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"यह कैसा विधान.... पत्थरबाज भी नही आते बाज..."⁉ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
विश्व के सभी देश अपने अपने नागरिकों के महत्व को समझते है और उसकी रक्षा के साथ साथ उसके समस्त मौलिक अधिकारों को यथा संभव सुरक्षा प्रदान करने के लिए संकल्पित है। परंतु हम सत्तर वर्ष के अपने स्वतंत्र राष्ट्र में इतने बौने हो गए है कि सैनिको का मान-मर्दन…