नाजायज कौन ? बाप या बेटा !

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 शुक्र हैं इस देश मे न्यायालय हैं जो वाकई कभी-कभी न्याय की ऐसी मिशाल कायम करता हैं कि इसे न्याय का मंदिर कहा जाता हैं । शुक्रिया तो उस वैज्ञानिक पद्धति का भी होना जो 86 साल की उम्र मे भी किसी को पिता बना देने मे सफल हैं । किसी की रंगरलीयों का खामियाजा कोई और क्यूं भुगते, क्यों बिन ब्याही मां के संतान को दुनीया नाजायज कहती हैं उस बाप को क्यूं कोई नाजायज नहीं कहता जो अपनी अय्यासी के चक्कर मे एक इंसान को इस समाज मे तो लाता हैं लेकिन उसे अपनाने से मना कर देता हैं क्योकी उसमे हिम्मत नहीं होती उस समाज से सामना करने की जिसमे उस मासुम को ला फेंकता हैं ताउम्र जिल्लते सहने के लिए । क्यों समाज जब उस बच्चे को गाली देता हैं तब उसके मन मे उस पापी का खयाल नहीं आता दुनीया जिसकी नीशानी उस बच्चे को मानती हैं । रोहीत शेखर के मामले मे डीएनए टेस्ट के मुताबिक कोर्ट ने एक ऐसा फैंसला दिया जिसने समाज के दिए हुए नाम, और समाज के फैंसले के लिए कइ सवाल खडे कर दिये हैं ।अदालत ने एक बेटे को उसका सम्मान दिलाते हुए फैसला दिया कि रोहित शेखर एनडी तिवारी का बेटा हैं । किसी भी रिश्ता से पैदा हुई संतान कभी नाजायज नहीं होती क्योकी उसका उसमे कोई कसुर नहीं होता, क्या बिना पिता के नाम को किसी बच्चे का हक मारा जा सकता हैं..वो बेटा जो शादि के रिश्ते से बाहर जन्म लेता हैं या वो पिता जो शादी से पहले उसके जन्म का कारण बनता हैं..वो पिता जो प्रेम तो करता हैं लेकिन अपना नाम देने की हिम्मत नही जुटा पाता.. क्यों एक बेटे से बाप का नाम पुछा जाता हैं बाप से भी बेटे का नाम क्यों नहीं पुछा जाता । 29 मई 2012 को दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले के बाद रोहीत शेखर ने कहा की कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता बल्की नाजायज तो वो बाप होता हैं जो उसे इस दुनीया मे लाता हैं । रोहित की बातों मे एक विश्वास था जो यह बता रहा था कि समाज के दिए हर नाम सही नहीं होता या समाज कि परिभाषा कोई पत्थर की लकीर नहीं होती जिसे मिटाया नहीं जा सकता । रोहित शेखर के मामले मे कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक इसलिए भी रहा क्योकी यह समाज, और देश के लिए भी एक मिशाल हैं, यह एक अनोखा फैसला हैं जो न्यायालय कि गरिमा मे चार चांद लगा देता हैं । अब बात करें उस शख्स की जो किसी जमाने मे कांग्रेस के कद्दावर नेताओं मे शुमार थे, लेकिन अपनी रंगीनमिजाज के चलते हमेशा चर्चा मे रहे, और अय्यासी ने उनके राजनैतिक करियर की बली ले ली ।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी अपनी रंगीनियों के चलते पहले भी विवादों में घिर चुके हैं। तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल के पद पर रहते हुए एक सेक्स स्कैंडल में भी फंस चुके हैं । एक तेलुगू समाचार चैनल ने एक घंटे तक ऐसी तस्वीरें और वीडियो प्रसारित किए, जिनमें 85 वर्षीय तिवारी जैसे दिखने वाले एक शख्स को तीन युवा लड़कियों के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था। वैसे एनडी तिवारी ऐसे अकेले नेता नहीं हैं, जिनकी अय्यासीयों की चर्चा सरेआम रही हो । रोहीत शेखर की मां उज्ज्वला के साथ तिवारी के रिश्ते कभी छिपे नहीं रहे। गाहे-बगाहे लोगों के सामने आते रहे लेकि अनबन किस बात पर हुई अब तक न तो खुलकर कभी उज्ज्वला ने कुछ बोला और न ही एनडी तिवारी ने इस पर कुछ कहा। उज्ज्वला शर्मा की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक तिवारी से उनके रिश्ते उस समय के हैं जब एनडी तिवारी युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उज्ज्वला युवा कांग्रेस की महिला इकाई में ज्वाइंट सेक्रेटरी बनी थीं। उज्ज्वला के पिता शेर सिंह हरियाणा से सांसद थे और इंदिरा गांधी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री थे। उसी दौरान उज्ज्वला से उनकी मुलाकात हुई।और दोनो के बिच मेल मिलाप बढां, तिवारी ने शादी करने का वादा किया और दोनो के बिच फिजीकल रिलेशनशीप भी बने । बाद मे तिवारी मुकर गए, इसी बिच रोहित शेखर का जन्म हुआ । रोहित नहीं चाहता था कि उसकी बाप की गलती कि सजा वह और उसकी मां भुगते, इसलिए 2008 मे रोहीत शेखर ने तिवारी को अपना पिता होने का दावा करते हुए अदालत मे एक याचिक डाली । रोहित के याचिका के बाद एनडी तिवारी ने अपने झुठे रसुख के भरोसे अदालत को भी गुमराह करते रहे लेकिन आखिरकार अदालत ने डीएनए रिपोर्ट के आधार पर फैसला दिया कि एनडी तिवारी हीं रोहीत शेखर के असली पिता हैं । एनडी तिवारी इसके बाद भी इसे राजनैतिक साजिश बता रहे हैं उनसे ऐसी हीं उम्मीद भी थी । रोहीत शेखर का कहना हैं कि उन्हे सिर्फ यह साबित करना था कि वो एक नाजायज बाप के जायज औलाद हैं इसलिए उन्हे उनके नाम की जरुरत नहीं हैं लेकिन उन्होने जितना सताया हैं उसकी भरपाई तो उन्हे करनी पडेगी, रोहित अब हर वो हक चाहते हैं जो एक पिता पर एक बेटे का होता हैं ..एन डी तिवारी की संपति लगभग 535 कड़ोर से ज्यादा की हैं जिसमे तिवारी के मरने के बाद रोहित का भी हक बनता हैं ।एनडीतिवारी को पैसे के अलावे कुछ नहीं नजर आता इसलिए उनके पैसे का हिसाब होना चाहिए…

रोहित खुद एक वकिल हैं और उन्हे मालुम हैं कि कानुन के मुताबिक अगर कोई जोड़ा शादी के बगैर किसी संतान को जन्म देते हैं उसे नाजायज ही माना जाता हैं. ये 1955 से हिन्दु मैरेज एक्ट के समय से चला आ रहा हैं..इस एक्ट के मुताबिक पिता के संपति मे तभी अधिकार होता हैं जब पिता की मौत हो जाए..18 साल के बाद वो पिता से कुछ नहीं मांग सकता चाहे वो जायज हो या नाजायज.. रोहीत शेखर को असली अमानत मिल चुकी हैं उन्होने अपने माथे से नाजायज का कलंक मिटा दिया हैं लेकिन इसके लिए सबसे पहले उनकी मां को धन्यवाद देना चाहिए जिसने इतनी हिम्मत दिखाई, और समाज की परवाह ना करते हुए भी अपने बेटे को उसका हक दिलाने के लिए उसके बाप के नाम को दुनीया के सामने लेकर आई ।

किसी बच्चे को नाजायज कहने से पहले एक बार समाज को सोचना चाहिए इस फैसले के बाद, उस शख्स की गलती क्या ये हैं कि वो अपनी बाप के गलती का नतिजा हैं..रविन्दर नाथ टैगोर ने कहा था कि .. इस दुनीया मे आने वाला हर बच्चा एक संदेश लेकर आता हैं रोहित भी पुरी दुनीया को ये संदेश दे चुके हैं कि कोई औलाद नाजायज नहीं होती बल्की नाजायज वो होता हैं जो उसे पैदा करता हैं..।

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