भ्रष्टाचार जैसा ही हमे राष्ट्रीय सुरक्षा पर गम्भीर होना होगा

आतंकियो द्वारा देश में आतंक फैलाने के लिये दिल्ली हाईकोर्ट में किये गये जबरदस्त बम धमाके में अब तक 13 निर्दोष लोग मौत के मुॅह में समा चुके है और लगभग 80 से 90 लोग इस हमले में जख्मी हो गये। यहा में इस बात का भी उल्लेख करता चलू की इसी वर्ष 25 मई 2011 को इसी जगह एक छोटा बम धमाका हुआ था जिस से सुरक्षा एजेंसियो ने कोई सबक नही लिया और इसे हल्का फुलके में लेकर नजर अंदाज कर दिया गया। देश की राजधानी में स्थित दिल्ली हाईकोर्ट में आतंकियो ने हमले का अभ्यास किया और देश का सुरक्षा तंत्र सोता रहा। भारत को दहलाने के लिये देश के दुष्मनो ने अपने खजाने खोल दिये। देश में बम विस्फोट करने के लिये बागपत और मेरठ के लोगो को फोन काल कर के डेढ से दो करोड रूपये देने की पेशकश की और हमारे देश का गृह मंत्रालय सुरक्षा तंत्र, रक्षा तंत्र इसे मजाक में लेता है। और जब देश में तीन महीने बाद बम धमाके होते है तब इन आतंकी हमलो की रस्म अदायगी के तौर पर हर बार की तरह देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, नेता, अभिनेता , सब के सब अफसोस जाहिर कर के देश और देश की जनता को उन के हाल पर छोड देते है। सांप निकलने के बाद लाठी फटकारी जाती है। पूरे देश में हाईअर्लट घोषित कर दिया जाता है। देश में जगह जगह चैकिंग की जाती है। रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड बाजारो में बडी बारिकी से जॉच की जाती है। लेंकिन इस सब के बावजूद आतंकी जब चाहते है जहॅा चाहते है हमारे देश में हमला बोल देते है। गृहमंत्री पी चिदंम्बरम के कार्यकाल में देश में मुम्बई हमले के बाद ये पॉचवा बम विस्फोट है। हर बम विस्फोट के बाद गृह मंत्रालय एक बयान जारी कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर लेता है ’’कि हम इन आतंकवादियो से सख्ती से निपटेगे। मरने वाले के प्रति हमे दुःख है, देश में सभी जगह सुरक्षा बढा दी गई है, दोषियो को किसी भी कीमत पर छोडा नही जायेगा। देश के जिम्मेदार गृह मंत्री के बयान का हर बार आश्चर्यजनक पहलू और अर्थ ये ही निकलता है कि बम विस्फोट की घटना के बाद देश में सुरक्षा बढाये जाने की बात की जाती है। ’’ क्या देश में सुरक्षा व्यवस्था तब तक नही बढाई जायेगी जब तक देश के निर्दोष नागरिक किसी आतंकी घटना के शिकार नही होगे। हम देशवासियो की ये कैसी बदनसीबी है कि देश के दुश्मन आतंकी अजमल कसाब और अफजल गुरू की सुरक्षा पर करोडो रूपया हर साल फंूक दिया जाता है। और देशवासियो को केवल आष्वासन देकर उन्हे उन के हाल पर छोड दिया जाता है।

एक बार फिर दिल्ली में हुए बम विस्फोट के लिये हम किसे दोषी ठहराये क्यो कि इस सब के लिये सब से बडे दोषी तो खुद हम लोग है। हम लोगो ने बार बार गलत सरकार चुनी वो सरकार चुनी जिस का मुखिया अपंग और विकलांग है बैसाखियो पर चलता है। जो गांधी जी के बंदरो का परम भक्त है जिसे देश में न बुरा सुनाई दे रहा है, न बुरा दिखाई दे रहा है, और जो किसी को बुरा कहता भी नही है। उस का सरकार में कोई अपना निर्णय भी नही होता। उसे जिन के इशारों पर काम करना है उन लोगो को देश की एकता अखडता हिन्दू मुस्लिम भाई चारे से कोई मतलब नही। मतलब है तो बस सत्ता में कायम रहने से, सत्ता सुख भोगने से, राजसी ठाठ बाट से। पिछले दिनो देश में युवराज के नाम से चर्चित कर दिये गये इस युवराज ने देश में आतंकी घटनाओ को रोक पाने में अपनी अक्षमता जाहिर की थी। जो व्यक्ति देश के जिम्मेदार पद पर रहते हुए ऐसा बयान दे दे उसे क्या देश का प्रधानमंत्री बनाया जा सकता ये सोचने वाला प्रश्न है। सोनिया को देश वासियो से कभी प्यार होगा मुझे इस में संदेह है। ये तमाम वो लोग है जो देश पर बुरा वक्त आने पर देश और देश के प्रति अपनी तमाम जिम्मेदारियो से ऑख मंूद लेते है जिस का नतीजा मासूम और निर्दोष लोगो को अपनी जान देकर चुकाना पडता है।

हर बार जब बडा काम कर के आतंकी निकल जाते है तब हमारी खुफिया एजेंसियो और गृहमंत्री जी उस के चन्द घ्ंाटो बाद ही देश की जनता को ये लाली पाप दे देते है कि इस हमले में पाकिस्तान का हाथ है और बिना जॉच के ही कुछ आतंकवादी संगठनो के नाम खोल दिये जाते है। क्या इन हादसो के लिये खुफिया तंत्र और देश के सुरक्षा अधिकारियो की कोई जिम्मेदारी और जवाबदेही नही उन लोगो की कोई जिम्मेदारी नही जिन्हे केवल देश की सुरक्षा के लिये ही हर माह मोटी तन्खाह दी जाती है। क्या इन के इतना कह देने से इन की जिम्मेदारी पूरी हो जाती है कि इस विस्फोट या आतंकी हमलो के पीछे हूजी, लश्करे तैयबा, हिन्दू संगठन या पाकिस्तान का हाथ है। सवाल ये नही की इन हमलो के पीछे हूजी है, लश्करे तैयबा है, कोई हिन्दू संगठन है, पाकिस्तान है या कोई और सवाल ये है कि हर बार ये आतंकी कामयाब और देश की पुलिस और खुफिया विभाग नाकाम क्यो होता है। अब के मारो तो कहू के सिद्वांत को आखिर सरकार कब तक लागू रखना चाहती है। देश में हर चार छः महीने में एक बडा आतंकी हमला हो जाता है इस के बाद भी देश का आंतरिक सुरक्षा तंत्र पंगू और लाचार बना इन हमलो को देखता रहता है। आखिर क्यो खुफिया विभाग के आला अफसरो पर इस की जिम्मेदारी फिक्स नही की जाती। देश के दिल दिल्ली पर आतंकवादी वार पर वार कर रहे है। आज देश के कुछ जिम्मेदार राजनेताओ को देश से ज्यादा राजीव गॉधी के हत्यारो और संसद पर हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरू की जान की फिक्र है। देश भर के कुछ राज्यो के जिम्मेदार मुख्यमंत्री, विभिन्न अलगाववादी संगठन, मानवाधिकार संस्थाए और अपने अपने वोट बैंक पर नजर जमाये राजनीतिक नेता राजीव गॉधी के हत्यारो और अफजल गुरू को फॉसी से बचाने के लिये काफी दिनो से सरकार पर दबाव बनाने के साथ ही इस फिराक में लगे है कि किसी भी तरह ये फॉसी टल जाये। क्यो कि इन लोगो को ऐसा महसूस हो रहा है की राजीव के हत्यारो और अफजल गुरू का ये अपराध कोई इतना बडा नही था जितनी बडी सजा इन लोगो को दी जा रही है। ये लोग आखिर कब समझेगे कि जिस देश की तरक्की, हिन्दू मुस्लिम एकता, परम्पराए, हर रोज आतंकवाद की शिकार हो रही हो ऐसे में देश के कुछ जिम्मेदार लोग देश के बदले क्यो आतंकियो की जान बचाना चाहते है।

देश में जब जब कोई आतंकी हमला होता है एक बात जरूर सुनने को मिलती है 9/11 के बाद अमेरिका में कोई आतंकी हमला नही हुआ। लेकिन हम लोग ये बात भूल जाते है कि अमेरिकियो ने एकजुट होकर अपने देश में आतंकवाद का मुकाबला किया। उन्होने अपनी और देश की सुरक्षा को महत्त्व दिया हमारे रक्षा मंत्री जार्ज फंनांडिस हो या पूर्व राष्ट्रपति ए0पी0जे0 अबुल कलाम या फिर सिने अभिनेता शाहरूख खान अमेरिकी सुरक्षा कर्मियो ने अपनी ड्रयूटी को पूरी मुस्तेदी से निभाया बाल बराबर भी अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही नही बरती। हमारी देश में सुरक्षा और सुरक्षा कर्मियो का ये हाल है कि भाजपा सांसद व अभिनेता शत्रुघन सिन्हा का डुप्लीकेट एक टीवी कलाकार एक न्यूज चैलन के इशारे पर देश की संसद में धूमकर चला जाता है और संसद भवन के सुरक्षा कर्मियो को इस का पता भी नही चलता। सोमनाथ के मंदिर की तरह आतंकी दिल्ली पर बार बार हमले कर रहे है और हमारे देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सिर्फ और सिर्फ बयान बाजी से काम चला रहे है।

एक और सवाल ऐसे हमलो और विस्फोटो के बाद बार बार सुनने और अखबारो में पढने को मिलता है कि देश के राजनेताओ और विपक्ष को राजनीति नही करनी चाहिये। सवाल ये है कि क्या विपक्ष और देश की जनता को सरकार से जवाब नही मांगना चाहिये। मेरा मानना है कि विपक्ष को ऐसे मौको और मुद्दो पर संजीदगी के साथ सरकार से जवाब मांगना चाहिये। देश की जनतंत्रिक व्यवस्था में विपक्ष की ये जिम्मेदारी है कि वो सरकार से सवाल पूछे। देश की सुरक्षा एजेंसियो, खुफिया तंत्र, सुरक्षा परिषद की आतंकवाद के मुद्दे पर सर्वदलीय नियमित बैठके होनी चाहिये। देश में सुरक्षा की समीक्षा गृह मंत्रालय द्वारा की जानी चाहिये। ये सब कुछ देश में नही होता। विपक्ष सरकार से आतंकवाद के मुद्दे पर कोई सवाल नही करती क्यो कि देश की जनता उस से कोई सवाल नही करती। संसद भवन में सिर्फ षोर मचाता है और इस शोर में देश की जनता कि आवाज पॉच साल के लिये दबा दी जाती है। आज हम सब देशवासियो को एक आवाज में भ्रष्टाचार की लडाई की तरह ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये सरकार से लडना चाहिये। अन्ना हजारे के आन्दोलन ने हमे ये दिखा और बता दिया है कि सरकार विपक्ष के सवालो से इतना नही डरती जितना देश की जनता के सवालो से उसे डर लगता है।

 

 

 

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