कुदरत आखिर क्यों नाराज हुई ?

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16 जून 2013 का दिन उत्तराखंड के लिए विनाश का ऐसा काला समय था, जिसने हज़ारों की संख्या में लोगों की ज़िंदगियों को छीन लिया । वहां जो बच भी गए, उनका घर कारोबार सब कुछ उजड़ गया। प्रकृति के इस कहर से केदारनाथ, रूद्र प्रयाग, उत्तरकाशी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। उत्तराखण्ड में आई उस भीषण आपदा को लेकर हर लोगों के मन में अलग अगल सवाल उठता था कि उत्तराखंड में आई ये विपदा प्राकृतिक है या इसके लिए प्रकृति के साथ मानवीय छेड़छाड़ जिम्मेदार है। बात कुछ भी रही हो पर देवभूमि के तबाही को अभी साल भर ही बीता था। कि धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर में हुई भारी बारिश की वजह से जम्मू और श्रीनगर में लोगों को जबरजस्त बाढ़ का सामना करना पड़ा है। एक बार फिर कुदरत का कहर जम्मू में देखने को मिला। आखिर अब प्रकृति इतनी क्यों खफा दिख रही है। उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के वो जख्म अभी ठीक तरह से भर नही पाए हैं। केदारनाथ के दर्शन को गए वो लाखों लोगों ने जिस तरह से अपने ऊपर इस आपदा को झेला उसे सुनकर ही रूह कांप उठती है। लाखों फंसे श्रद्धालुओं को सेना ने जिस तरह से बाहर निकाला उस देश की सेना पर सबको नाज़ है। रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सेना और आईटीबीपी के जवान एक हेलिकॉप्टर क्रैश में मारे भी गए। वहां के लोगों ने इस आपदा को धारी देवी की नाराजगी बताई। धारी देवी काली का रूप माना जाता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार उत्तराखंड के 26 शक्तिपीठों में धारी माता भी एक हैं। एक बांध निर्माण के लिए 16 जून की शाम में 6 बजे शाम में धारी देवी की मूर्ति को यहां से विस्थापित कर दिया गया। इसके ठीक दो घंटे के बाद केदारघाटी में तबाही की शुरूआत हो गयी। केदारनाथ में पहले भी बारिश होती थी, नदियां उफनती थी और पहाड़ भी गिरते थे। केदारनाथ में श्रद्धालु कभी भी इस तरह के विनाश का शिकार नहीं बने। प्रकृति की इस विनाश लीला को देखकर कुछ लोगों की आस्था की नींव हिल गई है। अब जम्मू और कश्मीर में कुदरत ने पिछले साठ सालों में सबसे भयावह कहर बरपाया है। जम्मू में आई इस आपदा का सामना एक बार फिर सेना के जिम्मे गई । बाढ़ से आई भयानक तबाही से करीब 160 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी । एक बार फिर कुदरत को नाराज करने का दुस्साहस किसी ने किया है । बचाव कार्य में लगी सेना लोगों को बाढ़ से बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर ले जा रही है। राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल और सेना ने अब तक बाढ़ में फंसे करीब 1 लाख से जिंदगियों को बचाया है। सबसे अहम बात जो लोग सेना को अपना दुश्मन मान रहे थे। आज वही सेना फरिश्तों की तरह उनके लिए काम कर रही है। भीषण बाढ़ में फसें लोगों के लिए अपनी जान को जोखिम में डालते हुए लोगों तक राहत सामग्री पहुचना अपने कंधों पर लोगों को बैठाकर बचाना । जो पाक इस जम्मू कश्मीर के लिए हमेशा युद्ध विराम का उल्लंघन करता रहता है आज वो कहा सोया है । कश्मीर के अलगाववादी नेता आज कहा सो रहे है। इतनी बड़ी आपदा को झेल रहा जम्मू कश्मीर में अब उनके बोलने के लिए शब्द ही खत्म हो चुके हैं। कुदरत के इस कहर के तो टाला नही जा सकता था। पर जिस तरह से वहां के लोग इस तबाही को झेल रहे है दिल दहला देने वाली है। खाना पानी दवाईओं से लेकर जरूरी समान सरकार भले ही बांट रही है पर अपना घर, समान और अपनो को खोने दुख देख देश के लोगों की आखें भर आई हैं। काबिले तारीफ है देश की सेना जो हर जोखिम को आसानी से झेल कर लोगों की मद्द के हमेशा तत्पर रहती है। ऊपर से हमारे पडोसी देश को देखो इस आपदा का भी पूरा फायदा उठाने की सोचते है।अब भी वो फायरिंग करने से से बाज नही आ रहे है। वही पाक अधिकृत कश्मीर में भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी सहायता करने की बात कही पर ये अपना रंग दिखाना कभी नही भूलते। जम्मू में लोग जिंदगी की जद्दोजहद जिस तरह से कर रहे हैं ऐसा ही हाल पाकिस्तान में भी कुछ इलाकों का है। धरती के स्वर्ग को घूमने गए लोग भी वहां इस भीषण तबाही में फसें पड़े है ।उनके परिजन भी परेशान हो रहे हैं । इस आपदा में फसें लोग और देश के लोग बस एक ही बात सोच रहे है कुदरत आखिर क्यों नाराज हुई है ?

 

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