पश्चिम में हिन्दू रीति-रिवाजों से विवाह करवाने की होड़

हरिकृष्ण निगम

भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति-प्राप्त कुछ प्रतिभाओं द्वारा भारतीय रीति-रिवाजों के साथ विवाह करवाने के समाचारों की आज जैसे बाढ़ सी आ गई है। अब तो अमेंरिका में भी हिंदू रीति-रिवाजों के साथ विवाह रचने की होड़ सी लगती दिखती है। राजसी ठाठ-बाट, पारंपरिक भारतीय व्यंजनों एवं विधि-विधानों और सजावटों के व्यापक आकर्षण ने तो अनेक बड़े होटलों और रिसॉर्टों के भारतीय स्वत्वाधिकारियों को इन आयोजनों में जैसे अनेक व्यवसाय में एक नया आयाम जुड़ गया है। हाल में ‘वायस ऑफ अमेरिका’ ने फ्लोरिडा के गेलडि पाम्स रिजार्ट में एक ऐसे हिंदू रीति-रिवाजों युक्त भव्य आयोजन का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंदू विवाह से जुड़े कर्मकांड या विधि-विधानों को संपन्न कराने के लिए अब प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। अमेरिका के अनेक प्रबंध संस्थानों में इवेन्ट मैनेजेमेंट के प्राठ्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों के लिए हिंदू विवाह पध्दतियों को संपन्न कराने के लिए विशेष सत्रों का प्रावधान भी किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त गायिका केटी पेरी और हॉलीवुड की चर्चित हास्य कालाकार रसल बैंड ने हाल में राजस्थान के पर्यटन-स्थल रणथंभौर में बड़ी धूमधाम से हिंदू रीति-रिवाजों से विवाह किया। दोनों ही अब गणपति को आराध्य मानते हैं और इसीलिए गणेश जी की पूजा करते हैं। हिन्दू आस्था और संस्कृति ने केटी को पहले से ही अभिभूत कर रखा था इसलिए गणपति की प्रतिमा के सामने सभी रीति-रिवाजों संपन्न हुए। कहते हैं कि जिन लोगों को इस विवाह में आमंत्रित किया गया था उनको भी भेंट के बदले में नवदंपति ने गणेश-प्रतिमा स्मृति चिह्न के रूप में दी। रसल ने यह स्वीकार किया कि वे उसको पहले की मादक द्रव्यों के सेवन की लत से छुटकारा गणपति के आशीर्वाद से ही पा सक ा है।

वैसे जब से विश्वस्तर में चर्चित एतिएब गिलबर्ट की अपरी औपन्यासिक आत्मकथा कृति, ईट, प्रे, लव, जिस पर जिसपर उनकी भारत की अध्यात्मिक यात्रा का 36 कथानकों का खंड है जिस पर हॉलीवुड की विश्वविख्यात सिने तरिका 42-वर्षीय जुलिया रॉबर्ट््स इस देश में आकर फिल्मांकन करने के साथ हिंदू धर्म अपनाया तब से विदेशियों को नए रूप से हमारे सर्वसमावेशक हिंदू आस्था का आकर्षण प्राप्त हुआ है। भारत में फिल्मांकन के दौरान आश्रम में समय बिताने के बाद जूलिया के कैथोलिक धर्म त्याग कर हिंदू धर्म अपनाया था। साठ के दाक में विश्वविख्यात बीटल बृंद के जार्ज हैरिसन ने हिंदू धर्म में दीक्षित होने के बाद से विश्व की तीसरी सर्वाधिक समृध्द व लोकप्रिया महिला जूलिया रार्बट्स का हिंदू बनाना एक बहुत महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है। उसने ऊपर की दो सर्वाधिक धनाड्य महिलाओं में टॉक-शो सामग्री ओपराह विनफ्री और मिलिंडा गेट्स का नाम आता है।

कु छ समय पहले जोधपुर में आयोजित लिज हर्ले के आयोजित विवाह के कारण भारतीय परंपरा विश्वभर में एक नया सम्मोहक रूप मिला था। हाल में प्रसिध्द सुपर मॉडल हेडी क्लूम और उनके गायक पति सीन ने जब अपने विवाह की तीसरी वर्षगांठ मनाई थी तब उन्होंने वाराणसी के एक पंडित शैलेश त्रिपाठी को वहां विशेष रूप से उस अवसर पर पूजा-पाठ कराने के लिए बुलाया था। आज की तनावग्रस्त दिनचर्या, भागदौड़ और जटिल जीवन पध्दति से जूझने के लिए पश्चिम में हिंदू आस्था के विविध रूपों जैसे मन्त्रोच्चार, हवन आदि को एक कारगर विकल्प भी माना जाने लगा है अब तो लोग हिंदू-बौध्द आस्था, योग, प्राणायाम विपासना, अभ्यंग, ध्यान, तैल स्नान, शिरोधारा एवं अनेक आयुर्वेदिक चिकित्सा पध्दतियों को एक समन्वित रूप में देखने के आदी हो चुके हैं। इसलिए चाहे पुष्कर हो या वाराणसी या अन्य कोई हिंदूतीर्थ विवाहों के लिए भी विदेशी पर्यटक वहां पहुंचने लगे हैं।

जिस प्रकार तीन साल पहले लिज हर्ले और अरूण नायर की हिंदू रीति-रिवाजों से जोधपुर में हुई शादी विश्वभर में चर्चा हुई। इसी प्रकार हॉलीवुड के विख्यात जोड़े ब्रेंड पिट और एंजलिना जोली ने भी निर्णय लिया है कि जल्दी ही नववर्ष में वे भी जोधपुर में हिंदू विधि से सात फेरे लेंगे। यह विवाह उनके अध्यात्मिक गुरू 84 वर्षीय रामलाल सियाग की देखभाल में संपन्न होगा जो जोधपुर में ही अध्यात्म विज्ञान सत्संग केंद्र के संस्थापक व संरक्षक हैं। पश्चिमी मीडिया में, पहले उनके गुरू के परामर्श को जोली और पिट को निकट लाने के विषय में काफी छा चुका है जिसमें उनकों एक मंत्र जाप के लिए उन्होंने प्रेरित किया था उनके यह कुछ प्रसिध्द भक्त मंत्रोउच्चारण का ही अभ्यास नहीं करते हैं बल्कि सिध्द योग के शिविर भी लगवाते हैं।

वैसे हमारे राष्ट्रीय चिंतन में आर्यसमाज का एक ऐसा संदर्भ अरसे से लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करता रहा है। जहां विवाहसहित हर संस्कार के लिए वैदिक विधि को हर प्रबुध्द नागरिक प्रश्रय देता रहा है चाहे वह किसी भी विचारधारा से अनुप्राणित रहा है। लेखक स्वयं उन अनेक उाुहरणों से परिचित है जब 60 और 70 के दशक में जर्मनी, फ्रांस या इंगलैंड में कार्यरत भारतियों ने भारत लौटकर अपनी विदेशी पत्नी के साथ वैदिक विधि से पाणिग्रहण संस्कार पूरा किया था। अब तो यह पध्दति समाप्त हो गई है जो समय की कसौटी पर कसी जाने वाली लोकप्रियता में बदल चुकी है। वे व्यक्ति जो दिखावे, तामझाम या उत्सवी माहौल से परे वैदिक हिंदू आस्था भी अपने वैवाहिक निर्णय में वेद विहित हिंदू परंपराओं का सहारा लेते हैं।

* लेखक अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ हैं।

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