आम आदमी ने सुमन, काम किया है खास।
दिल्ली की गद्दी मिले, हुआ अनैतिक मेल।
देख सुमन गद्दी वही, ना चढ़ने का खेल।।
दिल्ली को वरदान या, यह चुनाव अभिशाप।
चुना आपने ‘आप’ को, सुमन भुगत लें आप।।
अलग ढंग से ‘आप’ का, देखो सुमन प्रयोग।
पत्रकार, नेता सहित, चकित हुए हैं लोग।।
सुमन खड़ा यूँ सामने, झाड़ू लेकर भूत।
भीतर भीतर रो रहे, परम्परा के दूत।।
सेवक, शासक बन गया, बने हुए श्रीमान।
अब शासक होगा सुमन, जिनके है ईमान।।
प्यार दिया है आपने, है चर्चा में ‘आप’।
सुमन आस है ‘आप’ से, मिटा सके सब पाप।।
श्यामल सुमन
आप ने कांग्रेस का वोट बैंक तोड़कर उसको बड़ा धक्का पहुँचाया है. और फिर सत्ता का भी अस्वीकार करके आम आदमी को ही धोका दिया है. कांग्रेस से उब गयी जनताने बीजेपी का आधार तो चुना ही है किन्तु दूसरे नंबर पर आप को वोट देकर उसपर भी कुछ मात्रामें विश्वास जताया है. अब अगर आप सत्ता का प्रयोग करके अपने दिए हुए वचन को पूरा करनेसे पीछेहत करती है तो वोह जनताका ही विस्वासघात कर रही है. लगता है यह बात केजरीवालजी कि समाजमें नहीं बैठती.
इसका अर्थ स्पष्ट है कि केजरीवालजी अपने आप में ही मस्त है . जनताको क्या चाहिए उसकी उनको परवाह नहीं है.