एक नारी की अभिलाषा करवाचौथ पर

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मेरी मांग के सिन्दूर भी तुम,
मेरी आंख के काजल भी तुम,
मेरी उम्र लग जाए अब तुमको,
मेरे सर के सरताज भी तुम।।

मेरे बालो के गजरे हो तुम,
मेरी नाक की नथनी हो तुम।
सजधज के आई तुम्हारे लिए,
बताओ अब मेरे कौन हो तुम ?

मेरे माथे की बिंदिया भी हो तुम,
मेरी रातों की निंदिया भी हो तुम।
रह नही सकती तुम्हारे बगैर मै,
मेरे जीवन की चिंदिया हो तुम।।

मेरे सोलह श्रृंगार भी हो तुम,
मेरा सारा संसार भी हो तुम।
तुम्हारे बिन लगता सब सूना,
मेरे जीवन के आधार हो तुम।।

अगर मैं रूठ जाऊं मनाना तुम,
अगर मैं रोऊं बहलाना भी तुम।
पति पत्नी में यह चलता रहता,
एक दूजे को मनाते रहे हम तुम।।

न मांगू मै तुमसे सोने का हार,
न मांगू मै तुमसे हीरो का हार।
मांगू तो बस एक ही चीज मांगू,
मिल जाए तुम्हारा सच्चा प्यार।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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