बदलाव की आँधी (दामिनी को समर्पित) - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
अवधेश पाण्डेय बदन हमारा करके, दरिंदो के हवाले, वे चैन से बैठे हैं, हम गुस्सा भी न करें. इन जख्मों पर मरहम, उसकी हैसियत में नहीं, जिसने कुर्सी के लिये, अपना ईमान बेच डाला है. इतिहास पलट के देखो, ऐ मुल्क के हुक्मरानों, खुद को जलाकर हमने, बादशाहों…