अनिल अनूप
गरीबी और मुफलिसी के बावजूद कुछ करने की चाहत रखने वाले अपनी मंजिल ढूंढ ही लेते हैं. मध्य प्रदेश के भोपाल शहर की मनीषा कीर ने ऐसा ही करिश्मा कर दिखाया है. मछुआरे की बेटी मनीषा देश की नंबर वन शूटर बन गई हैं.
16 वर्षीय मनीषा के लिए नंबर वन की पायदान तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा. चार साल पहले राजधानी के बड़े तालाब में पिता के साथ मछली पकड़ने वाली मनीषा की जिंदगी बड़ी बहन के एक फैसले ने बदल दी.
दरअसल, मनीषा ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि उसे शूटर बनना है. लेकिन बड़ी बहन ने मनीषा में छिपे हुनर को पहचान लिया था. वहीं मनीषा को शूटिंग एकेडमी के चयन के लिए लेकर गई थी.
मनीषा उस दिन को याद करते हुए बताती हैं, ‘मैंने जिंदगी में इसके पहले कभी गन या राइफल नहीं थामी थी. एकेडमी में ट्रायल्स के एक दिन पहले सबसे पहले बंदूक पकड़ी थी, जिसके बाद उसकी तकदीर ही बदल गई.’ वह देश की इकलौती शूटर हैं जो जूनियर नंबर-वन होने के साथ अब सीनियर में भी नंबर वन है.
मनीषा पहले ही प्रयास में एकेडमी के लिए चुन ली गई. ट्रेप शूटिंग विधा में निशाना साधने वाली मनीषा ने बताती हैं कि मछली का मूवमेंट जानने के लिए शांत मन से अंदाजा लगाना होता है कि मछली किधर है. मनीषा ने यह महारत अपने पिता से सीखी है, जो करियर में काफी मददगार साबित हो रही है. मनीषा कहती हैं, ‘पिता के इस अनुभव का फायदा यह रहा कि शांत चित से निशाना लगाती हूं.’
मनीषा फिलहाल मध्य प्रदेश खेल विभाग की शूटिंग एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही है. ट्रेप शूटिंग में क्ले बर्ड पर निशाना लगाना होता है, जो थोड़ा कठिन काम है. इसी मुश्किल को चार बार के ओलंपियन और कोचिंग कर रहे मनशेर सिंह ने इस मुश्किल को आसान कर दिया.
मनशेर सिंह ने उसे ‘उड़ती चिड़िया’ पर निशाने साधने में माहिर कर दिया है. वर्ल्ड कप के पहले भी वह कुछ वक्त मनेशर सिंह के साथ ट्रेनिंग करेगी, जिससे खेल में ओर निखार लाया जा सकें.
मनीषा अभी कुछ दिन पहले पटियाला में हुई कॉम्पिटिशन में सटीक निशाना लगाकर वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई कर लिया. साथ ही वह देश की नंबर वन शूटर भी बन गई. मनीषा कहती है कि अब उसका अगला लक्ष्य फरवरी में होने वाले वर्ल्ड कप में देश के लिए पदक जीतना हैं. लेकिन मनीषा की असली मंजिल 2020 ओलिंपिक है.