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शब्दों पर क्यों नहीं उगाए पुष्पों के पौधे? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रवीण गुगनानी मेरा रोम रोम ही तो कह रहा था तुम्हीं ने नहीं सुना. न सुना और न महसूसा कि कहीं कुछ घट रहा है पल प्रति पल दिन प्रति दिन हर समय हर कहीं और जो घट रहा है उसे नहीं देखा जा सकता सीधी नंगी आँखों से. उसे…