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जिन्हें पाकर पुरस्कार मुस्कुराया  - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-अनिल द्विवेदी- साल 2000 के फरवरी माह का कोई दिन था। श्वेत-धवल वस्त्रों में लिपटी गौरवर्ण की काया, वात्सल्यमयी मुस्कान लिए विद्वान संपादक के समक्ष जैसे ही पहुंचा, उन्होंने बैठने का इशारा किया और सीधे पूछ लिया : कलम रखे हो। ग्रेजुएशन के बाद पहली नौकरी पाने के उत्साह से…