विश्व हेपेटाइटिस दिवस

world_hepatitis_dayडा- राधेश्याम द्विवेदी
हेपेटाइटिस क्या है :- हेपेटाइटिस में लिवर में सूजन आ जाती है। यह परिस्थिति लिवर तक ही सीमित रहती है। कई बार यह गंभीर रूप धारण कर फिब्रोसिस अथवा लिवर कैंसर भी बन सकती है। हेपेटाइटिस वायरस, हेपेटाइटिस होने का सबसे बड़ा कारण होता है। हेपेटाइटिस के पांच मुख्य वायरस होते हैं। ए, बी, सी, डी और ई। ये पांच वायरस बहुत खतरनाक होते हैं। ये बीमार तो करते ही हैं साथ ही इनके कारण बड़ी संख्या में मरीजों की मौत भी होती है। इतना ही नहीं यह वायरस फैलकर महामारी का रूप भी ले लेते हैं। हेपेटाइटिस बी और सी सैकड़ों-हजारों लोगों में गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। इतना ही नहीं दोनों मिलकर सिरोसिस और लीवर कैंसर के कारण बनते हैं।
कैसे फैलता है :- हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित पानी और भोजन के सेवन से होता है। हेपेटाइटिस बी, सी, और डी आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के मूत्र, रक्त अथवा अन्य द्रव्य पदार्थों के संपर्क में आने से होता है। संक्रमित रक्त अथवा रक्त उत्पाद, अथवा दूषित सुर्इ अथवा अन्य संक्रमित चिकित्सीय उत्पादों के प्रयोग से होता है। और हेपेटाइटिस बी संक्रमित मां से होने वाले बच्चे को फैलता है। परिजनों से बच्चे को भी यह बीमारी हो सकती है। इसके अलावा शारीरिक संसर्ग से भी हेपेटाइटिस बी का वायरस फैलता है।
लक्षण :-1.तीव्र संक्रमण में बहुत सीमित अथवा न के बराबर लक्षण नजर आते हैं। इसमें पीलिया, गहरे रंग का पेशाब, अत्यधिक थकान, नौजिया, उल्टी और पेट में दर्द जैसी शिकायतें हो सकती हैं।
2.अगर आपको हेपेटाइटिस के कोई भी लक्षण नजर आयें या आपके घर में हेपेटाइटिस से पीडि़त कोई व्यक्ति है, तो आपको भी अपनी जांच करवा लेनी चाहिये। इससे आप बीमारी के फैलने से पहले ही उसे पकड़ लेंगे। इससे बीमारी का इलाज आसान हो जाता है।
3.हेपेटाइटिस की गंभीरता के समझते हुए और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लक्ष्य के साथ एशिया पेसिफ़िक एसोसिएशन फॉर स्टडी ऑफ़ लिवर ने तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें हेपेटाइटिस के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गईं।
हैपेटाइटिस बी वैक्सीन जरूरी :- हेपेटाइटिस ‘बी’ वास्तव में ‘बी’ टाइप के वायरस से होने वाली बीमारी है। हेपेटाइटिस बी को सीरम हेपेटाइटिस भी कहा जाता है। यह रोग रक्त, थूक, पेशाब, वीर्य और योनि से होने वाले स्राव के माध्यम से होता है। ड्रग्स लेने के आदि लोगों में या उन्मुक्त यौन सम्बन्ध और अन्य शारीरिक निकट सम्बन्ध रखने वालों को भी यह रोग हो जाता है।
हेपेटाइटिस सी से जुड़े मिथ और तथ्य :- हेपेटाइटिस सी सिर्फ नशा करने वालों को नहीं होता है। हेपेटाइटिस सी में लीवर में समस्या होती है। अभी तक इसकी कोई वैक्सीन तैयार नहीं की गयी है। रोगी का सामान प्रयोग करने से यह नहीं होता है। हेपेटाइटिस सी एक संक्रामक बीमारी है। यह लीवर को डैमेज कर सकता है। संक्रमित रक्त चढ़ाने के साथ-साथ ज्यादा शराब पीने और गंदे पानी से भी हेपेटाइटिस सी का संक्रमण फैल सकता है। शोध के मुताबिक रोगी को खून चढ़ाने के दौरान हेपेटाइटिस संक्रमण होने की संभावना होती है। लगातार कोशिशों के बाद शोधकर्ता की टीम हेपेटाइटिस सी के विषाणु की पहचान करने में सफल रही। इसके बावजूद अभी तक इसका स्थाई इलाज या कोई वैक्सीन नहीं खोजी जा सकी है। आमतौर पर हेपेटाइटिस सी की आसानी से पहचान नहीं हो पाती। जो लक्षण अभी तक पहचाने गए हैं उनमें भूख कम लगना, थकान होना, जी मचलाना, जोड़ों में दर्द और लीवर इंफेक्शन के साथ वजन कम होते जाना खास हैं। लीवर कैंसर के 25 फीसदी और सिरोसिस के 27 फीसदी मामले हेपेटाइटिस सी के कारण होते हैं। पेट की नसों और आहार नली में सूजन के साथ-साथ लीवर इंफेक्शन की सबसे बड़ी वजह भी यही संक्रमण है।
1.मिथ :- अगर आपको हेपेटाइटिस सी है तो हर रोज कई बार वाइन का सेवन करने से लीवर को नुकसान नहीं पहुंचता है।
तथ्य:- हेपेटाइटिस सी की समस्या होने पर एल्कोहल का थोड़ा सा भी सेवन लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है। शोधों के मुताबिक एल्कोहल का सेवन हेपेटाइटिस के संक्रमण को और बढ़ा सकता है।
2.मिथ:- अगर आपको हेपेटाइटिस सी की समस्या है तो उसमें आहार और व्यायाम का कोई असर नहीं होता है।
तथ्य:- लीवर की समस्याओं से ग्रस्त लोगों को अपने आहार और वजन पर खास नजर रखनी चाहिए। शरीर के लिए जरूरी पोषण लीवर के काम को सुचारु रुप से करने में उसकी मदद करने के साथ उसे स्वस्थ भी रखता है। हर रोज व्यायाम करने से आप शारीरिक और मानसिक रुप से फिट रहते हैं। व्यायाम से मांसपेशियों, हड्डियों में मजबूती आती है और शरीर को ऊर्जा मिलती है।
3.मिथ:- हेपेटाइटिस सी की वैक्सीन लगवाते रहें।
तथ्य:- अभी तक हेपेटाइटिस सी की समस्या से निपटने के लिए कोई वैक्सीन तैयार नहीं की गयी है।
4.मिथ:- टॉयलेट सीट से हेपेटाइटिस सी का खतरा हो सकता है।
तथ्य:- हेपेटाइटिस सी एक संक्रामक रोग है लेकिन जब रक्त से रक्त का संपंर्क होता है तभी यह रोग फैलता है जैसे अगर किसी संक्रमित व्यक्ति का रक्त किसी स्वस्थ व्यक्ति के रक्त से मिल जाता है जैसे कटने या चोट को खुला रखने पर तब यह समस्या होती है ना कि टॉयलेट सीट के प्रयोग से।
5.मिथ:- सिर्फ नशे का सेवन करने वालों को हेपेटाइटिस सी का खतरा हो सकता है।
तथ्य:- ऐसा नहीं है सिर्फ 50% लोग ऐसे हैं जो आईवी ड्रग के सेवन से इसका शिकार होते हैं.
6.मिथ:- जितना ज्यादा वायरल होगा लीवर उतना क्षतिग्रस्त होगा क्या यह सही है?
तथ्य:- वायरल का हमला शरीर को तोड़ देता है लेकिन इसके साथ कई अन्य कारक भी जुड़े होते हैं। सिर्फ वायरल के हमले से लीवर क्षतिग्रस्त नहीं होता है। उम्र, एल्कोहल का सेवन, लिंग, लीवर में फैट भी अहम भूमिका निभाता है।
नतीजा:- पूरी दुनिया के लिए घातक साबित हो रहे हेपेटाइटिस सी के संक्रमण से करीब 12 करोड़ लोग प्रभावित वायरस के कमजोर हिस्सों पर हमला करने से संक्र मण से निजात मिल सकती है ।
घातक सावित होने वाले हेपेटाइटिस सी संक्रमण के खिलाफ वैज्ञानिकों ने टीके की तैयारी कर ली है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने हेपाटाइटिस सी संक्र मण फैलाने वाले वायरस के विकास को रोकने के लिए नए परिणाम हासिल किए हैं। पूरी दुनिया के लिए घातक बने हुए हेपेटाइटिस सी के संक्र मण से करीब 12 करोड़ लोग प्रभावित हैं। साउथ वेल्स विविद्यालय के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस संक्र मण से प्रभावित लोगों पर अध्ययन किया। तकनीकों के प्रयोग और कंप्यूटरीकृत विश्लेषण के बाद वैज्ञानिकों ने इस संक्र मण को फैलाने के लिए जिम्मेदार वायरस के विकास का अध्ययन किया है। टीम के सदस्य डा. फैबियो लुसियानी ने बताया कि यदि प्रतिरोधक पण्राली की सहायता से इस वायरस के कमजोर हिस्सों पर हमला किया जाए तो संक्र मण से पूरी तरह निजात पाई जा सकती है।
हेपेटाइटिक ट्यूबरकुलोसिस ( यकृत टीबी) :- तपेदिक के प्रकार कई हैं और इनकी अवस्थाएं भी कई प्रकार की हैं। इन्हीं में से टी.बी का एक प्रकार है हेपेटाइटिक ट्यूबरकुलोसिस। हेपेटाइटिस एड्स,कैंसर या फिर डायबिटीज की ही तरह की एक बीमारी है। हेपेटाइटिस आमतौर पर अधिक एल्कोहल का सेवन करने वाले या फिर नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों को होता है। अधिक शराब का सेवन करने वाले यकृत रोग से पीडि़त लोगों को हेपेटाइटिक ट्यूबरकुलोसिस होने की आशंका सामान्य व्यक्ति के मुकाबले बढ़ जाती हैं। किसी भी बीमारी को पहचानने के लिए उसके लक्षणों को जानना बेहद जरूरी होता है। शराब के सेवन से यकृत यानी हेपेटाइटिस रोग हो जाता है और यकृत से पीडि़त लोगों को हेपेटाइटिस ट्यूबरकुलोसिस हो सकता है। टी.बी शरीर को भीतर से भारी नुकसान पहुंचाती है जिससे शरीर में जगह-जगह घाव हो जाते हैं। टी.बी.एक संक्रामक रोग है और हवा में मौजूद छोटे-छोटे टी.बी.के जीवाणु आपके शरीर में सांस के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। तपेदिक के लक्षणों को जल्दी से पहचान पाना बहुत मुश्किल होता है। वैसे तो ये आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं जिनमें हेपेटाइटिस टी.बी के लक्षण खासतौर पर लीवर को प्रभावित करता है। हालांकि हेपेटाइटिस टी.बी.के लक्षण फुफ्फुसीय टी.बी,सांस की समस्या और कफ इत्यादि से काफी अलग होते हैं।
हेपेटाइटिस टयूबरक्यूलोसिस के लक्षण:-
1.पेट में गांठे पड़ना- हेपेटाइटिक टयूबरक्यूलोसिस में पेट में गांठे पड़ जाती हैं यानी पेट संबंधी समस्याएं होने लगती हैं।
2.लीवर डैमेज होना- हेपेटाइटिक टयूबरक्यूलोसिस रोग के दौरान रोगी का लीवर डैमेज होने लगता है और उसको कई लीवर संबंधी समस्याएं हो जाती हैं।
3.वजन कम होना- हेपेटाइटिक टयूबरक्यूलोसिस के मरीजों का लगातार वजन कम होता रहता है। इतना ही नहीं कई बार अचानक पेट में दर्द भी उठने लगता है।
4. संबंधी समस्याएं होना- हेपेटाइटिस टयूबरक्यूलोसिस में कई तरह की पेट संबंधी समस्याएं होने लगती हैं जैसे दस्त लगना, रह रहकर पेट में दर्द होना और पेट संबंधी कई और समस्याएं होना।
5.मितली होना- हेपेटाइटिस टी.बी.के दौरान मितली जैसी समस्या होने लगती हैं। इसके साथ ही रोगी को कुछ भी खाने-पीने का मन नहीं करता।
6.आंखों और त्वचा का रंग पीला होना- हेपेटाइटिस टी.बी.के दौरान आपको लीवर संबंधी समस्या होती है तो आपकी त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है। आपकी आंखों में पीलापन दिखाई पड़ेगा, इसके साथ ही आपके यूरिन का कलर भी पीला ही होगा।
7.एनीमिया होना और बुखार की शिकायत- तपेदिक में हेपेटाइटिस होना बहुत गंभीर अवस्था हो सकती हैं। ऐसे में आपको एनीमिया तक हो सकता है और लंबे समय तक होने वाला बुखार हो सकता है यानी आपका बुखार उतरेगा ही नहीं और आप काफी कमजोर और थकावट महसूस करेंगे।
8.लीवर की कार्यप्रणाली में बदलाव – तपेदिक में हेपेटाइटिस के कारण आपके रक्त में बदलाव के कारण लीवर की कार्यप्रणाली में भी बदलाव आ सकता है।
डा.राधेश्याम द्विवेदी

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