विपक्ष कम करना चाहता है मोदी की जीत का अंतर

संजय सक्सेना,लखनऊ
वाराणसी। बीजेपी पूरी तरह आश्वस्त। विपक्षी जातीय गणित के सहारे खेल बिगाड़ने में लगे। वाराणसी और आसपास की सीटों पर पिछले तीन दशक से हर चुनाव में जातीय समीकरण हावी रहते हैं। इसके आगे विकास और बेहतरी के दावे भी असर नहीं कर पाते। इसलिए भाजपा का पूरा ध्यान इस ओर भी है कि सभी जातियों के मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जाए। जैसे-जैसे मतदान की तिथि करीब आती जा रही है, सोशल इंजीनियरिंग पर पूरा फोकस किया जा रहा है।
इसी रणनीति के तहत पार्टी ने अपना दल के साथ गठबंधन किया ताकि रोहनिया और सेवापुरी के पटेल मतदाताओं को जोड़ा जा सके। इसके लिए अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव और रोहनिया विधायक अनुप्रिया पटेल को मीरजापुर संसदीय सीट से लड़ाने का फैसला किया गया। इसके चलते वहां से टिकट की दावेदारी कर रहे प्रदेश के पूर्व काबीना मंत्री ओमप्रकाश सिंह के पुत्र अनुराग सिंह ने नाराज होकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और ओमप्रकाश सिंह भी इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। वहीं, भूमिहार मतदाताओं को रिझाने के लिए कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय, पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर समेत हाल ही में कांग्रेस छोड़ पार्टी में शामिल हुए डॉ. अवधेश सिंह, संजय राय जैसे लोगों को लगाया गया है। इनका पूरा ध्यान सेवापुरी विधानसभा के गांवों में रहने वाले भूमिहार मतदाताओं पर है। चैरसिया समाज के लोगों को पक्ष में करने के लिए पार्टी के सह प्रदेश प्रभारी रामेश्वर चैरसिया ने मंगलवार को ही पान दरीबा इलाके में लोगों से जनसंपर्क किया।
वहीं, ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर होर्डिग्सि़ पर प्रमुखता से आगे की गई है। इसके अलावा स्थानीय चेहरों को भी पार्टी ने सामने कर रखा है। वैश्य मतदाताओं के लिए तो कई नामों की लंबी-चैड़ी फेहरिस्त है जो अपनी जाति के मतदाताओं से मेलजोल बढ़ा रहे हैं। इनके साथ ही यादव, दलित, कायस्थ समेत अन्य जातियों के लिए भी पार्टी ने पूरी तैयारी कर रखी है। मुस्लिम मतदाताओं में पैठ बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक मोर्चा के विभिन्न प्रदेशों के नेताओं समेत गुजरात हज कमेटी के चेयरमैन तक को मुस्लिम बस्तियों में लगाया गया। वहीं, गुजरात से ही बड़ी संख्या में आए मुस्लिम समुदाय के लोग शहर और ग्रामीण क्षेत्रों की बुनकर बहुल इलाकों में जनसंपर्क कर रहे हैं।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस बार मुस्लिम वोट कांग्रेस की तरफ जा रहा है। महागठबंधन से कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है। तेज बहादुर के मैदान में होने से मुस्लिम वोट दोनों में बंट सकता था, इसके अलावा भूमिहार वोटर भी बंट सकते हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की जोरदार कैंपेनिंग,रोड शो और महागठबंधन के उम्मीदवार तेज बहादुर का नामांकन रद्द होना मोदी के जीत के फासले को कम कर सकता है।
गठबंधन प्रत्याशी शालनी यादव और कांगे्रस के अजय राय मजबूती के साथ मोदी को टक्कर देते नहीं दिख रहे हैं, शालनी और अजय राय को जीत के बजाए, वोट प्रतिशत बढ़ने पर ही संतोष करना पड़ेगा। बता दें कि 1996 में पहली बार अजय राय बीजेपी के टिकट पर वाराणसी की कोइलसा विधासनभा सीट से चुनाव लड़े. उन्होंने 9 बार के सीपीआई विधायक उदल को 484 मतों के अंतर से हराया था। 2002 और 2007 का भी चुनाव अजय राय बीजेपी के टिकट पर इसी विधानसभा क्षेत्र से लड़े और जीते. 2009 में अजय राय वाराणसी लोकसभा सीट से बीजेपी का टिकट चाहते थे। पार्टी ने उन्हें टिकट देने से मना किया तो वह बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। बाद में अजय कांगे्रस में आ गए।
चुनाव आयोग ने पिछले दिनों वाराणसी लोकसभा सीट से तेज बहादुर यादव के नामांकन को रद्द कर दिया था. पहले वह निर्दल प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन बाद में उन्हें महागठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था. महागठबंधन का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद तेज बहादुर फिर से सुर्खियों में आ गए थे, लेकिन कुछ रोज बाद चुनाव आयोग ने उनका नामांकन रद्द कर दिया. इसके खिलाफ बहादुर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने नामांकन रद्द करने के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि उनकी याचिका में कोई मैरिट नहीं है.
मोदी 2014 में काशी के साथ वडोदरा से भी चुनाव लड़े थे। दोनों ही जगह से जीत हासिल की थी, लेकिन उन्होंने वाराणसी को अपने संसदीय क्षेत्र के रूप में चुना। 2014 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के बीच था.
2014 में 42 प्रत्याशियों ने अपनी चुनौती पेश की थी. इसमें 20 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय मैदान में थे. नरेंद्र मोदी ने आसान मुकाबले में केजरीवाल को 3,71,784 मतों के अंतर से हराया था। मोदी को कुल पड़े वोटों में 581,022 (56.4ः) वोट हासिल हुए जबकि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल के खाते में 2,09,238 (20.3ः) वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय रहे जिनके खाते में महज 75,614 वोट ही पड़े.
वाराणसी सीट का जातीय आंकड़ा
वैश्य-3.5 लाख, ब्राह्मण-2.50 लाख मुस्लिम-3 लाख भूमिहार-1 लाख
राजपूत-1 लाख, पटेल-2 लाख, चैरसिया व अन्य-3.50 लाख दलित-1.20 लाख

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

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