कैसा हो हास्पिटल का वास्तु ..??? ; Hospital Vastu

कई अस्पतालों और नर्सिंग का वास्तु ठीक न होने क़ी वजह से डाक्टर से लेकर मरीज तक सभी असंतुष्ट रहते हें ..चाहे वह कितना ही बड़ा या नामी हस्पताल हो…अगर वास्तु के अनुकूल अस्पताल या नर्सिंग होम बनाया जाये तो निश्चित रूप से जल्द ही रोग निवारण सफल आपरेशन होते है आईये देखे वास्तु के अनुरूप अस्पताल कैसा होना चाहिए —-

आइये जाने हास्पिटल में कहाँ हो कैसा रूम …???

स्वस्थ और निरोग शरीर प्रकृति द्वारा प्राप्त वरदान से कम नही होता , इसी के द्वारा मनुष्य हर असंभव कार्य भी सम्भव बना देता है लेकिन आज के दुर्षित वातावरण , दुर्षित जल , खाद्य प्रसंस्करण तथा मिलावटी सामग्री के कारण स्वस्थ जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है ,

इसी कारण रोगों, दवाओ और अस्पतालों क़ी संख्या में दिनों दिन वृद्धि होती जा रही है , रोज जगह -जगह नर्सिंग होम, अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र आदि खुलते रहते है,

ऐसे संस्थानों का निर्माण भी वास्तु नियमो द्वारा किया जाना चाहिये क्योकि यहाँ हर समय मरीजो का आना जाना लगा रहता है, इनके निर्माण के लिए वास्तु शास्त्र के मुख्य नियम निम्न है—–

—– पुर्वौत्तर दिशा में अस्पताल शुभ होता है,

—–रोगियों का प्रतीक्षा कक्ष दक्षिण दिशा में होना चाहिए

—–रोगियों को देखने के लिए डाक्टर का कमरा अस्पताल क़ी उत्तर दिशा में होना चाहिए,

—–डाक्टर को मरीजो क़ी जाँच आदि पूर्व अथवा उत्तर दिशा में बैठ कर करनी चाहिए,

—–रोगियों क़ी भर्ती के लिए कमरे उत्तर, पश्चिम अथवा वायव्य कोण में बनवाने चाहिए,

—–अस्पताल में पानी क़ी व्यवस्था ईशान कोण में होनी चहिए,

——अस्पताल का कैश काउंटर दक्षिण-पश्चिम दिशा में हो तथा आदान -प्रदान के लिए खिड़की उत्तर या पूर्व की तरफ खुलनी चाहिए,

—–शल्य चिकित्सा कक्ष अस्पताल की पश्चिम दिशा में बनवाना चाहिए, इस कक्ष में जिस रोगी का ओपरेशन करना हो उसे दक्षिण दिशा में सिर करके लिटाये,

——अस्पताल का शोचालय दक्षिण या पश्चिम में तथा स्नानघर पूर्व या उतर दिशा में बनवाना चाहिए,

——अस्पताल की दीवारों का रंग हल्का बेगनी या हल्का नीला होना चाहिए,

——-अस्पताल में रोगियों के बिस्तर सफेद तथा ओढने वाली रजाई, कम्बल आदि लाल रंग के होने चाहिए, यह रंग स्वास्थ वर्धक होता है,

—— वाहनों के लिए पार्किंग स्थल पूर्व या उतर दिशा की और रखना चाहिए,

—— आपातकाल कक्ष की व्यवस्था वायव्य कोण में होनी चाहिए,

इस प्रकार अस्पताल के निर्माण में उक्त नियमों/बातों का ध्यान रखने से मरीज का किसी भी प्रकार से अहित नही होता, साथ ही अस्पताल अपनी पहचान बनाने में सफल रहता है.

 

 

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