स्वप्न में स्वप्न मेरा पालती है

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  – सुधीर मौर्य

स्वप्न में स्वप्न मेरा पालती है

मेरी आँखों में आकर झांकती हैं।

वो लड़की गाँव की उड़ती हवा सी

कभी चंचल कभी अल्हड़ जरा सी

उसकी देह पर तिफ्ली का मौसम

युगल आँखे किसी काली घटा सी

वो एक बहती हुई अचिरावती है

स्वप्न में स्वप्न मेरा पालती है

मेरी आँखों में आकर झांकती हैं।

उसकी बाते किसी नटखट के जैसे

उसकी पलके किसी नटखट के जैसे

उसके माथे पे सूरज का ठिकाना

बदन लचके किसी सलवट के जैसे

मेरे सर पर वो साया तानती है

स्वप्न में स्वप्न मेरा पालती है

मेरी आँखों में आकर झांकती हैं।

जी करे उसपे कोई गीत लिख दूँ

उसके पाँव पर संगीत लिख दूँ

जो उसकी रुसवाइयों का डर न हो

उसे हर जगह मनमीत लिख दूँ

कभी देवल कभी पद्मावती है

स्वप्न में स्वप्न मेरा पालती है

मेरी आँखों में आकर झांकती हैं।

अचिरावती – रावी नदी का पौरणिक नाम।

देवल – मध्यकालीन आनिहलवाड की राजकुमारी।

पद्मावती – चित्तौड़ की महरानी।

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