pravakta.com
येन केन प्रकारेण, नरेन्दर पराजितो भवेत॥ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. मधुसूदन (१) सबेरे तनिक बाहर झाँक्यो, तो, क्या सुन रियो हूँ?जंगल से एक ध्वनि आ रही थीं। समझ नहीं पायो, कि काहेकी ध्वनि है? कुतूहलवश समीप जाकर देख्यो, तो क्या देखता हूँ? एक तालाब के किनारे बहुत सारा मेंढक इकठ्ठा होकर, डराँओ डराँओ के बदले हराओ, “हराओ-हराओ-हराओ” का घोष…