‘आप’ से आम की अपेक्षाएं

-फखरे आलम- aap

‘आप’ राजनीति दल के रूप में उभरकर दिल्ली में शासन कर रही है। वहीं आम जन ‘आप’ से बेशुमार अपेक्षाएं और आशाएं लगाए हुए हैं। आमजन न केवल बिजली की बढ़ी दरें घटाकर और पानी की समस्याओं से निजात चाहती है, बल्कि अभी तक न पूरा होने वाले आशाओं को पूरा होते देखना चाहती है। आमजन को आम पार्टी की सादगी और खर्च कटौती से दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं है। वह व्यवस्था में परिवर्तन और भ्रष्टाचार से निजात चाहते है। उन्हें मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास से कुछ लेना-देना नहीं, न तो इन्हें मंत्री को काफिला में चलने से कोई दर्द है। मतलब आप के वादों और दावों से है जिसे आमजन जल्द साकार होते देखना चाहती है। विपक्ष एवं सहयोगी सभी वर्तमान आप की सरकार और उनके मुख्यमंत्री और मंत्रिमण्डल पर नजरें जमाए हुए हैं। लोग दिल्ली से क्रांति की आशा लगाए हुए हैं। करिश्मे की प्रतिक्षा में हैं कि बच्चों के स्कूल जाने से रोजगार की प्राप्ति तक परिवर्तन आएगा। बीमार, मां-बाप का इलाज बगैर किसी परेशानी और पक्षपात के उनके पड़ोस में हो जाएगा। बिजली की बत्ती बुझेगी नहीं, बल्कि बिल का बोझ हल्का होगा। पानी न मिलने से कुछ न कुछ अवश्यक ही मिलेगा। भ्रष्टाचार के लगाम में काम होने बन्द न हो। शिक्षा का विस्तार हो, सब के लिए शिक्षा की व्यवस्था सरकार करें। शिक्षा माफियाओं पर लगाम लगे। सरकारी स्कूल के स्तर में सुधार हो। खाली पदों को अविलम्ब भरा जाए। शिक्षा के क्षेत्र में राजनीति हस्तक्षेप बन्द हो। प्रतिभा के साथ भेदभाव न हो। जनसंख्या के आधार पर सरकार अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए अधिक से अधिक स्कूल खुले। भ्रष्टाचार तो शिक्षा के क्षेत्र में बहुत है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में विस्तार, आधुनिक सुविधएं, प्रत्येक देशवासियों को स्वास्थ्य रखने और उन्हें उचित एवं समय पर शिक्षा देने की जिम्मेदारी भी सरकार की है। स्वास्थ्य का गिरता स्तर, जर्जर होती व्यवस्था माफियाओं के हाथ में सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र, दवाओं की चोटी, डॅाक्टरों की मानमानी, खाली पड़ी जगहें। यह भ्रष्टाचार की जननी है। अवैध दवाओं का निर्माण और बिक्री देश और समाज के लिए किसी घातक और विकराल समस्याओं से कम नहीं है।

नौकरशाही, समाज में एक व्यवस्था। समाज एवं देश की अखण्डता और सहिष्नुता भी आप पार्टी की प्राथमिकताओं में होगी। सादगी वाली सरकार को आम आदमी की मूल समस्याओं को समझना और उसका निदान करना सबसे बड़ी परिक्षा एवं उपलब्धी मानी जाएगी। सब्ज-बाग दिखाने का समय अब नहीं रहा। लोग पिछली सरकार के कार्यकाल से बेहतर वर्तमान देखना चाहते हैं। आपको जीवन के प्रत्येक क्षेत्रों में अराजकता और भ्रष्टाचार से दो-दो हाथ करना है और जनता को रिजल्ट भी देना है। सादगी का बखान और अपने उफपर सच्चाई और इमानदारी का टेग लगाने से जनता को राहत नहीं मिलने वाला। मुख्यमंत्री एवं उनके मंत्री परिषदों के साथ जन समस्याओं के लिए खुले में दरबार का आयोजन एवं सप्ताह भर सरकार के एक मंत्री के द्वारा जन सुनवाही के लिए उपस्थित रहना, निःसंदेह एक राजनीति क्रांति और स्वागत-योग्य प्रयास है। आलिशान बंगलों में बैठकर राजनीति करने वाले और एसी में बैठकर जनसेवक की नौटंकी करने वालों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

1 COMMENT

  1. हालांकि पहला जनदरबार सफल नहीं हुआ, पर पार्टी की नीयत पर शक करने का कोई कारण नहीं है। मेरा मानना है कि इस तरह के दरबार लगाने से बहतर है कि जनता ई-मेल से पत्र भेजे या फ़ोन पर उनकी समस्यायें रिकार्ड की जायें फिर अलग अलग श्रेणियों मे संबधित विभाके लोग देखें और शार्टलिस्ट करके ही लोगों को बुलायें नहीं तो सबकी समस्याये ऐसे सुलझा पाना व्यावहारिक नहीं होगा।

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