इंसान ज्वालामुखी बन चुके थे,
पहले ही,
इंसानो के बच्चे भी मासूमियत छोड़कर,
ज्वालामुखी बनने लगे हैं,
जो कभी भी फट कर
सब कुछ जला सकते हैं।
कोई चार साल की उम्र में हैवानियत
कर गया,
किसी किशोर ने बच्चे को मार दिया,
इमतिहान के डर ने गुनाह करवा डाला!
दोष किसे दूँ
सीखा तो कंही न कहीं
किसी बड़े से ही होगा,
कुछ देखा ,
कुछ समझा या न समझा
पर कुछ ऐसा कर डाला
कि हर इंसान डर रहा है,
बच्चा क्यों हैवान हो रहा है!
बच्चे तो हो रहे है
न खेलने की जगह है
ना मां बाप की निगरानी।
पढ़ाई का ख़ौफ है
न दादी नानी की कहानी,
इंटरनैट, विडियो गेम, टीवी
में उलझ गया है बचपन
न रह गई नादानी
कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाया
कुछ और उठो सत्यार्थी
जनसंख्या पर अंकुश लगाओ
मां बाप को समझाओ
इतने बच्चे रोज़ होंगे,
तो गुनाह भी रोज़ होंगे
ज्वालामुखी पैदा करने से,
बहतर है बालमज़दूरी,
आओ सत्यार्थी उन्हे रोको
ज्वालामुखी पैदा नहों
कुछ ऐसे क़दम बढाओ।