बच्चियों के साथ दरिंदगी पर उदासीनता क्यों

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देश में लगातार बच्चियों के साथ दरिंदगी की घटनाएं बढ़ती जा रही है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा में हुई हाल की घटनाओं ने दरिंदगी की इंतहा पार कर दी है। बावजूद इसके भी सरकारों की तरफ से उदासीनता बरती जा रही है। अगर ऐसे ही रहा तो आने वाले दिनों में सामान्य परिवार के लोगों को अपनी बच्चियों की इज्जत बचा पाना मुश्किल होगा। साथ ही हिंसा की घटनाओं में भी इजाफा होगा। हिंसा की यह घटनाएं साम्प्रदायिक स्वरुप भी धारण कर सकेंगी। 2 अप्रैल 2015 को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की खौफनाक घटना सामने आयी। बदायूं के जरीफनगर में बंदूक के दम पर दो नाबालिग बहनों से बलात्कार किया गया। दोनों बहनें जब जंगल की तरफ निकलीं तो घात लगाए बैठे लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया। काफी देर तक वापस न लौटने के बाद जब दोनों बहनों की तलाश में की गई तो गांववालों ने जंगल से चीख-पुकार सुनी। गांववालों ने लड़कियों को छुड़ाकर आरोपियों को पुलिस के हवाले कर दिया। पीड़ित के परिजनों ने पांच आरोपियों को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया, जिसके पास से नाजायज असलहे भी बरामद हुए। दूसरी घटन 2 अप्रैल की ही मध्य प्रदेश की है। यहां रीवा जिले के सिविल लाइन थाना अंतर्गत निमार्णाधीन ईको पार्क में दोपहर एक नाबालिग के साथ तीन युवकों ने गैंगरेप किया। नाबालिग अपनी चप्पल सुधरवाने घर से निकली थी, जिसे आरोपी युवक निमार्णाधीन ईको पार्क ले गए और बारी-बारी से ज्यादती की। तीसरी घटना महाराष्ट्र की है। यहां अकोला सरकारी स्कूल के दो शिक्षकों पर यौन प्रताड़ना का मामला दर्ज किया गया। स्कूल की 49 लड़कियों ने इन दोनों शिक्षकों पर यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया था। आरोपी शिक्षकों की पहचान राजन गजभिये और शैलेश रामटेके के रूप में हुई है। पुलिस के मुताबिक जवाहर नवोदय विद्यालय के प्रिंसिपल राम अवतार सिंह की शिकायत पर ये मामले दर्ज किए गए हैं। स्कूल के रवैये से असंतुष्ट लड़कियों ने महाराष्ट्र स्टेट वुमन कमिशन से संपर्क साधा था। दो पीड़ित लड़कियों के बयान के मुताबिक प्रैक्टिकल एग्जाम में मार्क्स नहीं देने की धमकी के सहारे केमिस्ट्री और बायॉलजी के टीचर्स लंबे समय से यौन शोषण कर रहे थे। लड़कियों ने आरोप लगाया है कि दोनों टीचर्स अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते थे। ये संबंध बनाने की पेशकश करते थे। ये गंदे इशारे भी करते थे। चौथी घटना हरियाणा के गुणगांव की है। यहां डीएलएफ से सटे गांव के एक परिवार में तीस मार्च को कुंआ पूजन का कार्यक्रम था। खाना-पीना होने के बाद जब रात में मां का जगराता हो रहा था तभी कार्यक्रम में शामिल होने आया शर्मा यादव एक पांच साल की बच्ची को बहाने से बगल में स्थित पार्क के पीछे ले गया और वहां उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। परिजनों ने बेहोश बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया जहां से दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था। वहां पर बच्ची की सर्जरी की गई जिसके चलते बच्ची की हालत में सुधार हुआ लेकिन 2 अप्रैल को ब्लीडिंग ज्यादा होने से बच्ची की हालत नाजुक हो गई। यह तो कुछ बड़ी घटनाएं हैं, जो प्रकाश में आ गयीं। इसी तरह की अन्य कई घटनाएं भी लगातार घट रही हैं। ऐसी घटनाओं को लेकर महिला आयोग से लेकर बाल आयोग, मानवाधिकार संगठन व अन्य स्वैच्छिक संगठन के लोग भी गंभीर नहीं दिखाई दे रहे हैं। लगातार घट रही इस तरह की घटनाएं केन्द्र की मोदी सरकार पर भी सवाल खड़ा कर रही हैं। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान सुशासन स्थापित करने के नाम पर वोट मांगा था, क्या यही सुशासन है।

— रमेश पाण्डेय

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  1. अत्यंत शर्म की बात है सरकारें क्या कर रही हैं — “देश में भले ही लड़कियों और महिलाओं के लिए कानून हों पर रिलायंस स्कूल जामनगर (ग़ुजरात) में हिंदी शिक्षक-शिक्षिका की बेटी को बोर्ड परीक्षा नहीं देने दिया जाता है निर्दोष हिंदी शिक्षिका को अमानवीय प्रताड़नाएँ झेलनी पड़ती हैं क्योंकि [ उन्होंने रिलायंस स्कूल के प्रिंसिपल मिस्टर एस.सुंदरम के हिंदी दिवस (14-9-10) के दिन के इस कथन :“बच्चों हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, हिंदी टीचर आपको गलत पढ़ाते हैं, गाँधी पुराने हो गए उन्हें भूल जाओ फेसबुक को अपनाओ, माँ-बाप भी डाँटे तो पुलिस में केस कर सकते हो,पाँव छूना गुलामी की निशानी है !”] से विनम्र असहमति जताई थी !

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