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याद रहेगी केपी की बेपरकी......!! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
तारकेश कुमार ओझा वह '80 के दशक का उत्तरार्द्ध था। जब मैं पत्रकारिता में बिल्कुल नया था। यह वह दौर था जब रविवार, धर्मयुग व साप्ताहिक हिंदुस्तान जैसी राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाएं बंद हो चुकी थी। लेकिन नए कलेवर के साथ संडे आब्जर्वर , संडे मेल और दिनमान टाइम्स के…