भ्रस्टाचार खत्म होकर रहेगा : अजी आम आदमी जाग चुका है…

श्रवण कुमार शुक्ल

किसी भाई ने मुझसे कहा कि अपनों के खिलाफ कैसे लड़ पाओगे ??? इस करप्सन की लड़ाई में तुम्हारे सामने तुम्हे अपने ही मिलेंगे .. किस-किस के खिलाफ खड़े होएगे आप? अपने भाई से लड़ेंगे? या अपने पिता से.. अपनों के खिलाफ बेबस हो जायेंगे आप…अपनों के खिलाफ हथियार डाल देंगे आप. कुछ नहीं बिगाड़ पायेंगे आ क्योकि भ्रष्टाचार तो आपके घर में आपके परिवार में है , आप में है . आप पहले अपने अंदर के भ्रष्टाचारी पिशाच को मारो..पहले उसे खतम करो.. तब बाहर वालों से लड़ने का सोचो. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अन्ना-हजारे कब तक आप लोगो का साथ देंगे? वह कुछ दिन के मेहमान और बचे . उनकी उम्र भी हो चली है कही ऐसा न हो कि अन्ना जेपी से बड़ा आंदोलन खड़ा कर जाए और फिर वही हो जो जेपी के तथा-कथित चेले,छात्र नेताओं ने अपनी जमीन मजबूत करने में की … आप सबसे तो लड़ नही सकते. अपने अंदर का भ्रष्टाचार आप खतम नहीं कर सकते.. बात करते हैं पूरे देश से भ्रष्टाचार को खतम करने की.. अरे आप भी करप्ट है महाशय..मै देखा है आपको बेईमानी करते हुए.. आप रोज सुबह डीटीसी की बस में चढ़ते हैं.. सुबह के समय पता होता है की कोई टिकट चेकर नहीं आएगा..आप कंडक्टर से झूठ बोल देते है कि मुझे फलां जगह जाना है. मेरे पास मासिक पास(जोकि होता नहीं है वह अलग बात है) है ..और फ्री में यात्रा कर लेते है… यह भी तो भ्रष्टाचार ही हुआ न??

अजी भ्रष्टाचार तो आपसे ही शुरू होता है .. शुरू तो आप ही करते है न … मैंने तो बस छोटा सा उदहारण दिया है .. आप कालेज जाते हो …फ़ार्म भरना होता है .. लंबी लाइन देखते ही जुगाड लगाने में भीड़ जाते हो … कि अरे देखते हैं अंदर बैठा कोई न कोई व्यक्ति हमारी जान-पहचान का मिल जाए..तो हमारा काम बिना लाइन के ही हो जाए. और कही गलती से अंदर कोई मिल भी गया तो आप भी शुरू हो जाते हो .. जुगाड लगाने के लिए ..अजी इतने पैसे ले लो- यह ले लो वो ले लो.. बस काम थोडा जल्दी ही करा दीजिए .. अरे पहले खुद से तो लड़ो जनाब .. आये हैं भ्रस्टाचार खत्म करने .. खुद तो भ्रष्ट ही हैं और दुनिया को सुधरने की सलाह दे रहे हैं .आये हैं भ्रस्टाचार खत्म करने.. खुद तो भ्रस्ट है ही दुनिया को सुधरने की सलाह दे रहे हैं .. देखना 16 अगस्त से बहुत सारे ऐसे लोग भ्रस्टाचार के खिलाफ मुहीम में खड़े नज़र आयेंगे(सफेदपोश)…जो कि दुनिया के सबसे बड़े भ्रस्ट है…इन्ही लोगों में एक वो स्वामी जो अन्ना-हजारे के साथ खड़ा नज़र आता है वो भी है .. सुना है कुछ साल पहले RSS वालों ने उसे भ्रस्टाचार के आरोप में ही संगठन से बाहर का रास्ता दिखाया था ..लगता है बंदा अब सुधर गया है .. तभी भ्रस्टाचार से लड़ने के लिए खड़ा है..हाहाहाहाहाहा

अजी हसी आती है तुम्हारी बेवकूफियों पर … एक बात बताओ ..मानते हैं कि लोकपाल मिल ही जाए .. और अगर वह निरंकुश निकला तो? क्या गारंटी है कि वह भ्रस्टाचारी न हो ? क्योकि आपने तो उसे प्रधान-मंत्री और न्यायपालिका से ऊपर ले जाने का ठान लिया है न …अब बताओ ..अगर वह निराकुश है तो भ्रस्ताचार रुक सकेगा? लोग घूस खाने के बाद 50% उसके पास भी फेंक आयेंगे .वह भी एक साइड से आँख मूँद लेगा … फिर क्या कर पाओगे आप ? क्या फिर से आंदोलन करोगे? देश की अर्थव्यवस्था को उखाड फेकोगे या देश में दंगे-फसाद करोगे? नुक्सान किसका होगा इन सबमे?

अभी दो-चार दिन की छुट्टी लेकर आंदोलन में जा रहे हैं .. आंदोलन के बिफल होने की सूरत के नुकसान देखो .. उन दो-चार दिनों में जो काम करते उसकी तो वाट लग गई न ? जो प्रगति होती उसका तो सत्यानाषा हुआ न ? इन सबमे कही देश के हालात बनने की जगह बिगड गए .. आगे जाने की बजाय देश कहां जाएगा ? सोचा है ? नहीं न? यह हुई न एक सामान्य व्यक्ति वाली बात.. इसीलिए बोलता हूँ कि बाबू.. सिर्फ दो-चार दिन कि नहीं… अनिश्चित काल तक छुट्टी लो.. आंदोलन को सफल बना दो .. १६ अगस्त काफी दिन है .. एक बार दोनों ड्राफ्ट पढ़ लो .. फायदे में रहोगे.. फिर भी आंदोलन में जाने का ही है..फिर किसी एक ने हमें रोक दिया जाने से.. कहता है क्या करोगे वहां जाकर.. मत जाओ.. मैंने कहा नहीं .. अजी मै तो एक आम आदमी हूँ . भीड़ में झुण्ड बनाकर चलती भेड़ों में से एक भेंड.. सभी जिस तरह चलेंगे उसी तरफ मै भी चलूँगा …आप सामने वाली पंक्ति को रोको ..वो रुकेगी तो हम भी रुक जायेंगे… रोकने का दम है ??

अजी आप क्यों रोकेंगे ? आप भी डूबे हुए हैं न? भ्रस्टाचार के आकंठ में ? हाहाहा .. मेरी तरह आपने भी एक रुपये वाला टोल-टैक्स का टिकट ले लिया है सफर करके को .. झूठ आपने भी बोला न ? भ्रस्टाचार तो आपने भी किया न?? फिर आप क्यों रोक रहे हैं क्यों हमें इन सबसे दूर रहने की कह रहे हैं ? कही इसलिए तो नहीं कि अगर मै सुधर गया तो आप भी नहीं कर पाओगे? हाहाहा.. क्या नहीं कर पाओगे? अजी………….भ्रस्टाचार और क्या !!!!!!

आज हमने चश्मा उतार दिया .. अजी हमें भी समझ में आ गया है कि अन्ना हजारे और रामदेव की मुहिम निश्चित ही सराहनीय है …और हिन्दुस्तान को भ्रष्टाचार से छुटकारा दिलाने के लिए हर एक व्यक्ति को पहले खुद को इस दाग से मुक्त करके…और फिर समाज को भ्रष्टाचार से मुक्त करना होगा…तब जाकर हिन्दुस्तान शब्द का असली अर्थ सामने आयेगा. अब तो हमें भ्रष्टाचार से लड़ना ही होगा अन्यथा आने वाली पीढ़ी को शायद हम जबाब ना दे सकें. एकजुट होकर हमें जन लोकपाल बिल के समर्थन में सत्याग्रह करना चाहिए जिसके पारित होने पर भ्रष्टाचार पर निश्चित ही अंकुश लगेगा .जब बड़े लोगों को सजा होगी तो छोटे बाबू खुद ही इससे किनारा कर लेंगे और आम जनता को पूरी राहत मिल सकेगी

देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है? इस पर भिन्न-भिन्न लोगों के अलग-अलग मत हो सकते हैं. पर मेरे विचार से सबसे बड़ी समस्या वह होती है, जिसे लोग समस्या मानना बन्द कर देते हैं और जीवन का एक हिस्सा मान लेते हैं. इस प्रकार देखा जाये तो ‘भ्रष्टाचार’ देश की सबसे बड़ी समस्या है. यह एक ऐसी समस्या है, जिसे हमने न चाहते हुये भी शासन-प्रणाली का और जन-जीवन का एक अनिवार्य अंग मान लिया है.

भ्रष्टाचार के इस रोग के कारण हमारे देश का कितना नुकसान हो रहा है, इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है. पर इतना तो साफ़ दिखता है कि सरकार द्वारा चलाई गयी अनेक योजनाओं का लाभ लक्षित समूह तक नहीं पहुँच पाता है. इसके लिये सरकारी मशीनरी के साथ ही साथ जनता भी दोषी है. सूचना के अधिकार का कानून बनने के बाद कुछ संवेदनशील लोग भ्रष्टाचार के विरुद्ध सामने आये हैं, जिससे पहले स्थिति सुधरी है. पर कितने प्रतिशत? यह कहना मुश्किल है. जिस देश में लोगों द्वारा चुने गये प्रतिनिधि ही लोगों का पैसा खाने के लिये तैयार बैठे हों, वहाँ इससे अधिक सुधार कानून द्वारा नहीं हो सकता है

और तो और समाजसेवा का दावा करने वाले एन.जी.ओ. भी पैसा बनाने का माध्यम बन गये हैं. कुछ को छोड़कर अधिकांश गैरसरकारी संगठन विभिन्न दानदाता एजेंसियों से पैसा लेकर कागज़ों पर समाजसेवा करते रहते हैं और उन पर नज़र रखने वाले अधिकारी और कर्मचारी भी रिश्वत लेकर चुप हो जाते हैं. दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी हैं, जो बिना घूस लिये कोई काम ही नहीं करते. एक ग़रीब आदमी अपना राशनकार्ड भी बनवाने जाता है, तो इन बाबुओं को घूस खिलाना ही पड़ता है. और वह गरीब बेचारा यह सब करता इसलिए है कि यदि वह रिश्वत नहीं देगा तो उससे अधिक पैसा तो दफ़्तर के चक्कर काटने में ही खर्च हो जायेगा. जब उस बाबू से पूछो तो कहेगा कि हमें ऊपर तक पहुँचाना पड़ता है.

अरे जब बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाई थी कि सरकार ने सब खत्म कर दिया. अगर सरकार भी भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहती तो ऐसा काम कभी ना करती पर जब सरकार ही भ्रष्ट है तो वो क्यों ना रोकती इस सत्याग्रह को, सरकार को डर था कि अगर भ्रष्टाचार को खत्म करने की प्रक्रिया तेज़ हो गयी तो उनका क्या होगा क्यूंकि सरकार तो हमारे देश की सबसे ज्यादा भ्रष्ट है

अजी अब तो उठ खड़े हो वाना एक पल ऐसा आएगा जब आप रो भी नहीं सकेंगे और हंस भी नहीं सकेंगे.. हॉस्पिटल में आप अपने बच्चे को गोद में उठाये भागते फिरेंगे तो बाबू एन वक्त पर आपसे घूस माँगना शुरू कर देगा..लेकिन तब तक आप घूस देते देते इतना लाचार हो चुके होंगे कि आपके पास और घूस देने के लिए कुछ नहीं बचा रहेगा.. तब क्या करेंगे आप ???

क्या तब लड़ेंगे ? या अपने बच्चे की जान की भीख मांगेंगे?बताइए जनाब.. क्या करेंगे ? आप उससे लड़ेंगे या अपने बच्चे को अपने ही बाहों में दम तोड़ते देखेंगे? देख सकेंगे? फैसला आपके हाथ में है..आप क्या चाहते हैं ? अभी से भ्रस्टाचार के खिलाफ जंग या….या जिंदगी भर घूस देते रहने के बावजूद अपनों को खोना?अजी पता है हमें की आपको गुस्सा आ रहा है .. आपको अवश्य ही गुस्सा आ रहा है ऐसी बातो पर जो आपके जमीर पर चोट करती हैं लेकिन इसी गुस्से को आप भ्रस्टाचार के खिलाफ हथियार बना ले तो देखिये क्या होता है ????? सोचो .. सोचो.. सोचकर बताना ….अब आप सोच रहे होंगे अजी हमें क्या लेना देना इन सब बातों से .. अरे जनाब ऐसी बातों में बिलकुल न रहना कि हमने सोच लिया तो ऐसा होगा ही होगा..

मुझे नीरज मिश्र की फिल्म याद आ गई “ए वेडनसडे”.. अजी मै बताता हूँ एक बार फिर से ..कि I M A STUPD COMMON MAN.. मै एक सामान्य बेवकूफ इंसान हूँ … कभी कभी कुछ बातें हमें देर से समझ आती है … अजी हम अपनी भाषा में कहे तो एक मिशाल यह लीजिए …कुछ वर्षों पहले रिश्वत लेने वालों को समाज में अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता है. उन दिनों प्रशासनिक सेवा में जाने के इच्छुक लोगों के आदर्श होते थे कि वे देश की बेहतरी के लिये कुछ करेंगे, रिश्वत कभी नहीं लेंगे और अन्य ग़लत तरीकों से पैसे नहीं कमायेंगे. परन्तु, आजकल यह आदर्शवादी वर्ग भी “सब कुछ चलता है” के अन्दाज़ में ऐसी बातें भूलकर भी नहीं करता है. ऐसा लगता है कि जैसे सभी लोगों ने अब यह मान लिया है कि अब सरकारी नौकरी करने लोग जाते ही इसीलिये हैं कि कुछ “ऊपरी कमाई” हो सके. पता नहीं लोगों का नैतिक बोध कहाँ चला गया है? भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये जनता को और अधिक जागरुक बनना होगा और शुरुआत खुद से करनी होगी. बात-बात में सरकार को कोसने से काम नहीं चलेगा. जब हम खुद रिश्वत देने को तैयार रहेंगे तो सरकार क्या कर लेगी? हमें रिश्वत देना बन्द करना होगा, चुनाव के समय अधिक सावधानी बरतनी होगी और समझदारी से काम लेना होगा. हमें हर स्तर पर ग़लत बात का विरोध करना होगा. जब सिविल सोसायटी की जागरुकता से जेसिका लाल और रुचिका जैसी लड़कियों को न्याय मिल सकता है, तो भ्रष्टाचार को अपने देश की शासन-प्रणाली से उखाड़ फेंकना कौन सी बड़ी बात है?हमारे पास मतदान का अधिकार और सूचना के अधिकार जैसे कानून के रूप में हथियार पहले से ही हैं ज़रूरत है तो उस हिम्मत की जिससे हम भ्रष्टाचार रूपी दानव से लड़ सकें. लोकपाल के सन्दर्भ में प्रधान मंत्री को लाने के मेरा विचार और नजरिया एकदम साफ़ है. प्रधानमंत्री को लोकपाल के अधीन होना चाहिए। स्वच्छ और पारदर्शी व्यवस्था के लिए ऐसा होना बेहद जरूरी है। लोकपाल को जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। उसे जनता द्वारा ही चुना जाना चाहिए। ऐसी पुख्ता व्यवस्था भी की जानी चाहिए कि जब लोकपाल अपने उद्देश्यों से भटक जाए तो जनता उसे किसी भी समय वापस बुला ले।

मैंने आजतक कभी करप्सन करने वालो का साथ नहीं दिया.. हमेशा लड़ा हूँ .. शायद हमेशा भ्रष्ट लोगों के सामने डट जाने की वजह से आगे बढ़ने में मुझे मुश्किलें आई है … क्योकि अधिकतर भ्रष्ट मुझे खुद से ज्यादा मज़बूत लगे .. वो रुकवाते डालते रहे फिर भी मै बढ़ता रहा .अब बहुत थक चुका हूँ .. इसीलिए हमेशा के लिए भ्रस्ताचार खतम करने वालो के साथ हूँ .. मै तो खड़ा हो गया हूँ .. आप कब आगे आयेंगे ?अजी भ्रस्टाचार खत्म करना है तो करना है .. मै एक सामान्य आदमी हूँ जनाब … एक बार जो चीज दिमाग में घुस गई समझो कि घुस गई .. फिर एक बात देखो.. आज मुझे अकेला कहते हो इस लड़ाई में… जंतर-मंतर और रामलीला मैदाम में देखे.? एक के जागने के बाद कितने जग चुके हैं?कल एक खड़ा था .. आज 100 खड़े हैं .. कल 1000 खड़े होंगे . परसों 10000 खड़े होने उसके अगले दिन 100000 खड़े होंगे … अजी किस किस को यह सरकार बेवकूफ बनाएगी ?? मै एक बार फिर से कहता हूँ जनाब … ध्यान देकर सुनिए… i m a stupid common man.. एक बार जो बात समझ में आ गई वो कभी दिमाग से निकलती ही नहीं ..अब जब करप्सन खतम करना है तो खतम करना है .. लड़ाई लड़नी है तो लड़नी है .. कितनो को मारोगे ? एक लड़ाई में हर आम आदमी का कदम अन्ना हजारे के साथ रहा तो इस बार हम खुद लड़ेंगे … वो सिर्फ हमारे साथ रहेंगे…

अजी आज युवा जाग चुका है ..इसे ज्यादा देर तक यूँही खामोश नहीं बैठाया जा सकता.. हमारे सवालों को ज्यादा दिन तक आप दबाकर नहीं बैठ सकते.. आज आप कहते हैं कि हम अकेले कुछ नहीं कर सकते … अजी क्यों नहीं कर सकते ? आप देखियेगा .. जरुर देखिएगा… जब यह व्यवस्था पलट जायेगी.. सरकार या तो मानेगी हमारी वाजिब मांग … या फिर हम युवा मिलकर जंतर-मंतर को तहरीर चौक बना देंगे .. जहाँ से आज़ादी की एक और जंग शुरू होगी..अभी तक आज़ादी के जंग के बारे में सुने होंगे आप … लेकिन अब इस व्यापक जंग के बारे में जानेंगे …अब एक जंग फिर से शुरू होकर रहेगी…सरकार को मानना ही होगा…. एक बार फिर से दोहराए देता हूँ जनाब ..I AM A COMMON STUPID MAN… एक बार जो चीज भेजे में घुस गई .. समझो कि घुस गई . भ्रस्टाचार खत्म करना है तो करना है …. चलिए मिलते हैं 16 अगस्त को जंतर मंतर पर.. एक नई जंग में …भ्रस्टाचार रुपी दैत्य से जंग में .. आइये .. आपका भी स्वागत है.. हा जी आपसे ही कह रहा हूँ —

1 COMMENT

  1. शुक्ल जी आपकी शैली लाजवाब ही नही जानलेवा भी है मुबारक हो
    पिछलॆ 40 वर्षॊ सॆ आप् और् हुम् इस् पार्टी कॊ वॊट दॆकर जितातॆ आयॆ है!पार्टी पर् ना सही खुद् पर तॊ शर्म करॊ!ळगता है कि काग्रॆसियॊ कॊ लिखनॆ पढनॆ का समय् ही नही मिलता, बॆचारॆ अपनॆ कालॆ धन् की चिन्ता मॆ सूख रहॆ है उस पर ये अन्ना भी गन्ना घुसाए दे रहा है और हम और आप ठलुऎ जिनकॆ पास् छुपाने कॊ कुछ है नही सॊ अपनी भडास यहा लिख कर निकालतॆ रहतॆ है!ऱामदॆव् जी तॊ ठन्डॆ हॊगयॆ अन्ना जी कॊ भी ठन्डा करदॆगॆ फिर् हम और् आप् अपनॆ आप ही चुप हॊ जायॆगॆ और् फिर् दॊबारा वही घॊडॆ वही मैदाऩ्…..

    या फिर १६ अगस्त को दिल्ली चलने का प्रोग्राम बना रहे हो जी
    शुक्रिया जी

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