हिमकर श्याम
उमंगों की डोली ले आया कहार
चुनर लाल ओढ़े खड़ा कोई द्वार
कनक रश्मियों में समायी है भोर
हुए स्वपन पुलकित, हुआ मन विभोर
नयी भोर आयी है लेकर बहार
नयी धुन फिजाओं में बजने लगी
नयी आरजू है, नयी है खुशी
उम्मीदों के रथ पर हुए सब सवार
सभी हो निरामय, सभी हो सुखी
मिटे आह पीड़ा, मिटे बेबसी
मिले अब सभी को सुकूनों करार
न होगा किसी का जड़ों से कटाव
रुकेगा नहीं अब नदी का बहाव
चहक नीड़ में हो, चमन में गुंजार
जहाँ में न नफरत का अब नाम हो
जुबाँ पर मुहब्बत का पैगाम हो
मिटे बैर दिल का, मिटे हर दरार
चहूँ ओर माहौल है जश्न का
स्वागत करें हम नये साल का
चलो अपनी किस्मत को ले कुछ संवार