खुशी के लिये कम सोचें और ज्यादा जिएं

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– ललित गर्ग –

अपने भीतर झांकने पर पता चलता है कि कई तरह की तमन्नाएं और ख्वाहिशें दुबकी बैठी हैं, जो चैन से जीने नहीं देतीं। कई सवाल हैं, जिनके जवाब तक पहुंचे बिना खुशी एवं महत्वाकांक्षाएं अधूरी ही रहती है। जब दिल खुश होता है तो उसकी रौनक चेहरे पर खुद-ब-खुद झलकने लगती है और यही हमारे मंजिल के करीब होने का यथार्थ है या जीवन का सफलता की ओर बढ़ने का संकेत है। लेकिन जीवन की लहरों में तरंग तभी पैदा होगी, जब आप वैसा कुछ करने को तत्पर होते हैं। सच को स्वीकारने से उससे लड़ने की क्षमता हमारे अंदर अपने आप ही पैदा हो जाती है। जरूरत है अपनी क्षमताओं को  पहचानने और उन्हें निखारने की दिशा में काम करने की।
कितनी ही बार हम ऐसी बातों पर चिंता कर रहे होते हैं, जिनकी वास्तव में जरूरत ही नहीं होती। हम जरूरत से ज्यादा तनाव लेते हैं और बेवजह सोचते रहते हैं। दिक्कत यह है कि हम एक साथ सब साध लेना चाहते हैं। जहां खुद को धीमा करने की जरूरत होती है, हम बेचैन हो जाते हैं। लेखिका जे के रोलिंग कहती हैं, ‘कितनी ही बार प्रश्न जटिल होते हैं और उनके जवाब बेहद आसान।’ क्योंकि जीवन में सफलता एवं असफलता, सुख और दुःख, हर्ष और विषाद साथ-साथ चलते हैं। लेकिन जीवन उनका सार्थक है जो विपरीत परिस्थितियों में भी मुस्कुरातेे हैं। मनुष्य के संकल्प के सम्मुख देव, दानव सभी पराजित होते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों से निकलकर सफलता तक जाने वाली हर यात्रा अनोखी और अद्वितीय होती है। बस उसके लिये एक हौसला और लक्ष्य चाहिए।
हमारे जीवन की एक बड़ी विसंगति यह है कि जहां दिल का काम होता है, वहां हम दिमाग को ज्यादा चलाते है। हर समय दिमाग को आगे रखना समस्याएं पैदा करता है। खुशियां बेकार के डर और संदेहों की भेंट चढ़ जाती हैं। जिंदगी के कई अनुभव अनछुए ही रह जाते हैं। मोटिवेशनल स्पीकर एकार्ट टोल कहते हैं, ‘दिमाग बंद करें और दिल के भीतर जाएं। कम सोचें और ज्यादा जिएं।’ जो विपरीत हालात में धैर्य और खुदी को बुलंद रखता है, उसके रास्ते से बाधाएं हटती ही हैं, बेशक देर लग जाए। अगर पत्थर पर लगातार रस्सी की रगड़ से निशान उभर आते हैं, तो अकूत संभावनाओं से भरी इस दुनिया में क्या नहीं हो सकता? जहां सभी के लिए पर्याप्त अवसर और पर्याप्त रास्ते हैं, अक्सर हम बाधाओं से तब टकराते रहते हैं, जब सही रास्ते की तलाश कर रहे होते हैं और सही रास्ता मिलने पर सफलता की ओर हमारे पैर खुद ही बढ़ने लग जाते हैं, लेकिन अक्सर इस तलाश में ही बहुत सारे लोग निराश हो जाते हैं, धैर्य खो देते हैं और किस्मत को कोसने लगते हैं।
अक्सर जीवन में हम भंवर में फंस जाते हैं। ऐसा लगता है कि संभावनाओं से भरे हुए सारे दरवाजे बंद होते जा रहे हैं। जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है, ये वो अवसर रूपी दरवाजे होते हैं, जिनसे हमें उम्मीद होती है। अक्सर ऐसी स्थिति पहले निराश करती है, फिर कुंठा देती है और तन-मन को हताशाओं से भरने लगती है। बिखराव शुरू हो जाता है, चरित्र बदलने लगता है, लेकिन कुछ लोग इन्हीं स्थितियों में मजबूत होते हैं और खराब समय को ही अपने जीवन को स्वर्णिम ढंग से रूपांतरित करने वाला समय बना देते हैं। रिचर्ड सील ने मार्मिक कहा है कि आत्मशक्ति इतनी दृढ़ और गतिशील है कि इससे दुनिया को टुकड़ों में तोड़कर सिंहासन गढ़े जा सकते हैं।
क्या आपने भी कभी सोचा है कि वह कौन से सवाल हैं, जो आपको चैन से जीने नहीं देते? वे कौन सी ख्वाहिशें हैं, जो आपको तसल्ली नहीं लेने देतीं? जब तक सवाल नहीं ढूंढ़ पाएंगे, तब तक जवाब के भी सिरे नहीं मिल सकते, इसलिए अपने आप से सवाल जरूर पूछिए। अपने भीतर झांके और पता लगेगा कि आप अभी भी बहुत सारी ख्वाहिशें पूरी करना चाहते हंै। मसलन, मौज-मस्ती की नहीं, सच्चे प्रेम की ही नहीं, बुलंद ऊंचाइयांे और रिश्तों में सम्मान की ही नहीं बल्कि बहुत-सी महत्वाकांक्षाओं के पूरे होने की तलाश है। शेक्सपीयर कहते थे, हमारा शरीर एक बगीचे की तरह है और दृढ़ इच्छाशक्ति इसके लिए माली का काम करती है, जो इस बगिया को बहुत सुंदर और महकती हुई बना सकती है।
जो भी हो, आप दूसरे को समझने का प्रयत्न करंे या खुद को समझने का, या फिर खुद को भी और दूसरे को भी समझने का प्रयत्न करें, लाभ आपको ही होगा। आप क्रिया-प्रतिक्रिया के दुश्चक्र में फंसने से बचे रहेंगे। मूर ने कहा है कि अच्छे काम के लिए धन की कम आवश्यकता पड़ती है, पर अच्छे हृदय और संकल्प की अधिक। इसलिये जीवन में बाधाओं से घबराये नहीं, बल्कि उनका डटकर मुकाबला करें।
आप अकेले नहीं हैं, जो हर बार खुद से अपनी बेहतरी के लिए वादे करते हैं। और ना ही अकेले आपके साथ ऐसा होता है कि संकल्प बीच में ही टूट जाते हैं। अपनी वास्तविकता और बुद्धि कौशल का प्रयोग करें। इनका आपके भौतिक अस्तित्व से ज्यादा महत्व है। जीवन में जब कभी उतार-चढ़ाव वाले क्षण आएं, अपने मन और आत्मा को और विस्तार देने के लिए इन्हीं अनुभवों की मदद लीजिए। स्थिर चित्त रहेंगे तो कठिन हालात से भी निकल आएंगे।
हमेशा खुशी को तरजीह दें, अपने लिए भी दूसरों के लिए भी। खुशी एक ऐसा विकल्प है, जो हमें हमारे भीतर से ही मिल सकता है। हर चीज के उज्ज्वल पक्ष पर ध्यान केंद्रित करें, उदाहरण के लिए खुद से पूछें-मैं इससे क्या सीख सकता हूं? या धन्यवाद व आभार के साथ हर चीज को स्वीकार करें। विचारक रूपलीन ने कहा है कि किसी भी तरह की मानसिक बाधा की स्थिति खतरनाक होती है। खुद को स्वतंत्र करिए। बाधाओं के पत्थरों को अपनी सफलता के किले की दीवारों में लगाने का काम करिए।’ खुशी खुद ही करीब आती दिखेगी। जब आप इस तरह समय और बदलाव को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ते हैं तो आप आगे बढ़ते जाते हैं। आप अपने से बड़ी ताकत को स्वीकार करते हैं, आपका विश्वास बढ़ता है और उसका प्राकृतिक प्रतिफल होता है आपकी तरक्की। इस तरीके से बदलाव को स्वीकार करने के बाद मिलने वाली ताकत और वास्तविकता के धरातल से होती है नई उत्पत्ति। नए दोस्त, संबंध, सफलताएं, उत्साह व खुशियां। आने वाले समय के लिए अपने उत्साह में कमी न आने दें और खुली बांहों से बदलाव को आत्मसात करें। हर कदम में छिपे रहस्यों और उत्साह को पूरी प्रसन्नता के साथ स्वीकार करें।

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