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यशोदानंदन-४१
अक्रूर जी ने कंस का कथन बड़े ध्यान से सुना। कुछ समय मौन रहकर विचार किया - यदि वह बालक देवकी की आठवीं सन्तान है, तो अवश्य ही इस दुराचारी का वध करने में समर्थ होगा