pravakta.com
वो दाल-दाल, ये साग-साग    - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मैं साहित्यप्रेमी तो हूं, पर साहित्यकार नहीं। इसलिए किसी कहावत में संशोधन या तोड़फोड़ करने का मुझे कोई हक नहीं है; पर हमारे प्रिय शर्मा जी परसों अखबार में छपी एक पुरानी कहावत ‘तुम डाल-डाल, हम पात-पात’के नये संस्करण ‘वो दाल-दाल, ये साग-साग’के बारे में मुझसे चर्चा करने लगे। -…