राइट टू रिकाॅल ही है दान वापसी!

RIGHT TO RECALLदिल्ली की सत्तासीन ‘‘आम आदमी पार्टी’’ जहां एक ओर 14 अप्रेल को प्रस्तावित विरोधी गुट के आयोजन ‘स्वराज संवाद’ को लेकर असमंजस में है वहीं ‘कार-लोगो’  सहित आर्थिक डाॅनेशन की वापसी की कवायद से आप की हालत उस मकड़ी की तरह स्व निर्मित मकड़जाल में फंसकर दम तोड़ने की तरह दिखाई दे रही है। आप नेता आशुतोष का कथन – ‘‘दान और उपहार कभी वापस नहीं होता।’’ स्पष्टतः आप की बुनियाद को हिलाते हुए इमारत को ढहाने के लिए पर्याप्त है। दरअसल आप रूपी सियासी इमारत की बुनियाद ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ है। जिसकी त्रिस्तरीय कार्ययोजना में प्रथम जनलोकपाल के बाद क्रमशः राइट टू रिजेक्ट और राइट टू रिकाॅल था। लोकपाल पर ताजा घटनाक्रम में पार्टी का आंतरिक लोकपाल तथाकथित हिटलरी आगोश में समा गया। जबकि राइट टू रिजेक्ट को निर्वाचन आयोग ने ‘नोटा’ के रूप में लागू कर दिया और राइट टू रिकाॅल स्वतः दानदाता अपनी डोनेशन वापसी के रूप में लागू कर रहे हंै।
जहां तक दान का सवाल है तो धर्मशास्त्र दान को ‘तप’ की श्रेणी में मानते हैं और दाता और याचक दोेनों की पात्रता की आचार संहिता है। कुपात्र और सुपात्र के दान के प्रभाव को बखूवी वैदिक विज्ञान परिलक्षित करता है। संसदीय लोकतंत्र में सर्वोत्तम दान ‘मतदान’ है, मत से आशय विचार से है, मत से ही मंत्र-मंत्री-मंत्रणा शब्दों की व्यत्पत्ति हुइ मतदान का तात्पर्य विचार प्रदान करना है। मत को देने से पूर्व याचकों की पात्रता का मूल्यांकन करते हुए राइट टू रिजेक्ट को तब देश के सत्यनिष्ठ समुदाय ने अपनी कार्ययोजना में शामिल किया था, जिसे निर्वाचन आयोग ने सही मानते हुए ‘नोटा’ को विकल्प दे दिया। याचकों की कथित बगुला भक्ति के भ्रम में किये हुए मतदान की वापसी के रूप में राइट टू रिकाॅल को आईएसी की कार्ययोजना का तृतीय बिन्दु रखा। बिडम्बना यह है कि उसी बुनियाद पर सियासी पारी के रूप में आम आदमी पार्टी की इमारत खड़ी की गई।
लखनऊ के कम्प्यूटर डिजायन एक्सपर्ड मिस्टर लाल ने अनासक्त भाव से आईएसी की सैकड़ों डिजायनें तैयार की, आंछोलन को ऊंचाइयां दी, उसी तन्मयता से आप का लोगो डिजायन कर दिया। कापी राइट के तहत अब लोगो के उपयोग न करने की बात मिस्टर एसके लाल द्वारा राइट टू रिकाॅल के रूप में है। इसी क्रम में मिस्टर कुंदन द्वारा कार वापसी तथा दानदाताओं द्वारा डोनेशन वापसी की मांग ‘अपने मन्तव्य से भटकने तथा दान-उपहार के दुरुपयोग’ से खिन्न होकर वापस बुलाने के राइट टे रिकाॅल भर है।
– देवेश शास्त्री
(लेखक ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ के प्रारंभिक को आर्डीनेटरों में रहा है।)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here