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वेदों में मोक्ष का स्वरुप - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. मृदुल कीर्ति मोक्ष, मुक्ति,निर्वाण------की चाहना अर्थात इसके ठीक पीछे किसी बंधन की छटपटाहट भी ध्वनित है. यदि इन शब्दों का अस्तित्व है तो कदाचित इसकी सम्भावना के बीज भी इसी में समाहित है. कर्मों के तीन प्रारूप संचित,प्रारब्ध और क्रियमाण का कर्म चक्र जाल है. कृत कर्मों का प्रारब्ध-----जो…