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खलनायकत्व के आवरण में लिपटा एक प्यारा इंसान - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
रामकृष्ण ख़त-किताबत के ज़रिए तो मैंको एक लम्बे अरसे से जानता रहा हूं, लेकिन रू-बरू उनसे मेरी मुलाक़ात कुल दो बार हो पायी - और वह भी बम्बई में नहीं बल्कि लखनऊ में. यह एक अजीब आश्चर्य है कि अपने बरसों लम्बे बम्बई प्रवास में, जिसमें मैं वहां के लगभग…