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भयावह व अनिश्चित भविष्य के बीच - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
- अनुज अग्रवाल सभ्यताएँ जब अपने शिखर पर पहुँचती हैं तो उसके उपरांत बस पराभव की ओर ही जा सकती हैं। मानव सभ्यता क्या ऐसे ही दौर में है। विज्ञान व प्रौद्योगिकी व बाजार की उपलब्धियों के इस स्वर्णिम काल में हम सबसे ज़्यादा डरे हुए हैं और हताश व…