यमुना शुद्धीकरण तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल


डा. राधेश्याम द्विवेदी
यमुना निधि के संयोजक तथा श्री गुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पण्डित अश्विनी कुमार मिश्र जी ने एक अनूठी पहल शुरु किया है। आगरा में विगत पचीसों साल से यह भागीरथ प्रयास को पंडित श्री मिश्रजी द्वारा किया जा रहा है। इनकी संस्था व इनका जीवन स्वच्छ नदियां, शुद्ध पर्यावरण, स्वस्थ समाज एवं विकासशील राष्ट्र के लिए पूर्णरुप से संकल्पित है। पंडित श्री मिश्रजी के संयोजन में ये संस्थायें जन जागरुकता, स्वयंसेवियों तथा स्थानीय प्रशासन के सहयोग से आगरा के एक दर्जन घाटों के स्वच्छता के लिए प्रयास शुरु कर रखा है। इसके लिए जन प्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग प्राप्त करने की निरन्तर कोशिस किया जा रहा है।
एतिहासक बलकेश्वरघाट का पुनरुद्धार पूर्ण कराया :- –पंडित श्री मिश्र जी ने एतिहासक बलकेश्वरघाट का पुनरुद्धार करके एक आदर्शघाट के रुप में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह संस्था लगभग दो-तीन दशकों से यमुना शुद्धीकरण तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए पंडित श्री मिश्र के प्रयास एवं जन सहयोग से आगरा शहर , उत्तर प्रदेश तथा भारत वर्ष में प्रसासशील है। इसके लिए उन्होंने यमुनोत्री से इलाहाबाद की यात्राकर अनेक तथ्य संकलित कर चुके हैं। जहां एक ओर इस कार्य के सम्पन्न होने पर भारत की स्वच्छता, भारत की हरीतिमा का पुनः दर्शन सुगम हो सकेगा वहीं आगरा शहर एक हेरिटेज सिटी की ओर भी बढ़ने में भी कुछ कदम चल सकेगा। इससे इस शहर और प्रदेश के आय के श्रोत बढ़ेगें तथा यहां रोजगार के नये-नये सम्मानजनक अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे। यह आगरा शहर, उत्तर प्रदेश तथा भारत के लिए बड़े गर्व की बात बन सकती है।
हाथीघाट का पुनरुद्धार:- हाथीघाट पर कभी मुगल शासक हाथी लड़वाकर मनोरंजन तथा मल्लयुद्ध का आनन्द लेते थे। यह जल परिवहन का एक प्रमुख बन्दरगाह भी होता था। यमुना में पर्याप्त जल रहने तथा जलचरों के होने से जल का प्राकृतिक रुप से शोधन व निर्मलीकरण होता रहा है। आज यमुना अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। इसके निर्मलीकरण के लिए इसमें पर्याप्त जल की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। शहर की आवश्यकता को देखते हुए आगरा किला और एत्मादौला के बीच तथा आगरा शहर में मध्य में स्थित ऐतिहासिक हाथीघाट की स्थति बहुत महत्वपूर्ण है। इस घाट के पुनरुद्धार के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किया जाना चाहिए। यहां समय समय पर सांस्कृतिक तथा पारम्परिक कार्यक्रम के साथ ही साथ नियमित रुप से साप्ताहिक यमुना आरती शाम दिन ढलने पर की जा रही है। जिसमें भारी संख्या में शहर के गण्यमान यमुनाप्रेमी श्रद्धालुजन सहभागिता निभाते हैं।
हाथीघाट के पार्क के सौन्दर्यीकरण, पूजनोपरान्त सामग्री वस्त्र माला मूर्ति का पारम्परिक एवं वैज्ञानिक विधि से विसर्जन करने, शहर से निकलनेवाले नालों की गन्दगी को यमुना में रोके जाने के लिए भी संस्था निरन्तर प्रयासशील है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश तथा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रयास से ताज कोरिडोर के सौन्दर्यीकरण की एक अति महत्वपूर्ण योजना अपने प्रगतिपथ पर सफलतापूर्वक चल रही है। यदि हाथीघाट को विकसित करके कोरिडोर से सम्बद्ध कर दिया जाएगा तो यह पर्यटक तथा शहर के गरिमा के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि बन सकती है। इसके लिए शहर से निकलनेवाले नाले को रोककर यमुना के सामानन्तर एक एसे ढ़क्कनदार नाले को विकसति किया जाना जाहिए, जो शहर के गन्दे पानी को शोधनकर उद्यान के प्रयोग मे लाया जा सके। इसलिए यमुना के सर्वांगीण विकास की योजना , नौकायन , तैराकी दक्षता ,यमुना के दोनों तटों पर पौदलपथ का संचालन के लिए पण्डित जी निरन्तर लगे हुए हैं। उन्होंने रोपवे के माध्यम से आगरा किला ताजमहल व अन्य ऐतिहासिक घरोहरों को दिखाये जाने के लिए भी आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
वर्तमान आधारभूत कार्ययोजना :– पण्डितजी इस कार्य के लिए आगरा नगर निगम, आगरा विकास प्रधिकरण उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग तथा भारत सरकार के पर्यटन विभाग, भारत सरकार के संस्कृति विभाग, भारत सरकार के नदी जल संसाधन गंगा सफाई अभियान विभाग, भारत सरकार के कृषि पर्यावरण व बन विभाग आदि विभागों को कई बार पत्र लिख चुके हैं। चूंकि ताज कोरिडोर का कार्य भारत सरकार द्वारा हाथीघाट के पास चल रहा है। इसलिए हाथी घाट का विकास भी उसी तर्ज पर कर उस योजना का विस्तार कर उसमें इसे अंगीकृत किया जा सकता है। यदि स्थानीय स्तर से साफ सफाई तथा स्तरीय विकास हो सकेगा तभी इस स्थल का राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय महत्व दिखने में आ सकेगी और यह किसी बड़े प्रोजक्ट का हिस्सा बन सकेगा। इस स्थल पर तत्कालिक निम्नलिखित आधारभूत कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
1.सन् 1994 में दिल्ली हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मध्य हुए समझौते के अनुसार प्राकृतिक जल प्रवाह को बनाये रखने के लिए निरन्तर प्रयास किया जाना चाहिए।
2. यमुना के दोनों तटों पर खली पड़ी भूमि पर सघन वृक्षारोपण कराया जाय। इन पर कदम्ब, गूलर, अर्जुन, पीपल, जामुन, बेल, आंवला व नीम आदि बृक्षों को योजनाबद्ध रुप में रोपित कराया जाय।
3. प्राचीन विलुप्त जल स्रोतों को पुनः जीवित तथा विकसित किया जाय।
4. शहर से निगलने वाले नाले को नदी में पहुचने से पहले रोका जाय। उसे शोधितकर उद्यान की सिंचाई के लिए प्रयुक्त किया जाय।
5. प्राकृतिक जल व बरसात के पानी को बीच में जगह जगह रोककर छोटे छोटे वैक डैम बनाकर भूतल जल के गिरते स्तर को रोका जाय तथा हार्वेस्टिंग द्वारा जल स्रोत को रिचाज्ंिाग किया जाय।
6. यमुना के किनारे बसे शहरों व उसके घाटों, उन पर पार्कों का निर्माण व सौन्दर्यीकरण कराया जाय।
7.यमुना के तट स्थित हाथीघाट को मुख्यमार्ग से लेकर यमुना नदी तट तक डाबर रोड या टाइल वाला पाथवे का निर्माण जिससे आयोजन विशेष में आम जन को सुगमता हो।
8. हाथीघाट पर कुछ चयनित स्थानों पर पक्के विसर्जन कुण्ड का बनाया जाना।
9. मूर्ति तथा पूजा सामग्री का उचित विसर्जन एवं उसको दूसरे उपयोगी उपयोग में लाने का प्रयास किया जाय।
10. अलग अलग पूजा सामग्री के लिए अलग अलग स्थल नियतकर अलग अलग हौज या कक्षों का व्यवस्थापनकर उन्हें रिसाइकिलिग कर पुष्पों का खाद बनाया जाने के लिए प्रयास कराया जाय।
11 .हाथीघाट पर पं्रसाधनकक्ष का निर्माण, सुलभ शौचालयों व पेय जल की व्यवस्था करायी जाय।
12. हाथीघाट पर दर्शक दीर्घा की व्यवस्था कराया जाय तथा सांस्कृतिक आयोजनों हेतु शेड बनवाया जाय जिससे पर्वों पर होने वाले भीड़ को सुगमता से नियंत्रित किया जा सके।
13. एतिहासिक हाथीघाट का जीर्णोद्धार, सौन्दर्यीकरण तथा सीवर व नदी से सम्बन्ध विच्छेदकर यमुना निर्मलीकरण कराया जाय।
14. .हाथीघाट के कार्यों के सुगमता पूर्वक संचालन के लिए तथा प्रयुक्त होने वाले उपकरणों की सुरक्षा के लिए एक स्टोर कक्ष का निर्माण कराया जाय।
15. वाहन विशेष में विसर्जन कलश स्थापित कर शहर में भ्रमण कराकर जनजागरुक कराया जाय।
16.दशकों से चली आ रही यमुना आरती से जनता को और अच्छी तरह से जोड़ा जाय व उनकी भगीदारी सुनिश्चित कराया जाय।
17.यमुना नदी के तट पर निर्जन तथा सूनसान होने से वहां अपराधिक तथा असामाजिक गतिविधियों के होने की संभावना रहती है। इसलिए यमुना नदी व घाटों की सुरक्षा के लिए पुलिस नियंत्रण केन्द्र, रिवर पुलिस और नदी प्राधिकरण का गठन किया जाए।
18. यमुना के दोनों तटों पर पौदलपथ का संचालन किया जाना चाहिए। जिससे पर्यटक तथा श्रद्धालुओं द्वारा शहर, नदी व उद्यानों का अवलोकन तथा निरीक्षण होता रहेगा।

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