क्या समूचे भारत मे खिल पाएगा ‘कमल’ ?

रोहित श्रीवास्तव

गतवर्षो मे भारतीय जनता पार्टी ने देश के कुछ राज्यो मे अपना स्थिर साम्राज्य स्थापित कर लिया है। चाहे बात हो गुजरात की या फिर छत्तीसगढ़ .. मध्य प्रदेश….. या राजस्थान की … जहां खोया हुआ साम्राज्य हाल मे ही वापस मिला है। ऐसे कई राज्य है जहां पार्टी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है। आधिकारिक रूप मे बीजेपी का जन्म 6 अप्रैल 1980 मे हुआ। तब से लेकर अब तक अगर आप इस (हिंदुवादी) संगठन की प्रगति की बात करते है तो आपको मानना पड़ेगा की पार्टी की उपलबधिया अभी तक वाकई मे कई मापदंडो के पैमानो पर काबिलेतारीफ हैं।

 

हम यहाँ उस पार्टी की बात कर रहे है जिसपे वर्षो से आरोप लगते रहे है की वह केवल एक समुदाय की बात करती है। जिसका काम देश मे ‘धुर्वीकरण’ कर लोगो को धर्म के नाम पर बाँट कर चुनाव जीतना है। उस पार्टी के लिए केवल 34 वर्षो की राजनीतिक यात्रा मे इस ऊंचाई तक पहुँचना कोई छोटी बात नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनावो के नतीजे ऐतिहासिक होने के साथ ‘चौकाने’ वाले थे। देश की राजनीति की अच्छी समझ रखने वाले कई सुरमा और उनके ‘सुरमाई’ पूर्वाग्रही अनुमान धरासाही हो गए थे। यहाँ तक कि कई राजनीतिक पंडितो और विद्वानो ने नैतिकता के आधार पर ‘अनुमान-इंडस्ट्री’ से सन्यास ले लिया था। यहाँ यह बताना भी जरूरी होगा कि जिस नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व मे बीजेपी ने इतिहास रचा उनके विरोधियों की सूची चुनाव के दौरान बहुत लंबी थी जो उन पर पूरे धन-बल के साथ हमला कर रहे थे।

 

क्या मीडिया….क्या समाजसेवी संगठन….क्या नेता…..क्या मानवाधिकार आयोग…. मानो सारी कायनात मिलकर भी मोदी को प्रधानमंत्री बनने से नहीं रोक पायी। देश की जनता ने न केवल मोदी और बीजेपी को जिताया अपितु एक ऐसा फैसला सुनाया जिससे भारतीय राजनीतिक इतिहास कि सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी काँग्रेस ‘अर्श’ से ‘फर्स’ पर आ गयी। राहुल गांधी का भविष्य और अंधेर मे चला गया। पता नहीं कितने ‘थर्ड-फ्रंट’ ‘फोर फ्रंट’ बनने से पहले ही नेस्तनाबूद हो गए। ‘मुलायम’ ‘ममता’ ‘जया’ और ‘माया’ और पता नहीं कितने महत्वकांशी नेताओ के सपने धरे के धरे रह गए। नितीश कुमार को अपनी पार्टी के अप्रत्यासित प्रदर्शन पर तो सबसे ज्यादा शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी क्योंकि यही वह शक्स थे जिन्होने मोदी का जमकर विरोध किया था यहाँ तक कि इन्होने इसके लिए अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी का मोह भी त्याग दिया था। पर उनका कोई पैंतरा काम न आया और मोदी को बम्पर जीत मिली।

 

एक बात बड़ी दिलचस्प और समझने वालों है भारतीय जनता पार्टी ने सबसे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के मतदान से पूर्व जेडीयू के साथ अपना 17 सालो का ‘राजनीतिक-रिश्ता’ खत्म किया वहीं अब महाराष्ट्र मे शिवसेना के साथ 25 साल पुराना याराना पल भर मे तोड़ दिया। एनडीए के यह प्रमुख घटक दल थे। शिवसेना भारतीय जनता पार्टी के लिए इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण था क्योंकि वह ही एक राजनीतिक संगठन है जिससे बीजेपी की विचारधारा कही न कही मिलती थी। अब देखने वाली बात होगी की यह ‘टूटन’ किसके लिए फायदेमंद और किसके लिए ‘घातक’ साबित होती है।

अंततः निष्कर्ष मे यही कहूँगा की जहां तक मैंने भारतीय राजनीति को समझा और परखा है उससे मुझे लगता है कि बीजेपी की योजना बड़ी है शिवसेना के साथ गठबंधन टूटना जल्दबाज़ी के फैसला नहीं बल्कि भविष्य और दूरदर्शी सोच के पैमाने पर लिया गया है। बीजेपी का मकसद ‘कमाल’ को समूचे देश मे फैलाना है और उसके लिए ‘कीचड़’ तो फैलाना ही होगा? देखते है ‘कमल’ खिलता है या ‘मुरझाता’ पर एक बात बिलकुल स्पष्ट हुई दिखती है की मोदी और अमित शाह समूचे भारत मे भगवा लहराना चाहते है।

जय हिन्द,,,,, जय भारत

8 COMMENTS

  1. मेरे मित्र इंसान,

    किसी भी बात पर टिपपड़ी या आपत्ति जाहिर करने से पहले यह अनिवार्य है कि आप वो बात किस प्रपेक्ष मे कही गयी है वो समझे। ‘कीचड़’ शब्द का विश्लेषण अपने बिलकुल नर्थ का ‘अनर्थ’ बनाने के ही भांति किया है। मेरा वहाँ ‘कीचड़’ शब्द का प्रयोग 2 कारणो से हुआ है पहला कमाल सर्वदा ‘कीचड़’ मे ही उगता है दूसरा ‘कीचड़’ मैंने बीजेपी और उसके सहयोगी दलो के बीच लगातार टूटते हुए गठबंधन के लिए है । “‘कमाल’ को समूचे देश मे फैलाना है और उसके लिए ‘कीचड़’ तो फैलाना ही होगा?” इस पंक्ति का सीधा अर्थ है भगवा और कमाल को समूचे भारत मे फैलाना है तो सम्पूर्ण भारत मे बीजेपी आगे भी कीचड़ फैलाएगी (मतलब गठबंधन तोड़ कर) अकेले चुनाव लड़ने का प्रयत्न करेगी। जैसा बिहार और महाराष्ट्र मे हुआ है। जिसकी संभावना पंजाब मे भी देखने को मिल सकती है। शुक्रिया इंसान जी। आशा है आपको मेरे लेख का आशय समझ आया होगा।

    जय हिन्द…

  2. दूसरे विश्व युद्ध में लगभग विध्वस्त पाश्चात्य देशों को शीघ्र फिर से बन संवर अपने सुन्दर बाग़ बागीचों के स्वच्छ जल में खिलते कमल को देखा है लेकिन कीचड़ में रहते कीचड़ से लथपथ कीचड़ व कीचड़ की दुर्गन्ध उगलते लेखक कीचड़ में खिले एकमात्र कमल को मुरझाने के प्रयास में नियोजित है। कमल पर विराजमान भगवान विष्णु युगों से भगवे के प्रतीक हैं और लेखक को समूचे भारत में फिर से लहराता भगवा फैलते कीचड़ के समान दिखाई देता है। मेरा विश्वास है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन में चारों ओर प्रगति की लहर हमारी व्यक्तिगत सोच को प्रभावित करते फिर से हमें राष्ट्रीय फूल कमल की गरिमा का आभास करवाए गी। समूचे भारत में कमल को स्वच्छ जल में खिलते देख लेखक व लेखक की मानसिकता जैसे अन्य लोग कृतार्थ हो उठें गे।

  3. आर आर सिंह जी आप कुछ भी समझ सकते है। 😀

  4. jiski niyat hi kude kachare jaisi jho use zadu hi dikhega———-soch badlo o zadudas varna sochna band karo rayta faiala bhi apradh hai!!!!

    • श्री नरेंद्र सिंह ,पहले तो आप हिंदी देवनागरी लिपि में लिखना सीखिए. उसके लिए कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं ,प्रवक्ता के इसी पृष्ठ पर केवल क्लिक करने से आप ऐसा कर सकते है.दूसरी बात, अपनी सभ्यता अपने ही पास रखिये और काम से कम उनलोगों से शिष्टाचार से पेश आइये,जो भारतीय संस्कृति में शिष्टाचार का विशेष स्थान मानते हैं. हो सकता है कि आपअपने आप में बहुत महान हों,पर यह महानता आपको सभी के लिए तुम इस्तेमाल की इजाजत शायद ही देती हो. खैर आब आइये मुद्दे पर ,जब मैं झाड़ू और सफाई की बात करता हूँ,तो आपको बुरा लगता है्‌ हो सकता है कि नमो का यह सफाई अभियान भी आपको बुरा लगा हो,पर आप उनको तो कुछ कह नहीं सकते , नमो ने जब पहली बार यह कहा था कि भारत को मंदिर से ज्यादा शौचालयों की जरूरत है,तो बहुतों ने नाक भौं सिकोड़ी थॆ्‌ हो सकता है,आप भी उन्ही में से हों,पर यह सत्य है की उन्होंने सत्य दृष्टि कोण अपनाया था
      अब बात आती है कमल और झाड़ू की,तो भारत में गन्दगी है,अँधेरा है,अतः रोशनी का माध्यम और झाड़ू कमल से ज्यादा आवश्यक है ऐसे कमल तो कीचड़ में खिलता है ,अतः आपको कीचड़ और गन्दगी से परहेज नहो पर अधिकतर लोगों को तो है. जनसंघ का पुराना सिम्बल जलता हुआ दीपक था,पर न जाने किसको यह सूझा कि उसको कमल में बदल दिया जाये. हमें अन्धकार से बाहर आना है,अतः दीपक की आवश्यकता हैं ,गन्दगी से निजात पाना है ,अतः झाड़ू की आवश्यकता है.इसका मतलब आप जैसे लोग क्या निकालते हैं,यह मेरे जैसों के लिए कोई महत्त्व नहीं रखता
      पता नहीं यह रायता या खिचडी फैलाने की जो बात करते हैं,वह भी मेरे लिए कोई महत्त्व नहीं रखता ,क्योंकि अगर यह अरविन्द केजरीवाल से संवंधित है,तो अरविन्द केजरीवाल का मैं अंध भक्त कौन कहे भक्त भी नहीं हूँ. मैं आम आदमी पार्टी के उन विचारों का समर्थक हूँ,जो बिना भेदभाव के सबके लिए तरक्की चाहता है,जो भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहता हैज़ो गरीब से गरीब लोगों को उच्च कोटि की शिक्षा और उत्तम स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था करना चाहता है और जिस पार्टी का सार ग्रन्थ ‘स्वराज’ महात्मा गांधी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के उन विचारों की अगली कड़ी है ,जिसे कांग्रेस और जनसंघ( भाजपा ) ने दफना दिया है.

    • श्री नरेंद्र सिंह ,पहले तो आप हिंदी देवनागरी लिपि में लिखना सीखिए. उसके लिए कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं ,प्रवक्ता के इसी पृष्ठ पर केवल क्लिक करने से आप ऐसा कर सकते है.दूसरी बात, अपनी सभ्यता अपने ही पास रखिये और काम से कम उनलोगों से शिष्टाचार से पेश आइये,जो भारतीय संस्कृति में शिष्टाचार का विशेष स्थान मानते हैं. हो सकता है कि आपअपने आप में बहुत महान हों,पर यह महानता आपको सभी के लिए तुम इस्तेमाल की इजाजत शायद ही देती हो. खैर आब आइये मुद्दे पर ,जब मैं झाड़ू और सफाई की बात करता हूँ,तो आपको बुरा लगता है्‌ हो सकता है कि नमो का यह सफाई अभियान भी आपको बुरा लगा हो,पर आप उनको तो कुछ कह नहीं सकते , नमो ने जब पहली बार यह कहा था कि भारत को मंदिर से ज्यादा शौचालयों की जरूरत है,तो बहुतों ने नाक भौं सिकोड़ी थॆ्‌ हो सकता है,आप भी उन्ही में से हों,पर यह सत्य है की उन्होंने सत्य दृष्टि कोण अपनाया था
      अब बात आती है कमल और झाड़ू की,तो भारत में गन्दगी है,अँधेरा है,अतः रोशनी का माध्यम और झाड़ू कमल से ज्यादा आवश्यक है ऐसे कमल तो कीचड़ में खिलता है ,अतः आपको कीचड़ और गन्दगी से परहेज नहो पर अधिकतर लोगों को तो है. जनसंघ का पुराना सिम्बल जलता हुआ दीपक था,पर न जाने किसको यह सूझा कि उसको कमल में बदल दिया जाये. हमें अन्धकार से बाहर आना है,अतः दीपक की आवश्यकता हैं ,गन्दगी से निजात पाना है ,अतः झाड़ू की आवश्यकता है.इसका मतलब आप जैसे लोग क्या निकालते हैं,यह मेरे जैसों के लिए कोई महत्त्व नहीं रखता
      पता नहीं यह रायता या खिचडी फैलाने की जो बात करते हैं,वह भी मेरे लिए कोई महत्त्व नहीं रखता ,क्योंकि अगर यह अरविन्द केजरीवाल से संवंधित है,तो अरविन्द केजरीवाल का मैं अंध भक्त कौन कहे भक्त भी नहीं हूँ. मैं आम आदमी पार्टी के उन विचारों का समर्थक हूँ,जो बिना भेदभाव के सबके लिए तरक्की चाहता है,जो भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहता हैज़ो गरीब से गरीब लोगों को उच्च कोटि की शिक्षा और उत्तम स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था करना चाहता है और जिस पार्टी का सार ग्रन्थ ‘स्वराज’ महात्मा गांधी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के उन विचारों की अगली कड़ी है ,जिसे कांग्रेस और जनसंघ/ भाजपा ने दफना दिया है.

  5. मुझे तो कल से कमल कहीं दिख नहीं रहा है.अब तो पूरा राष्ट्र झाड़ूमय हो गया है.

      • रोहित जी ,तब इसका मतलब मैं यह समझूँ कि दूसरे दिन से सफाई अभियान बंद.

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