क्या रोडवेज बसों को भी ढकेगा चुनाव आयोग !

वीरभान सिंह

सर्वजन हिताय का नारा उडा रहा खिल्ली

कांशीराम कालोनियां भी उल्लंघन की जद में ?

निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की गई आदर्श चुनावी आचार संहिता के अनुसार किसी भी दृश्य सामग्री का खुला प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है, जिससे सरकार की योजनाओं और उसकी उपलब्धियों का बखान प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हो रहा हो। आयोग के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री से जुडीं सभी योजनाओं के प्रचार-प्रसार वाली सामग्रियों पर पर्दा डलवाने का कार्य या तो पूरा कर लिया गया है या फिर अपने अंतिम चरण में है। ऐसे में जबकि मुख्यमंत्री के बखान वाली योजनाओं को ढंका जा रहा है, तो योजनान्तर्गत बने कांशीराम आवासों और सडकों पर फर्राटे भर रहीं सर्वजन हिताय बस सेवाओं पर भी क्या पर्दा डलवाया जायेगा ? यह प्रश्न चुनावी चिल्लम-चिल्ली में बडे जोर-शोर से गूंजना शुरू हो गया है।

आयोग के फरमानों की नाफरमानी नाकाबिले बर्दास्त होगी। जिला मैनपुरी में लागू निषेधाज्ञा और चुनावी आचार संहिता के पालन में सारी सरकारी मशीनरी दिल-ओ-जान से जुटी हुई है। चुनाव आयोग ने जब से बसपा का चुनाव चिन्ह बताकर हाथियों पर पर्दा डालने के आदेश जारी किए हैं तब से सियासत का पारा इस कडाके की सर्दी में भी तेजी से गर्माता जा रहा है। आदेशों के अनुपालन में सरकारी मशीनरी द्वारा मुख्यमंत्री मायावती से जुडीं सभी सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार करने वाले प्रतीकों पर पर्दा डालकर अथवा उन्हें पुतवाकर ढंकवाने का कार्य कराया जा रहा है। जिला मैनपुरी में भी 48 घंटे पूर्व पुलिस लाइन और ट्रांजिट हॉस्टल के पास लगे कांशीराम आवासीय योजना के बोर्ड को कपडे के पर्दे से सिर्फ इसलिए ढंकवा दिया गया था कि उस बोर्ड के माध्यम से सरकार की योजनाओं का बखान किया जा रहा था। यह कार्यवाही अब मैनपुरी के बुद्धिजीवियों में चर्चा का विषय बन गई है।

चुनाव को देखते हुए की जा रही इस तरह की कार्यवाही को लेकर समाज के उन बुद्धिजीवियों ने कटाक्ष किया जो किसी भी राजनीतिक दल से मतलब नहीं रखते हैं और तटस्थ मतदाता के नाते गुण-दोष के आधार पर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इस दौरान सिर्फ एक ही बात सामने आयी कि आदेश यदि उचित हैं तो फिर इस कार्यवाही की जद में तैयार हो चुकी कांशीराम कालोनियां और सडकों पर सर्वजन हिताय बस सेवा के नाम से फर्राटे भर रहीं रोडवेज की बसों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए। अपनी बयानबाजी पर तर्क देते हुए बुद्धिजीवियों ने बताया कि यदि सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार की ही बात है तो सबसे ज्यादा प्रसार तो उनक कांशीराम कालोनियों के द्वारा हो रहा है जिनमें सैकडों की तादाद में लाभार्थी रह रहे हैं। ये सारी कालोनियां और उनमें बने मकान तो मुख्यमंत्री की योजना का ही एक अभिन्न हिस्सा हैं। जब इन कालोनियों में रहने वाले लोगों से बात की गई तो उनका खुला बयान सिर्फ यही था जिसने हमें छत मुहैया करायी है वोट पाने का अधिकार भी सिर्फ उसी का है।

बुद्धिजीवियों की राय में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसें भी सरकार का प्रचार कर रही हैं। प्रदेश सरकार की ही योजनाओं में शामिल हैं रोडवेज बसें। इन रोडवेज बसों पर सर्वजन हिताय लिखा हुआ है जो कि बसपा का ही नारा है। अपने इसी नारे के तहत बहुजन समाज पार्टी ने प्रदेश भर में सर्वजन हिताय बस सेवा के नाम से शुरूआत करायी थी। इतना ही नहीं इससे पूर्व की सरकारों ने भी अपने-अपने शासनकाल में रोडवेज की बसों के रंग और उनके सूक्ति वाक्यों में परिवर्तन कर अपनी-अपनी पार्टी का प्रचार कराया था। यदि सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर पाबंदी की बात आती है तो फिर इन पर भी पर्दा डाल देना चाहिए और बसों से सर्वजन हिताय का नारा मिटवा देना चाहिए।

2 COMMENTS

  1. मुझे बुद्धिजीवियों के विचार अच्छे लगे,पर मुझे आश्चर्य तब हुआ,जब उन्होंने न इंदिरा गाँधी और उनके किसी पूर्वज के नाम को उत्तर प्रदेश में ढकने का जिक्र किया और न हीं लोगो के हाथ,ढंकने साईकिल को घर के अन्दर बंद करने और पूजा स्थलों पर प्रदर्शित कमल पुष्प को ढंकने का जिक्र किया.चाहिए तो यह था की चुनाव आयोग यह भी आदेश जारी करता की कमल के फूलों का खिलना तब तक रोक दिया जाये ,जब उत्तर प्रदेश का चुनाव नहीं समाप्त होता.

  2. चुनाव आयोग ज़रुरत से ज्यादा सख्ती कांग्रेस के इशारे पर दिखा रहा है लेकिन इससे बी अस पी को फायदा ही हो रहा है.

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