मेरा जूता है अफगानी

0
213

मेरा जूता है अफगानी,
सर पर गोल टोपी,
फिर भी दिल है तालिबानी।

निकल पड़े हैं खुली सड़क पर,
अपनी बंदूकें हम ताने,
मिल जाए जो अमेरिकन हमको,
उस पर गोली हम ताने,
बीस वर्ष तक गुलामी सही
तब बने हम तालिबानी।
मेरा जूता है अफगानी ………

औरतों की हम बेइज्जती करते,
जो मर्जी आती उसको हम करते,
निहत्थों पर कोड़े बरसाते,
बच्चो को भूख से तड़फाते,
तब बने जुल्मी खानदानी,
मेरा जूता है अफगानी……..

आर के रस्तोगी

Previous articleयुवाओं की पहल से कामयाब होता टीकाकरण अभियान
Next articleचार में से एक ट्रेन सौर पैनलों की डायरेक्ट सप्लाई से दौड़ सकती है
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here