विकिलीक्‍स के खुलासों से कांग्रेस की सांसत

nehru-familyसिद्धार्थ मिश्र “स्‍वतंत्र”

अपने खुलासों से पूरी दुनिया की सियासत को झकझोर देने वाले विकिलिक्‍स केबल्‍स के खुलासे निश्चित तौर पर कांग्रेस की सांसत के कारण बन रहे हैं । अपने खुलासों में किसी एक कांग्रेसी नेता को नहीं लगभग पूरे प्रथम परिवार की मिट्टी पलीद कर दी है । वर्तमान परिप्रेक्ष्‍यों में घपले घोटालों और भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोपों से कांग्रेस पार्टी अभी पूरी तरह उबरी भी नहीं है कि ऐसे में प्रकट हुए ये केबल्‍स वास्‍तव में कांग्रेस के कोढ़ में खाज का काम ही करेंगे । जहां तक विकिलीक्‍स के ताजा खुलासों का प्रश्‍न है तो ये पहले के खुलासों से सर्वथा भिन्‍न एवं ज्‍यादा प्रामाणिक माने जा सकते हैं । प्रामाणिक इसलिए कि ये केबल्‍स इस बार अमेरिकी की कानूनी सहमति से जारी किये गये हैं । ये सारे दस्‍तावेज इस बार एनएआरए की वेबसाइट पर उपलब्‍ध हैं । जहां तक एनएआरए का प्रश्‍न है तो ये वास्‍तव में अमेरिका की मान्‍यता प्राप्‍त एजेंसी है जिस पर सरकारी एवं ऐतिहासिक महत्‍व के दस्‍तावेजों के संरक्षण की पूर्ण जवाबदेही है ।

भारतीय इतिहास को यदि गौर से देखें तो निश्चित तौर पर हमें कांग्रेस के प्रथम परिवार से जुड़े विभिन्‍न विषयों पर प्रथम दृष्‍टया संदेह होना लाजिमी ही है । ऐसे में लोकसभा चुनाव २०१४ के ठीक पहले अस्तित्‍व में आये ये केबल्‍स कांग्रेस को संदेह के घेरे में अवश्‍य लाएंगे जिसका परिणाम शायद चुनावी नतीजों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है ।बहरहाल इस विषय पर अन्‍य चर्चा से पूर्व एक नजर डालते विकिलीक्‍स के खुलासों पर,अपने हालिया खुलासों में विकिलीक्‍स ने इंदिरा,राजीव समेत संजय गांधी को सीधे तौर पर निशाने पर लिया है ।

विकिलीक्‍स  के अनुसार इंडियन एयरलाइंस में काम करते हुए राजीव  गांधी स्‍वीडिश कंपनी साब-स्‍कानिया के लिए एजेंट का काम करते थे । ये खुलासा हेनरी किसिंजर केबल्‍स के हवाले से किया गया है । हेनरी किसिंजर अमेरिका के सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं । गौरतलब है कि १९८० तक राजनीति से दूर रहे राजीव गांधी को इंदिरा गांधी संजय गांधी के मौत के बाद राजनीति में लेकर आई थी । उनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल में ही वे स्‍वीडिश कंपनी से बोफोर्स तोपों की खरीद से संबंधित सौदे में दलाली के आरोपों से घिर गये थे । काबिलेगौर है कि भारतीय सेना को तोप सप्‍लाई का ये सौदा हथियाने के लिए स्‍वीडन की कंपनी बोफोर्स पर ८० लाख डालर की दलाली चुकाने का भी आरोप है । १९७४-७६ के बीच जारी हुए ४१ केबल्‍स के अनुसार स्‍वीडिश कंपनी को इस बात का अनुमान था कि इस डील में अंतिम फैसला गांधी परिवार की रजामंदी से ही होगा । इस पूरी घटना पर प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए भाजपा के प्रवक्‍ता प्रकाश जावड़ेकर ने गांधी परिवार को निशाने पर लेते हुए ये कहा कि हर रक्षा सौदे कांग्रेस के प्रथम परिवार का नाम ही सामने क्‍यों आता है ?  वाकई प्रश्‍न विचारणीय है,क्‍योंकि कांग्रेस इन प्रश्‍नों को नकार नहीं सकती कि प्राय हर बड़ी दलाली में उसकी संलिप्‍तता क्‍यों पायी जाती है ?

इस सारे प्रसंग से कांग्रेस एक बार दोबार संदिग्‍ध होती नजर आ रही है ।

विकिलीक्‍स के इस खुलासे में दूसरा प्रमुख खुलासा प्रसिद्ध समावजवादी नेता जार्ज फर्नांडिस से संबंधित है । इस केबल में ये दावा किया गया है कि आपातकाल के दौरान उन्‍होने अमेरिका से आर्थिक मदद लेने की कोशिश की थी । ज्ञात हो कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी को सोवियत संघ रूस का समर्थन प्राप्‍त था । ऐसे में लाजिमी भी है कि देश में लोकतंत्र की बहाली को लेकर उन्‍होने अमेरिका से संपर्क किया हो । वास्‍तव में ये उस युग की भयावहता का प्रतीक ही है जब इंदिरा गांधी ने अपनी सत्‍ता बचाने के लिए राष्‍ट्र पर आपातकाल थोप दिया था । इन्‍हीं केबल्‍स में केरल प्रांत के कांग्रेस अध्‍यक्ष ए के एंटनी एवं संजय के बीच चल रहे द्वंद का भी रोचक ब्‍योरा दिया है ।

उपरोक्‍त सारे खुलासों का असर कांग्रेस की सेहत पर पड़ना तयशुदा सी बात है । हो भी क्‍यों न विपक्ष को बैठे बिठाए एक नया मुद्दा जो मिल गया है ।  हांलाकि ३८ वर्ष पूर्व अमेरिकी राजनयिकों द्वारा अपने देश में भेजे गये इन केबल्‍स को पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता ,क्‍योंकि अपने राष्‍ट्रहित के लिए प्रत्‍येक देश के राजनयिक इस तरह की सूचनाएं अपने देश में भेजते रहे हैं । यदि उस काल के कालक्रम को देखें तो भारत सोवियत संघ का समर्थक था,ऐसे में अमेरिका की भारतीय राजनयिकों की हर गतिविधि पर नजर रखना और भी प्रासंगिक लगता है । बहरहाल जो भी हो राष्‍ट्रीय हितों पर कुठाराघात की पुरानी कांग्रेसी परंपरा से कोई भी इनकार नहीं कर सकता । ऐसे में इन खुलासों में कांग्रेसी नेताओं का नाम सामने आने से कोई हैरत नहीं होनी चाहीए । विकिलीक्‍स के खुलासों से भले ही कुछ रहस्‍यों पर से पर्दा उठा है लेकिन और भी कई रहस्‍य हैं जिन पर से पर्दा उठना अभी शेष है –

१.  भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्‍त्री की असामयिक मृत्‍यु के अनसुलझे रहस्‍य ?

२.  कांग्रेस के ही संजय गांधी की विमान दुर्घटना में हुई मृत्‍यु हादसा या साजिश ये रहस्‍य आज भी बरकरार है ?

३.  वर्तमान कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और क्‍वात्रोच्चि का संबंध जिसके बिना पर उसे देशा से सुरक्षित बाहर निकलने का अवसर मिला ?

४.   देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन के संबंध जिनका जिक्र इंदिरा गांधी तक ने किया था ?

५.  वर्तमान  हैलिकॉटर घोटाले का इटली कनेक्‍शन ?

६.  देश से जुड़े हर बड़े घपले घोटाले में कांग्रेस का कनेक्‍शन ?

इसके अलावा भी कई प्रश्‍न हैं जो आज भी अनसुलझे हैं । आशा करते हैं कि आगामी विकि‍लीक्‍स खुलासों में शायद इन प्रश्‍नों के उत्‍तर भी मिल जाएं । जी हां इन प्रश्‍नों के उत्‍तर की अपेक्षा सीबीआई की जगह विकिलीक्‍स से करना ज्‍यादा मुफीद होगा,क्‍योंकि सीबीआई की कार्यप्रणाली से हम सभी परिचित हैं । हां इस समस्‍त शोध में मीडिया से भी उम्‍मीद की जा सकती थी लेकिन वर्तमान चाल चरित्र को देखकर मीडिया से भी ऐसे साहस की आशा नहीं ही की जा सकती । बहरहाल राष्‍ट्रीय महत्‍व से जुड़े इन प्रश्‍नों को नकारना तो राष्‍ट्रीय हितों को तिलांजली देने सरीखा ही होगा, मगर बड़े अफसोस की भारत में देश के हितों की अनदेखी करने एक परंपरा सी चल पड़ी है । अंत में जो भी हो ये खुलासे भले ही किसी दुर्भाव से प्रेरित ही क्‍यों न हों इनकी जांच पूरी तत्‍परता से की जानी चाहीए । देश की सत्‍ता में सर्वेसर्वा बनकर पूजा पाने वाले राष्‍ट्रद्रोहियों का चेहरा जनता के सामने आना ही चाहीए । जहां तक इस दायित्‍व का प्रश्‍न तो निसंदेह ये हमारे राष्‍ट्र से जुड़ा प्रश्‍न है तो अमेरिका या विकिलीक्‍स के स्‍थान पर ये हमारे शासन तंत्र का दायित्‍व है कि वो देश में छिपे इन गद्दारों को बेनकाब करे ।

1 COMMENT

  1. The time is right and time has come to kick out the so called corrupt first family now headed by Sonia Maino Gandhi the family is corrupt including her son in law who has accumulated enormous wealth .

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