5. मुख्यमंत्री जी नमस्कार ,
    आपके शासन में छत्तीसगढ़ ने विकास की एक नई गाथा लिखी है,निश्चित ही आप बधाई के पात्र है,इस प्रदेश का नागरिक और भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता होने पर मुझे गर्व है,परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ की नक्सली समस्या से भी जल्द से जल्द मुक्ति मिले, ताकि ये प्रदेश न केवल भारत में बल्कि सारे संसार में एक विकसित राज्य के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर निरंतर आगे और आगे बढ़ता ही रहे,सन २०१३ के चुनाव में आपको दो तिहाई से भी ज्यादा बहुमत मिलेगा धन्यवाद …विजय सोनी अधिवक्ता -दुर्ग (छत्तीसगढ़)

    • प्रणाम मुख्यमंत्रीजी मै आपका आभारी हूँ आपने युवा वर्ग और समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा है आपको बधाई ….विकास दुर्ग

  6. Nishchit roop se Dr. Raman Singh ji ne swayam ko ek Model C M ke tour par sthapit kiya hai. Unke 06 saal ke kaam-kaaj ki to kewal taarif hi ki jaa sakti hai. Chhattisgarh mein Naxalvaad ke kaayraanaa aur barbar khooni khel ke khilaaf jis shiddat se woh Vikaas ki dhwajaa lekar datte hain, kendra ki sarkar ko unse kuchh to prerna le hi leni chahiye. Pankaj ji ko unse baat karne aur jo kuchh ankaha reh gaya ho woh kehlaane ke saadhuvaad!!

  7. जहा तक आपने जो प्रश्न और मुख्यमंत्री जी ने जो जवाब दिए उनसे में पूर्ण रूप से सहमत हु | लेकिन जो नक्सलवादी समस्या है उससे निपटने के लिए सरकार के साथ साथ देश के लोगो को भी इसमें सरकार का साथ देना चाहिए , तभी जाकर कही इस समस्या का समाधान हो सकता है
    इसमें कोई दो राइ नहीं है की छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी विकाश के लिए जाने जाते है | में माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करता हु की वे शिक्षा के क्षेत्र में विशेस ध्यान देवे |और हमारे पंकज झा जी जो की बहुत ही जागरूक व्यक्ति है उनसे भी मेंरा विनम्र निवेदन है की वे समय समय पर ऐसे ही बढ़िया बढ़िया साक्षात्कार लेते रहे |
    माननीय पंकज झा जी से मेरा निवेदन है की जब आप अगली बार मुक्श्यमंत्री जी का साक्षात्कार ले तो युवा पीडी से जुडी हुई बाते जरुर रखे |
    क्युकी आज की पीढ़ी ही कल का भविष्य है|
    सुरेन्द्र ठाकुर दिल्ली

  8. Like any developed nation, we need to have respect for unity in diversity. I think we must be ‘Indins’ first. Our cultural and social trens takes us to the language, cast and religious divides. For centures social and cultural practices have been changing. But the values that we interpreate is often blurred to give ways to the cast system as well as region altogether. WE need to have some sobar dialogue to see how we can saperate religion from the social and cultural melting pot that is constantly heated by economic forces.
    The challange for us is to perfact division through a sensitive boundry line which keeps religion and politics apart. Yet both needs perfaction, one for the soule and other for the well being of the namtion.
    please send your views: buddhdevp@googlemail.com

  9. मुख्यमंत्री से पंकज झा ने अच्छे सवाल किये. ज़वाब देने में तो हमारे मुख्यमंत्री माहिर हो ही चुके है. वैसे उनके काम भी है.उन्होंने अपने को सिद्ध करके दिखाया भी है. लेकिन नक्सल समस्या को हल करना उनके अकेले की बात नहीं है. यह साझा प्रयास से ही संभव है. ” प्रदेश के विकास की यह यात्रा अब बिना किसी अवरोध के चलती रहे, बस यही आकांक्षा शेष है” ऐसा सोचने वाले मिख्य्मंत्री को अभी और सावधान रहना होगा. अभी भी छत्तीसगढ़ में अफसरशाही उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश कर रही है. अगर मुख्यमंत्री जी इन अफसरों के विषैले दन्त तोड़ने में सफल रहे तो उनको कोई ताकत नहीं रोक सकती. मै जनता हूँ, की मुख्मंत्री के आदेशों को घटिया अफसर दरकिनार कर देते है. यह लोकतान्त्रिक अपराध है. मुख्यमंत्रीजी इस चुनौती से भी निपटे. फिर तो कहना ही क्या. वैसे कभी-कभार उन्होंने अपने तेवर दिखाए भी है. यह तेवर सदा बनारहे. बस. जनता यही चाहती है. बहरहाल महत्वपूर्ण सवालों के मुख्यमंत्री ने सार्थक ज़वाब दिए, इस हेतु , मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और विचारशील लेखक पंकज झा , दोनों की तारीफ करनी ही पड़ेगी.

    • गिरीशजी– की चिंता के(प्रत्यक्ष जानकारी नहीं मुझे) उत्तरमें, मैं निम्न प्रकारकी एक पहल करनेका सुझाव श्री. रमनसिंहजी को विचारार्थ प्रस्तुत करता हूं। क्यों कि यदि” मुख्मंत्री के आदेशों को घटिया अफसर दरकिनार कर देते है.”
      —–> नरेंद्र मोदीकी “स्वागत” नामक अनूठी पहल, पढिए; जो, घटिया अफसरोंको ठीक करनेमें काम आयी है।
      ===================================
      “स्वागत” एक अनूठी पहल है जो गुजरात के नागरिकों एवं मुख्यमंत्री के बीच सीधे संवाद की सुविधा प्रदान करती है।
      गान्धीनगर में, प्रत्येक माह का चौथा गुरुवार स्वागत दिन होता है जिसमें प्रशासन का उच्चतम कार्यालय, आम जनता की शिकायतों के बारे में सुनता है और उनपर कार्यवाही करता है। सत्र के समयमें –
      * शिकायतें लॉगइन की जाती है, और सम्बद्ध अधिकारियों को ऑनलाइन प्रेषित कर उपलब्ध कराई जाती है, जिन्हें 3 से 4 घंटों में उत्तर तैयार करना होता है।
      * इसके बाद सम्बद्ध विभागों को दोपहर के तीन बजे से पहले उत्तरों के साथ तैयार रहना पडता है, जब मुख्यमंत्री, सम्बन्धित ज़िलों के साथ विडियो कॉन्फ्रेंस करते हैं।
      * अर्ज़ियां एक के बाद एक प्रस्तुत की जाती है, एवं, मुख्यमंत्री प्रत्येक शिकायत का विस्तार से परीक्षण करते हैं।
      * विभाग द्वारा भेजी गई जानकारी का पुनरावलोकन भी शिकायतकर्ता तथा जिलाधीश/ज़िला विकास अधिकारी/पुलिस अधीक्षक एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों की उपस्थिति में किया जाता है।
      * उचित एवं मान्य हल उसी दिन प्रदान किए जाने का प्रयास किया जाता है तथा आजतक कोई भी शिकायतकर्ता कभी भी उसकी शिकायत के प्रति ठोस जवाब के बिना नही लौटा है।
      ========================
      इस “स्वागत” से बहुत सुधार हुआ है, पूर्णतः शायद नहीं, पर विचार कर देखिए।

  10. आदरणीय रमन सिंह जी–और पंकजजी, आज इस साक्षात्कार का विवरण पढा और न जाने विचारोमें कैसे उत्साह भर गया? रमन सिंहजी, आपके कंधोंपर छत्तीसगढ हि नहीं, वैचारिक रूपसे समग्र भारतका भविष्य निर्भर करता है। मरुभूमि में जैसे कोई हरियाली दृष्टिगोचर हो, ऐसा स्वप्न को सत्य बनानेवाला अनुभव आपने कराया। ठीक ही कहते हैं आप, “काम दिलसे ही किया जाता है” बुद्धिसे तो कुतर्क भी देकर, सभी “ठीक ठाक” का चोला ओढा जा सकता है।
    अपने मन मस्तिष्कमें “चिदानंद रूपोऽशिवोहम्‌ शिवोहम्‌॥” का आरोपण और “कृष्ण नीति” का अवलंबन करते हुए, आपको सफलता के बिना, कोइ दूसरा विकल्प नहीं। जीत आपकी नहीं सारे भारतियोंकी होंगी।आप आगे बढे; संसार, भारतके उत्थानकी राह देख रहा है। जहां शेषन जैसे निर्वाचन आयुक्त “भारत पतन की ओर” पुस्तक लिखने उद्यत हुए हो, वहां आपका यह यश नए प्रभात के संकेत दे रहा है। ॥यशस्वी भव॥

  11. “इस स्नेह, सम्मान, प्यार ने जो जिम्मेदारियां बढाई हैं, वह महसूस करके डर जाना स्वाभाविक है। जन अपेक्षाओं पर खरा उतरने की जो चुनौती है, उससे डर लगता है। हालांकि यही प्यार हमारी ताकत भी है और हमें प्रेरणा भी देता है।”

    अति सुंदर

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